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रीवा में इन 25 गांवों को जोड़ने की थी योजना, नगर निगम हो जाता मालामाल जानिए कैसे?
एमपी के रीवा में 25 गांव और जुड़ सकते हैं। जिनके नगर निगम में शामिल हो जाने से ननि की आय में वृद्धि हो जाएगी। इसके साथ इन गांवों को नगर निगम की सुविधाएं भी मुहैया हो सकेंगी। किंतु पूर्व में जो खाका तैयार किया गया था उसे अब तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। कांग्रेस शासनकाल में इन गांवों को रीवा से जोड़ने की अनुमति मिली थी किंतु भाजपा सरकार ने इस पर रोक लगा दी और यह कवायद ठंडी पड़ गई।
पूर्व में तैयार हो चुका है खाका
नगरीय निकायों में सीमा वृद्धि और परसीमन के आदेश प्रदेश में पूर्व में कांग्रेस सरकार बनते ही दिए गए थे। जिसके बाद से नगर निगम ने 45 गांव को जोड़ते ही 195 वर्ग किलोमीटर का नया रीवा बनाने नोटिफिकेशन जारी किया था। किंतु 20 गांवों को इसमें शामिल करने की अनुमति शासन से मिली थी। इस दौरान नगर निगम प्रशासन द्वारा सीमा का उल्लेख करते हुए शासन की स्वीकृति से मिले 20 गांवों में एक गांव कम कर दिया गया। इसके साथ ही 6 और नए गांव जोड़ने का प्रस्ताव भेजा था। निगम प्रशासन द्वारा रीवा में शामिल करने के लिए इन 25 गांवों का खाका भी तैयार कर लिया गया था। किंतु इसी बीच कांग्रेस सरकार बदल गई। भाजपा सरकार द्वारा इस कवायद पर रोक लगाने से यह योजना अधर में लटक गई।
राजस्व आय का भी कर लिया गया था निर्धारण
सीधी नगर पालिका की सीमा बढ़ाए जाने के बाद अब एक बार फिर रीवा की सीमा में वृद्धि किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। पूर्व में नगर निगम द्वारा तैयार किए गए खाका में राजस्व आय का भी निर्धारण कर लिया गया था। रीवा की सीमा में शामिल होने वाले 25 गांवों से नगर निगम को कितनी आय होगी यह सब तय हो चुका था। सर्वे रिपोर्ट में सामने आया था कि निगम को सबसे अधिक राजस्व जुड़ने वाले 25 गांवों में इटौरा से प्राप्त होगा। यहां की 80 प्रतिशत भूमि कृषि कार्य के अलावा व्यवसायिक व आवासीय रूप में उपयोग की जा रही है। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन के साथ 75 प्रतिशत व्यवसायिक व आवासीय कर देने वाला गोड़हर भी नगर निगम के लिए सर्वाधिक राजस्व देने वाला गांव होगा। इस लिस्ट में सोनौरा व उमरिहा दो ऐसे गांव हैं जिनसे निगम को सबसे कम राजस्व मिलता। यहां की 50 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य है। वहीं कई गांव ऐसे भी हैं जिनसे 50 से 60 प्रतिशत तक राजस्व नगर निगम को प्राप्त होता।
शासन को भेजी गई थी रिपोर्ट
रीवा नगर निगम द्वारा 25 गांवों को सीमा में शामिल करने के लिए रिपोर्ट भी तैयार कर ली थी। जिसे शासन के पास भेज दिया गया था। नगर निगम ने सीमा वृद्धि को फायदेमंद माना था किंतु इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि अब तक सीमा वृद्धि नहीं हो सकी। नगर निगम द्वारा सर्वे रिपोर्ट में सीमा में सम्मिलित अथवा अपवर्जित किए जाने वाले गांव क्षेत्र की जनसंख्या, जनसंख्या की संघनता, स्थानीय प्रशासन के लिए उत्पन्न राजस्व, कृषि से भिन्न क्रियाकलापों में नियोजन की प्रतिशतता, आर्थिक महत्व आदि को शामिल किया गया था। यह रिपोर्ट नगर निगम में धूल फांक रही है।
इन गांवों को शामिल करने हुआ था सर्वे
जिन 25 गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने के लिए पूर्व में सर्वे हुआ था। उनमें गोड़हर भी शामिल था। यहां की जनसंख्या 1940 है। गांव की संघनता 0.140 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। पूर्व शहर सीमा से लगा क्षेत्र है। इसमें रीवा का रेलवे स्टेशन है। व्यावसायिक गतिविधियां स्कूल, दुकानें आदि यहां पर संचालित हैं। इसके साथ ही फार्म हाउस की भूमियां भी हैं। इस क्षेत्र में आवासीय, व्यावसायिक व शैक्षणिक संस्थाओं का क्षेत्र है। यहां की 75 प्रतिशत भूमि कृषि से अलग है। यहां फार्म हाउस की भी भूमियां हैं जिससे नगर निगम को राजस्व आय संभावित है।
रमकुई में जो सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई थी। उसमें गांव की जनसंख्या 877 होने के साथ ही यहां की संघनता 0.219 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह क्षेत्र बाइपास से लगा हुआ है। यहां व्यावसायिक गतिविधियां संचालित होने के साथ ही स्कूलें भी संचालित हैं। आगामी समय में यहां पर व्यावसायिक गतिविधियां संभावित हैं जिससे निकाय को राजस्व आय संभावित है। यहां की 65 प्रतिशत भूमि कृषि भूमि से भिन्न है।
नीगा गांव की जनसंख्या 825 है। इसके साथ ही गांव की संघनता 0.104 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह पूर्व शहर सीमा एवं बाइपास के बीच का गांव है। यह व्यावसायिक गतिविधियों का क्षेत्र है। यहां पर फार्म हाउस की भूमियां भी हैं। निकास को इस ग्राम से राजस्व की आय संभावित है। यहां पर 55 प्रतिशत भूमि कृषि भूमि से भिन्न है।
दुआरी गांव की जनंसख्या 2210 है, इसके साथ ही गांव की संघनता 0.135 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह पूर्व शहर सीमा से लगा हुआ है। यहां आवासीय, व्यावसायिक पेट्रोल पम्म, होटल सहित बारातघर भी संचालित हैं। यहां व्यावसायिक एवं आवासीय उपयोग काफी तेजी से बढ़ रहा है। निकाय को इस ग्राम से राजस्व आय संभावित है। यहां पर 75 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
सर्वे रिपोर्ट में तुरकहा गांव की जनसंख्या 138 बताई गई थी। गांव की संघनता 0.401 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में हैं। यह शहरी सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है। यहां पर आवासीय, व्यावसायिक, पेट्रोल पम्प, बारातघर एवं होटल संचालित हैं। व्यावसायिक एवं आवासीय उपयोग काफी तेजी से बढ़ रहा है। शहरी सीमा में शामिल हो जाने से यहां की आवासीय, व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी। यहां 65 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
अमरैया गांव की जनसंख्या 541 है। इसके साथ ही गांव की संघनता 0.204 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां व्यावसायिक एवं आवासीय भूमियां हैं। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र की भूमियां भी यहां पर हैं। यह बाइपास से लगा हुआ क्षेत्र है। जिससे राजस्व आय संभावित है। यहां 55 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
अजगरहा गांव की जनसंख्या 2784 है। यहां की संघनता 0.106 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां व्यावसायिक व आवासीय गतिविधियां संचालित हैं। इसके सीमा में शामिल होने से नगरीय निकाय को राजस्व प्राप्त हो सगा। यहां पर दुकानें, प्राइवेट स्कूल, मैरिज गार्डेन, फार्म हाउस भी बने हैं। यह सीमा से लगा व बाइपास के दोनों तरफ का ग्राम है। इस गांव की 57 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
मढ़ी गांव की जनसंख्या 690 है। यहां की संघनता 0.220 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह गांव बाइपास से लगा हुआ है। यहां पेट्रोल पम्प, बारात घर एवं अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान के साथ ही आवासीय फार्म हाउस हैं। शहरी सीमा में शामिल होने से यहां की आवासीय, व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी। यहां की 75 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
मैदानी की जनंसख्या 1888 है। यहां की संघनता 0.076 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह पूर्व शहर सीमा से लगा हुआ है। यहां पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान, फार्म हाउस, गोदाम, पेट्रोल पम्प, बारात घर हैं। इस ग्राम से निकाय को राजस्व आय संभावित है। यहां की 65 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
करहिया गांव की जनंसख्या 1128 है। यहां की संघनता 0.300 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां कृषि उपज मंडी, व्यावसायिक प्रतिष्ठान व फार्म हाउस की भूमि है। यह शहरी सीमा से लगा हुआ गांव है। यहां भूमि का आवासीय, व्यावसायिक उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। यहां की 78 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
इटौरा गांव की जनसंख्या 3555 है। गांव की संघनता 0.070 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह गांव शहर सीमा से लगा हुआ है। यहां आवासीय, व्यावसायिक आदि गतिविधियां संचालित हैं। गांव के दोनों ओर पूर्वी-पश्चिमी सीमा से सिरमौर मार्ग लगा हुआ है। यह काफी तेजी से विकसित गांव है जहां से निकाय को राजस्व आय संभावित है। यहां 80 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
बरा-393 गांव की जनसंख्या 965 है। यहां की संघनता 0.071 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां पर तेजी से आवासीय भवन व व्यावसायिक अंशभाग उपयोग हो रहा है। कृषि आशय से भूमि परिवर्तन हो रही है। शहरी सीमा में शामिल होने से इस गांव का व्यवस्थित विकास होगा। यहां की 60 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
बरा-395 गांव की जनसंख्या 458 है। यहां की संघनता 0.113 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह गांव बाइपास सीमा से अंश भाग में लगा हुआ है। यहां नवीन भवन, व्यावसाय होने के साथ ही भूमि की बिक्री अधिक हो रही है। ग्राम नगरीय सीमा के समाहित होने से गांव का व्यवस्थित विकास व आगामी समय के भूमि का उपयोग हो सकेगा। यहां की 52 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
सिरखिनी गांव की जनंसख्या 56 है। गांव की संघनता 0.833 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह बाइपास के दोनों तरफ का ग्राम है। बाइपास के अंदर का अधिकांश हिस्सा गांव का है। शहरी सीमा में समाहित होने से व्यावसायिक गतिविधि रहेंगी। आगामी समय में यहां व्यावसायिक व आवासीय प्रयोजन में लिया जा सकेगा। यहां की 55 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
उमरिहा गांव की जनंसख्या 30 है। गांव की संघनता 1.153 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह गांव शहर से जुड़ा हुआ है। जिससे नगरीय सीमा में समाहित होकर यहां का व्यवस्थित विकास हो सकेगा। भूमि का आगामी समय में आवासीय और व्यावसायिक उपयोग अधिग्रहण करने उपरांत होगा। यहां की 50 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
जिऊला गांव की जनसंख्या 1968 है। यहां की संघनता 0.163 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहा गांव शहरी सीमा में लगा हुआ है। यहां काफी संख्या में आवासीय भवन बन रहे हैं। भूमियों का भी परिवर्तन हो रहा है। भूमियों का व्यावसायिक, आवासीय उपयोग है। गांव का महत्व शहरी सीमा में जुड़ जाने से बढ़ जाएगा। यहां की 52 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
गडरिया गांव की जनसंख्या 1516 है। यहां की संघनता 0.250 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहा शहर सीमा एवं रिंग रोड के दोनों ओर का गांव है। यहां पर आवासीय भवनों का काफी तेजी से निर्माण हो रहा है। कृषि भूमि में भी तेजी से परिवर्तन हो रहा है। यह गांव आर्थिक रूप से महत्व रखता है। जिसके शहरी सीमा में जुड़ जाने से काफी महत्व बढ़ जाएगा। यहां की 54 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
भुंडहा गांव की जनसंख्या 736 होने के साथ ही यहां की संघनता 0.0253 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह सीमा से लगा हुआ ग्राम है। भूमि की खरीद बिक्री काफी बढ़ी है। फार्म हाउस, आवास भूमि में काफी परिवर्तन हो रहा है। यहां पर व्यावसायिक, आवासीय गतिविधियां भी हैं। यहां की 65 प्रतिशत भूमि कृषि भूमि से भिन्न है।
कोष्ठा गांव की जनंसख्या 1459 है। गांव की संघनता 0.249 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां शहरी सीमा एवं एनएच से लगा हुआ है। यहां का तेजी से विकास हो रहा है। काफी भवन बने हुए हैं। यह गांव व्यावसायिक सह आवास क्षेत्र है। यहां आवासीय एवं व्यावसायिक गतिविधियां भी हैं। राइस मील फैक्ट्री के साथ स्कूल, कॉलेज व दुकानें भी हैं। यहां की 75 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
सोनौरा गांव की जनंसख्या 1996 है। यहां की संघनता 0.131 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यह गांव शहर सीमा से लगा हुआ है। यहां से बाइपास निकला हुआ है जिससे यह क्षेत्र काफी तेजी से विकास कर रहा है। यहां फार्म हाउस एवं आवासीय भूमि की बिक्री काफी है। यहां पर 50 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
लोही गांव की जनंसख्या 2519 है। यहां की संघनता 0.194 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां का पूर्वी क्षेत्र रिंग रोड से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही यह गांव गुढ़ रोड से भी लगा हुआ है। यहां पर वर्तमान में आवासीय प्लाटिंग हो रही है। नगर निगम सीमा में शामिल होने से यहां का राजस्व बढ़ेगा। यहां की 59 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
जोरी गांव की जनसंख्या 1599 है। यहां की संघनता 0.225 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में हैं। यह गांव नवीन बाइपास सीमा से जुड़ा हुआ है। यह शहर विकास में ग्राम भूमि आवास, व्यावसायिक के लिए उपयोगी है। यहां का आगे चलकर व्यावसायिक उपयोग ग्राम शहर सीमा में सम्मिलित हो जाने से विकसित होगा। यहां की 53 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
सिलपरा की जनसंख्या 3621 है। यहां की संघनता 0.140 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां पावर हाउस संयंत्र भी स्थापित है। शहडोल रोड के दोनों ओर का यह ग्राम है। यहां व्यावसायिक गतिविधियां अधिक हैं। ग्राम गांव का निगम में शामिल होन से राजस्व आय में वृद्धि होगी। शहर विकास में इस गांव का काफी महत्व है। यहां की 65 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
सिलपरी की जनंसख्या 1263 है। यहां की संघनता 0.129 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां पर सब्जी व्यवसाय से जुड़े लोग अधिक हैं। यहां के काफी रहवासियों द्वारा सब्जी का व्यवसाय किया जाता है। शहर विकास के लिए यह गांव काफी महत्व रखता है। यह रिंग रोड के अंदर का क्षेत्र है जो काफी विकसित हो रहा ग्राम है। यहां की 57 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।
रौसर गांव की जनसंख्या 2006 है। यहां की संघनता 0.238 प्रति व्यक्ति हेक्टेयर में है। यहां व्यावसायिक फार्म हाउस और कृषि कार्य की भूमियां हैं। इस गांव से व्हाइट टाइगर सफारी के लिए मार्ग जाता है। ग्राम गांव से नगर निगम को राजस्व आय संभावित है। यहां की 59 प्रतिशत भूमि कृषि से भिन्न है।