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- आजादी के सात दशक बाद...
शहडोल। आजादी के सात दशक बीत गये लेकिन अभी सैकड़ों की संख्या में ऐसे गांव हैं जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। आज भी लोग चिमनी की रोशनी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और दो-चार किलोमीटर दूर से पानी ढोते हैं। ऐसा एक मामला सामने आया है शहडोल जिले के सोहागपुर जनपद अंतर्गत लखवरिया ग्राम पंचायत के अमहाई गांव का है जहां के रहवासी पुरानी व्यवस्था में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यहां शासन-प्रशासन की नजर नहीं पड़ सकी है।
बताया गया है कि अमहाई सहित आसपास के अमलीखेरवा, नवाटोला आदि गांवों के करीब 400 से 500 आदिवासी ग्रामीण आज दशकों से गड्ढे या झिरिया का पानी पी रहे हैं जिससे अक्सर वे बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। गर्मी के दिनों मे झिरिया सूख जाती है तो दो किलोमीटर की चढाई उतर के धनौरा के पंचायत भवन में लगे हैंडपंप से पानी लाना पड़ता है।
प्राथमिक कक्षा के बाद पढ़ाई बंद
ग्राम अमहाई के आदिवासी बधाों खासकर लड़कियों ने प्राथमिक तक की पढाई के बाद स्कूल छोड दिया है। इन्हें करीब 1007200 फिट गहरी घाटी उतर के धनौरा स्कूल आना पड़ता है, जहां सिर्फ प्राथमिक तक की कक्षाएं ही हैं। जिसके बाद गांव की लड़कियां पढाई छोड देती थीं। इस स्कूल का बीते 2 वर्ष पहले उन्नयन कर के माध्यमिक तक की कक्षाएं संचालित की जाने लगी हैं तो अब गांव की लड़कियां आठवीं तक पढने के बाद पढ़ाई छोड़ रही हैं। इस गांव की पंचायत लखवरिया है जो यहां से 6 से 7 किलोमीटर दूर है और पूरा रास्ता पहाड़ और गहरी खाई से भरा है। अमहाई के ग्रामीणों को करीब 8 किलोमीटर दूर बेम्हौरी के उप स्वास्थ्य केन्द्र आना पड़ता है, वहीं कुछ रास्ता तो पैदल चलने लायक भी नहीं है।