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रीवा व शहडोल संभाग के दो दर्जन कॉलेजों को भवन का इंतजार, यह आ रही परेशानियां
अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा रीवा कार्यालय के अधीन रीवा व शहडोल संभाग के 73 महाविद्यालय संचालित है। करीब दो दर्जन नवीन महाविद्यालयों को अब तक खुद का भवन नहीं नसीब हो सका है। भवन विहीन महाविद्यालय कहीं जर्जन भवन में संचालित है, तो कहीं किराए के कमरे और स्कूलों में चल रहे है, जिससे यहां उच्च शिक्षा ले रहे छात्र-छात्राए संसाधनों के अभाव में उच्च शिक्षा की डिग्री ले रहे हैं।
जर्जर भवन व किराए के कमरों में हो रहे संचालित
उच्च शिक्षा विभाग ने नवीन शासकीय कॉलेज तो खोल दिए, लेकिन कई जगह अब तक भवन नहीं मिल सके। कई कॉलेजो के भवन निर्माणाधीन है, तो कई कॉलेज ऐसे भी है, जिनको जमीन नहीं मिलने के कारण भवन निर्माण की कार्यवाई तक अब तक शुरू नहीं हो सकी है। रीवा जिले के जिन शासकीय नवीन महाविद्यालयों को अपने भवन का इंतजार है, उनमें जवा स्थिति नष्टिगवां में संचालित कॉलेज के भवन निर्माण का कार्य अंतिम चरण में बताया जा रहा है, इसके बाद उम्मीद है कि नए साल में नष्टिगवां कॉलेज खुद के भवन में संचालित होगा। इसके अलावा गोविंदगढ़ कॉलेज अब भी बाणसागर कॉलोनी के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है, वहीं शासकीय महाविद्यालय सेमरिया को भी खुद का भवन अभी नहीं नसीब हो सका है। इसके साथ ही सतना जिले में शासकीय महाविद्यालय उचेहरा, बिरसिंहपुर, ताला, नादन, अमदरा, रैंगाव व अमदरा में खोले गए नवीन महाविद्यालय भवन विहीन है। वहीं सीधी में शासकीय महाविद्यालय कुसमी, सिंगरौली में शा.महाविद्यालय रजमिलान, माड़ा, सरई, बरगवां, अनूपपुर में शासकीय महाविद्यालय बिजुरी, राजनगर, व्यंकट नगर, उमरिया में शासकीय कॉलेज चंदिया, नौरोजाबाद व मानपुर कॉलेज को खुद के भवन का इंतजार है।
मुख्यालय में नहीं रहते जिम्मेदार
उच्च शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जिला मुख्यालय से दूरदराज क्षेत्र में खोले गए नवीन महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य मुख्यालय में नहीं रहते; वहीं जिला मुख्यालय से ही अप डाउन करते है। कई बार समय से कॉलेजों में क्लास नहीं लग रही। जिसके चलते उच्च शिक्षा ले रहे छात्र परेशान है। गौरतलब है कि जिम्मेदारों को मुख्यालय में रहने का आदेश उच्च शिक्षा विभाग ने दे रखा है, लेकिन कई जगह चल रही मनमानी पर लगाम नहीं लग पा रहा है। वहीं किराए के कमरों व जर्जर भवनों में महाविद्यालयों के संचालन से पढ़ाई पर इसका अच्छा खासा असर पड़ रहा है।