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कटिंग की दुकान चलाने वाले पिता के संघर्ष से मिली कामयाबी, अब IPL में जलवा बिखेरेंगे रीवा के कुलदीप
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रीवा : हर व्यक्ति की कामयाबी के पीछे किसी न किसी का योगदान होता ही है। यह बात रीवा के तेज गेंदबाज कुलदीप सेन पर पूरी तरह से फिट बैठती है। कुलदीप सेन (Kuldeep Sen) अगर आज कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हुए अपने सपने को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं तो इसके पीछे केवल उनके पिता रामपाल सेन का संघर्ष और मेहनत ही है। किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि एक मध्यमवर्गीय आम आदमी बाल काटने की दुकान लगाने वाले का बेटा आईपीएल (IPL) में भी खेल सकेगा। लेकिन कुलदीप ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने का हर संभव प्रयास किया। आज की स्थिति यह है कि कुलदीप आईपीएल के 15वें संस्करण में खेलते हुए दिखाई देंगे। बेंगलुरू में आईपीएल नीलामी के दूसरे व आखिरी दिन 20 लाख रूपए के आधार मूल्य पर कुलदीप को राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा है। गौरतलब है कि कुलदीप के साथ ही सिवनी के आलराउंडर मो. अरशद खान भी आईपीएल में खेलते हुए दिखाई देंगे। अरशद को 20 लाख रूपए की कीमत पर मुंबई इंण्डियस ने खरीदा है। बाएं हांथ के तेज गेंदबाज अरशद पहली बार मप्र की रणजी ट्राफी टीम में भी चुने गए हैं।
हुनर को पहचाना और भेज दिया विवि स्टेडियम
बताया गया है कि कुलदीप के पिता रामपाल ने अपने बेटे के हुनर को बचपन में ही पहचान लिया था। बचपन में ही क्रिकेट का प्रशिक्षण लेने के लिए उसे विवि स्टेडियम भेज दिया था। यहां कोच एरिल एंथोनी के प्रशिक्षण की बदौलत कुलदीप का हुनर निखर कर सामने आ गया और वह बेहतरीन गेंदबाज बन गए।
कम किए खर्चे
अपने बेटे को बेहतर क्रिकेटर बनाए जाने का सपना पाले रामपाल ने अपने खर्चो में भी कटौती की। खर्चों में कटौती करने के बाद जुटाए गए पैसों से उन्होने बेटे को किट खरीद कर दी। इसके अलावा कोच एरिल एंथोनी ने भी कुलदीप के क्रिकेट के प्रति दीवानगी और आर्थिक स्थिति को देखते हुए उससे फीस नहीं ली।
बल्लेबाज से गेंदबाज का सफर
कुलदीप बल्लेबाज बनना चाहते थे। विवि में क्रिकेट की ट्रेनिंग के दौरान भी वह बल्लेबाजी ही सीखने के लिए तत्पर थे। लेकिन कोच की सलाह पर उन्होने गेंदबाजी शुरू की। देखते ही देखते उन्होने अपनी एक अलग पहचान बना ली।
बडे़ भाई ने किया प्रोत्साहित
सिवनी के अरशद की कहानी भी संघर्ष से भरी हुई है। बताते हैं कि 8 साल की उम्र में अरशद ने क्रिकेट मैदान में कदम रखा था। तीन भाई और एक बहन में सबसे छोटे अरशद को बडे़ भाई ने बहुत ही ज्यादा प्रोत्साहित किया। अरशद की माने तो कई बार तो वह परेशान हो जाता था। लेकिन बडे़ भाई ने मेरा हमेसा प्रोत्साहन किया। समय के साथ अरशद ने महज 14 साल की उम्र में अपने आलराउंडर क्रिकेट की बदौलत मप्र की जूनियर टीम में अपनी जगह बनाई। क्रिकेट के प्रति दीवानगी ऐसी कि प्रतिदिन 12 किलोमीटर साइकिल से सफर करके क्रिकेट मैदान आते थे। संघर्ष, प्रोत्साहन और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत अरशद का चयन आईपीएल में हो गया है।