रीवा

दुनिया का इकलौता 1001 छिद्रों वाला 'शिवलिंग' रीवा महामृत्युंजय मंदिर में, जानें यहां की अनसुनी कहानी..

Mahamrityunjay Mandir Rewa
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Mahamrityunjay Mandir Rewa: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) भारत का एक ऐसा राज्य है जहां कई बेहद पुराने मंदिर मौजूद हैं।

Mahamrityunjay Mandir Rewa Story: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) भारत का एक ऐसा राज्य है जहां कई बेहद पुराने मंदिर मौजूद हैं। जो अपने भीतर सदियों से रहस्य छुपाये हुए हैं। चाहे उज्जैन के महाकाल हों या 'मैहर वाली माता'. आज हम आपके लिए ऐसे ही एक मंदिर के बारे में जानकारी लेकर है। यह मंदिर आजादी के पूर्व रीवा रियासत के किला परिसर स्थित में स्थित है।

यहां के महामृत्युंजय मंदिर में स्वयं भू महामृत्युंजय विराजते हैं। बता दें कि यह मंदिर शायद दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां 1001 छिद्र वाला शिवलिंग है जो अलौकिक शक्ति देने वाला है। रीवा किला परिसर के महामृत्युंजय मंदिर में विराजने वाले शिवलिंग की बनावट बिलकुल भिन्न है। इस तरह का शिवलिंग विश्व में अन्यत्र नहीं है।

जानकारों के कहना है कि महामृत्युंजय मंदिर में भगवान शिव के दर्शन से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है। ऐसा माना जाता है कि लगभग 500 वर्ष पहले बघेल रियासत के महाराज ने यहां पर महामृत्युजंय की अलौकिक शक्ति को भाप लिया था और फिर यहां पर मंदिर की स्थापना के साथ ही रियासत के किले की स्थापना करवाई।

रीवा महामृत्युंजय की कहानी

इतिहासकारो ने जानकारी दी कि रीवा रियासत (Rewa Riyasat) के महाराज ब्याघ्रदेव सिंह शिकार के दौरान पडाव पर थे उसी रात महाराज ने एक चमत्कार देखा। मंदिर परिसर के पास एक शेर चीतल को दौडा रहा था लेकिन चीतल जब टीले के पास पहुंचा तो शेर शांत हो गया। उसी वक्त महाराज ने यहां विद्यमान शक्ति को समझा और मंदिर की स्थापना कर किले का निर्माण कराया।

एक अन्य कहानी

एक किवदंती यह भी है कि अनादिकाल में दधीचि ऋषि नें शिव की आराधना की और प्रसन्न होने पर महामृत्युजंय कि स्थापना यहां पर की। जब से यहां महामृत्युजंय की अद्भुद प्रतिमा मौजूद है।

इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि कई वर्ष पहले यहां से साधू संतो और भांट यह प्रतिमा लेकर गुजर रहे थे रात्रि विश्राम के दौरान शिव ने महामृत्युंजय की प्रतिमा को यहां छोडकर जाने का स्वप्न दिया।

उसके बाद यह प्रतिमा छोडकर साधू संत यहां से चले गये। भगवान महामृत्युजंय के जाप से सर्व मनोकामना पूरी होती है इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु दूर-दूर से महामृत्युंजय के दर्शन के लिए आते है।

एकदशी तेरस, महाशिवरात्रि और बंसत पंचमी को भक्तो का सौलब उमडता है। दिनभर भक्त महामृत्युजयं के दर्शन के साथ ही जलाभिषेक, जाप और हवन करते है।

लेकिन हर रोज श्रद्धालु दिन की शुरूआत महामृत्युजयं के आर्शिवाद लेने जरूर आते है। महामृत्युजय की कृपा से भक्तो की अकाल मृत्यु टल जाती है, मृत्युभय नही रहता और बिगडे काम बन जाते है।

इसके कई उदाहरण यहां देने को मिलते है। कोई लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए महामृत्युजंय की चैखट मे आता है तो कोई मृत्युभय से। ऐसी महिमा है भगवान महामृत्युंजय की।

Suyash Dubey | रीवा रियासत

Suyash Dubey | रीवा रियासत

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