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विंध्य के चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा के ये हैं उम्मीदवार, जानिए क्यों मिली टिकट, क्या है इनकी ताकत और कमजोरी...
भोपाल। मध्य प्रदेश की 15 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने पांच नए चेहरों पर दांव लगाया है। इन चेहरों में 10 वर्तमान सांसद है। प्रत्याशी घोषित होने के बाद क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। कई उम्मीदवारों का इलाके में विरोध है तो कई बेहद सक्रिय है। कुछ को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और संघ के दम टिकट मिला है तो अपनी व्यक्तिगत छवि से टिकट लाए है।
घोषित नामों में नरेन्द्र सिंह तोमर, जनार्दन मिश्रा, रीती पाठक, हिमांद्री सिंह, राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल, नंदकुमार सिंह चौहान, फग्गन सिंह कुलस्ते, गणेश सिंह सहित कई नाम शामिल हैं, वहीं पार्टी ने मुरैना से अनूप मिश्रा, शहडोल से ज्ञान सिंह, बैतूल से ज्योति धुर्वे, उज्जैन से चिंतामण मालवीय और भिंड से भागीरथ प्रसाद का टिकट काटा है।
एक नजर में जानें विन्ध्य के भाजपा उम्मीदवारों की ताकत एवं कमजोरी लो.स. क्षेत्र रीवा, जनार्दन मिश्रा (वर्तमान सांसद) क्यों मिला टिकट: मौजूदा सांसद होने के साथ ही अमित शाह की टीम के सदस्य हैं। छवि साफ है। संगठन में लंबे अर्से से सक्रिय हैं। विन्ध्य के लोकप्रिय नेता पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला के करीबी हैं। ताकत: रीवा लोकसभा ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है। जनार्दन ब्राह्मण वर्ग से आते हैं। जातीय समीकरण फिट बैठता है। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं विन्ध्य के लोकप्रिय नेता पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला के नजदीकी हैं। विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम। कमजोरी: विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहना। कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव कम होना। गोद लिए आदर्श ग्राम को विकसित न कर पाना। बात-बात पर उत्तेजित होना।
लो.स. क्षेत्र सीधी, रीति पाठक (वर्तमान सांसद) क्यों मिला टिकट: क्षेत्र में मजबूत पकड़। जिला पंचायत अध्यक्ष रहने के बाद 2014 में भारी भरकम मतों से लोकसभा चुनाव जीतना। कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़। ताकत: केन्द्रीय नेतृत्व में पकड़। मोदी-शाह टीम की सदस्य। पूर्व सीएम शिवराज सिंह से नजदीकी। पिछले कार्यकाल से जनता के बीच अच्छी पैठ। कमजोरी: सीधी विधायक केदार नाथ शुक्ल से विवाद। कार्यकर्ताओं में असंतोष। पार्टी कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्रीय नेताओं से दूरी।
लो.स. क्षेत्र सतना, गणेश सिंह (वर्तमान सांसद) क्यों मिला टिकट: तीन बार से लगातार सांसद हैं इसलिए पार्टी ने चौथी बार भी भरोषा जताया है। क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। ताकत: केन्द्रीय नेतृत्व में अच्छी पकड़। क्षेत्रीय कार्यक्रमों में बने रहना। ब्राम्हण वोटर भाजपा के प्रति साफ्ट कार्नर रखते हैं इसका लाभ मिल सकता है। कमजोरी: 3 पंचवर्षीय सांसद रहने के बावजूद भी क्षेत्र में कोई विशेष कार्य नहीं। संसदीय क्षेत्र में वर्ग विशेष के लोगों को महत्व देना। कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी व्याप्त है।
लो.स. क्षेत्र शहडोल, हिमांद्री सिंह क्यों मिला टिकट: हाल में ही भाजपा में आईं। वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह का परफार्मेंस खराब होना। उपचुनाव में भी ज्ञान सिंह को खासी चुनौती दी थी। ताकत: युवा चेहरा हैं। पढ़ी-लिखी होने के साथ युवाओं की खासी पसंद हैं। बेदाग छवि हैै। राजनीतिक विरासत का फायदा मिल सकता है। कमजोरी: कांग्रेस से बगावत कर तीन दिन पूर्व ही भाजपा ज्वाइन की है। क्षेत्रीय भाजपाईयों में इस वजह से विरोध व्याप्त है। संगठन की समझ में कमजोर हैं। कार्यकर्ताओं में पकड़ नहीं है।