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विंध्य वासियों ने नम आंखों से दी शहीद कर्णवीर को आखिरी विदाई, भावुक हुए मुख्यमंत्री, बड़े भाई ने दी मुखाग्नि
Martyr Karnveer Singh Funeral Ceremony: देश की रक्षा करते हुए आखिरी सांस तक आंतकियों को मुहतोड़ जबाब देने वाले अमर शहीद कर्णवीर सिंह (Karnveer Singh) का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गृह ग्राम सतना जिले (Satna District) के रामपुर बघेलान (Rampur Baghelan) के दलदल गांव पहुचा तो पूरी माहौल गमगीन हो गया। हर किसी की आंखो में आँसू थें तो आंतकियों के कायराना हरकत को लेकर गुस्सा। इतना ही नही शहीद को श्रद्धाजलि देने पहुचे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh) भी भावुक हो गए। तो वही शहीद बेटे की अर्थी को देखकर मां और उनके परिवार के लोगो पर तो मानों पहाड़ ही टूट पड़ा, अपने आप को सम्हालते हुए इस बीच उनका कहना था कि उनका यह लाल भारत माता के काम आया और अपना फर्ज पूरा किया।
बड़े भाई ने दी मुखाग्नि
दरअसल कश्मीर के शोपियां में आतंकियों से मुकाबला करते हुए शहीद कर्णवीर सिंह (Martyr Karnveer Singh) का अंतिम संस्कार उनके गृह गांव दलदल में राजकीय एवं सैन्य सम्मान के साथ किया गया। तिरंगे में लिपटे हुए शहीद के पार्थिव शरीर को सेना के जवानों ने सलामी दी। शहीद को अंतिम विदाई देने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) भी दलदल गांव पहुंचे थें। उनके बड़े भाई शक्ति प्रताप सिंह ने मुखाग्नि दी। इससे पहले जब शहीद का पार्थिव शरीर उनके गृह ग्राम पहुचा तो हर गली में कर्णवीर अमर रहे के नारे गूजते रहे। वही शहीद को श्रद्धाजलि देने के लिए सतना सहित विंध्य क्षेत्र के लोग का हुजूम उमड़ पड़ा।
शहीद के नाम बनेगा स्मारक
श्रद्धाजलि देने पहुचे सीएम ने घोषण की है कि गांव में शहीद का स्मारक बनाया जाएगा और शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि और भाई को सरकारी विभाग में नौकरी दी जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद कर्णवीर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मां भारती के इस लाल ने देश को सब कुछ समर्पित कर दिया, हम उनकी शहादत के सम्मान में जो कुछ भी कर सकते हैं, करेंगे।
दो भाइयों में छोटे थे कर्णवीर
23 साल के कर्णवीर सतना शहर के रहने वाले रिटायर्ड फौजी राजू सिंह के बेटे थे। 21 राजपूत रेजिमेंट के जवान फिलहाल 44 आरआर में तैनात थे। दो आतंकियों को मारने के बाद गोलीबारी में वे जख्मी हो गए थे। दो भाइयों में कर्णवीर छोटे थे। अभी उनकी शादी नहीं हुई थी। वही शहीद के पिता रविकुमार सिंह का कहना है कि उन्हे अपने बेटे पर गर्व है। जिसने अंतिम समय तक लड़ाई लड़ी और आंतकियों को मुहतोड़ जबाब दिया है।
कार से आए थें आंतकी
जानकारी के तहत कश्मीर के शोपियां में आतंकी कार से आए थे। उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। क्रॉस फायरिंग में कर्णवीर शहीद हो गए। दरअसल यह यह मुठभेड़ आतंकियों के साथ मंगलवार की रात हुई थी। रात भर चली फायरिंग के बीच अल सुबह 4 बजे तक कर्णवीर आंतकियों को मुंहतोड़ जबाब देते हुए दो आंतकियों को ढेर कर दिया था। इसी बीच वह आंतकियों की गोली का निशान बन गया और उसके सिर एवं सीने में गोली लग जाने के कारण कुछ ही समय बाद अस्पताल में अंतिम सांसे ले लिए था।
जन्म दिन के दिन हुए शहीद
ये भी इत्तेफाक है कि जिस दिन शहीद कर्णवीर (Karnveer Singh) की शहादत की खबर आई, उसी दिन तिथि के अनुसार उनका जन्म दिन भी है, हालांकि उनका जन्म 28 नवंबर 1998 को हुआ था। उस दिन भी शरद पूर्णिमा ही थी। कर्णवीर की प्रारम्भिक शिक्षा ग्राम हटिया में अपनी मौसी के यहां हुई थी। सैनिक स्कूल रीवा (Sainik School Rewa) में उनका दाखिला हुआ। वे महू के सैनिक स्कूल में भी पढ़े। उनका आर्मी में सेलेक्शन भी महू से ही हुआ।
इन्होने दी श्रद्धाजलि
अंतिम दर्शन के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh) समेत राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद गणेश सिंह, सांसद राजमणि पटेल, विधायक विक्रम सिंह विक्की, नीलांशु चतुर्वेदी, सिद्धार्थ कुशवाहा, पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला, पूर्व मंत्री रामपाल सिंह, कलेक्टर अजय कटेसरिया, एसपी धर्मवीर सिंह, पूर्व विधायक प्रभाकर सिंह, शंकरलाल तिवारी, सुरेंद्र सिंह गहरवार, सुधीर सिंह तोमर समेत हजारों की तादाद में लोग मौजूद रहे।