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रीवा का ऐसा बांध जहां पानी ही नहीं है! छुहिया डैम की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन?

रीवा का ऐसा बांध जहां पानी ही नहीं है! छुहिया डैम की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन?
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Rewa Chuhiya Dam: क्या आपने कभी बिना पानी का बांध देखा है? आज देख लीजिये

Rewa Chuhiya Dam: क्या आपने कभी बिना पानी का बांध देखा है? जाहिर है बिना पानी के बांध हो ही नहीं सकता क्योंकी इसका नाम बांध इसी लिए होता है क्योंकी यह पानी को बांधता है. लेकिन यह अनोखा सूखा हुआ डैम आपको मध्य प्रदेश के रीवा जिले में दिखाई दे जाएगा। ये कोई टूरिस्ट फ्रेंडली प्लेस नहीं बल्कि करप्शन फ्रेंडली साईट है जहां जिसका मन करना है वो भ्रष्टाचार करके चम्पत हो जाता है. हम बात कर रहे हैं रीवा जिले के मऊगंज में मौजूद छुहिया बांध की जहां कभी पानी होने की कहानी सुनाई जाती है.

छुहिया बांध में कई सालों से खेती-जुताई-बुवाई-कटाई और लुटाई का सिसिला जारी था. किसानों ने इस बांध को अपना खेत मान लिया तो रसूखों ने अपने-अपने हिस्से की जमीन में बाड़ी लगा ली है. बांध के मेंटेनेंस का काम भी सरकारी कागज में होता रहा है और प्रशासन की नज़रों में बांध फिट-फाट भी है बस यहां पानी नहीं है बाकी सब ठीक है.

इस बिना पानी के बांध के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने हमे जानकारी दी, इस समय शिवानंद द्विवेदी बांधों और सरकारी तालाबों का मुआयना कर रहे है. शिवानंद द्विवेदी की जल जीवन जागरण यात्रा में ऐसा पड़ाव आया जहां ना तो जल मिला ना जीवन दिखाई दिया तो सिर्फ एक सूखा हुआ डैम जो कभी पानी से लबालब हुआ करता था.

छुहिया बांध में पानी नहीं, प्रशासन को याद आनी नहीं

सामाजिक कार्यकता ने बताया कि- छुहिया बांध के अंदर तक वेजा अतिक्रमण किया जा चुका है जहां आसपास के किसानों ने बांध के अंदर खेत जैसी आकृतियां बनाकर जुताई बुवाई कर रहे हैं. चारों तरफ बाड़ी लगा ली है। बांध के दूसरी तरफ भी आसपास के लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था। बांध के अंदर बूंद में पानी नहीं मिला। इसके पीछे का कारण बांध के आसपास उपस्थित ग्रामीण जनों से पूछा गया तो बताया गया कि बांध के भीट में रिसाव होने के कारण पानी टिक नहीं पा रहा है।

बहुत सटीक जानकारी तो नहीं मिल पाई लेकिन स्थानीलोगों द्वारा बताया गया कि बांध का निर्माण 60-70 के दशक में पहली बार किया गया था। निर्माण होने के बाद बांध के रखरखाव में ध्यान नहीं दिया गया और कई बार मेंटेनेंस और रखरखाव के लिए आने वाली राशि जल संसाधन विभाग के कमीशनखोर अधिकारी ठेकेदारों से मिलकर हजम कर गए।

बांध के भीट में कॉम्पेक्शन के कारण कई जगह जमीन बैठ गई थी और पिचिंग के पत्थर बाहर आ गए थे। बांध के बाहर की तरफ लोंगिट्यूडनल और क्रॉस ड्रेन अभी भी स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती थी लेकिन सफाई नहीं की गई थी जिसके विषय में उपस्थित रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार ने बताया कि यह पुराने कार्य है जो निष्ठा और ईमानदारी के साथ किए गए थे जिसमें अधिकारियों ने मापदंडों का पालन किया था लेकिन समय के साथ अधिकारियों और शासन प्रशासन का चरित्र बदलता गया और अब वर्तमान में इतना व्यापक भ्रष्टाचार हो चुका है की रखरखाव की तो छोड़िए अधिकारी पूरे निर्माण कार्य की राशि हजम कर जाते हैं और निर्माण कार्य देखने को नहीं मिल रहे।

इसके रखरखाव के लिए जल संसाधन विभाग ने ठेकेदार को काम दिया था लेकिन थोड़ा बहुत खुदाई करने के बाद काम बंद कर दिया गया और पानी का रिसाव बंद नहीं हुआ और इस प्रकार मेंटेनेंस के लिए सरकार ने जो पैसा ठेकेदार को दिया उसको हजम कर लिया

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