रीवा

फटे मोजे की गेंद से प्रैक्टिस करने वाले फ़ास्ट बॉलर कुलदीप सेन की कहानी, जो अभी शुरू हुई है

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
5 Dec 2022 10:45 PM IST
Updated: 2022-12-05 17:24:19
फटे मोजे की गेंद से प्रैक्टिस करने वाले फ़ास्ट बॉलर कुलदीप सेन की कहानी, जो अभी शुरू हुई है
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रीवा के कुलदीप सेन की कहानी: कोई कहे कि गरीबी सपने पूरे नहीं होने देती तो उसे Kuldeep Sen की कहानी सुना देना

Story Of Kuldeep Sen: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक अनसुना सा गांव है 'हरिहरपुर' इस गांव के छोटे से परिवार में एक बच्चा रहता था जिसके सपने बहुत बड़े थे. पिता नाई का काम करते थे, मां घर में रहती थी. जितनी कमाई होती वो घर के पूरे राशन के लिए भी पर्याप्त नहीं होती थी. उस बच्चे को क्रिकेट खेलना अच्छा लगता था. लेकिन बैट-बॉल खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे. वह फटे हुए मोज़े की गेंद बनाकर और कपड़े धोने वाली मोगरी से प्रैक्टिस करता था. जब वो बड़ा हुआ तो पैरों का साइज़ बढ़ा, अब उसके पास पहनने के लिए जूते भी नहीं बचे थे.

क्रिकेट सीखने के लिए ना पैसे थे ना कोई पैसे देने वाला। उसके पास था तो सिर्फ वो सपना जिसे वह सच करने के लिए जान लगा देने को तैयार था. मगर एक वक़्त ऐसा आया जिसने उसे हताश कर दिया फिर भी वह परिस्थितियों के आगे झुका नहीं लड़ता रहा. 4 दिसंबर 2022 के दिन उसी फ़टे जूते पहनने वाले और फ़टे मोज़े की गेंद से खेलने वाले लड़के ने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया जिसे आज पूरा भारत कुलदीप सेन के नाम से जान रहा है.

कोई कहे कि गरीबी उसे सपने पूरे करने से रोकती है तो उसे रीवा के कुलदीप सेन की कहानी सुना देना

गली पिच से इंटरनेशनल मैदान तक कुलदीप का सफर

Biography Of Kuldeep Sen: बात 2011-12 की है कुलदीप अपने गांव का बेस्ट बॉलर बन गए थे. स्टेडियम में उनके नाम की चर्चा होती थी. वह डिस्ट्रिक लेवल क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए सेलेक्ट हो गए थे मगर मुकाबले में शामिल होने के लिए उन्हें दूसरे शहर में जाना था और वहां जाने के लिए भी कुलदीप के पास किराए के पैसे नहीं थे.


पिता को मालूम नहीं था कि बेटा क्रिकेट में दिलचस्पी रखता है. किराए के पैसे के लिए जब कुलदीप ने मां से 500 रुपए मांगे तो उन्होंने पिता से पैसे देने को कहा. कुलदीप के पिता ने पहले खूब डांट लगाई और फिर जेब से 500 रुपए निकालकर देते हुए कहा 'जीतकर आना'


कुलदीप ने इसके बाद कई टूर्नामेंट खेले मगर खर्च बढ़ता गया. मगर पिता ने अपनी गरीबी को कभी कुलदीप के सपनों पर हावी नहीं होने दिया। वे अपने दोस्तों से पैसे उधार लेकर कुलदीप को चमकाने में खर्च करते रहे. अब घर के बजट में राशन के पहले कुलदीप की ट्रेनिंग के लिए एक हीस्सा जमा किया जाने लगा था

क्रिकेट कोचिंग लेने के लिए फीस की जरूरत थी मगर कोच एरिल एंथनी ने उन्हें फ्री में ट्रेनिंग दी, कुलदीप के पास जूते नहीं थे तो पूर्व क्रिकेटर ईश्वर पांडे ने उन्हें अपने स्पाइक्स दिए. कुलदीप हर रोज़ 12 किमी साइकल चलाकर रीवा स्टेडियम में प्रैक्टिस करने के लिए आते थे.

जब क्रिकेट छोड़ने वाले थे कुलदीप

Success Story Of Kuldeep Sen: 2020 में कोरोना आया, टूर्नामेंट बंद हो गए, प्रैक्टिस भी कम हो गई. घर की सेविंग्स नहीं बचीं तब कुलदीप ने क्रिकेट छोड़ कुछ मालूम नौकरी करने और अपने सपने को भूल जाने की सोची। मगर उनके कोच ने हिम्मत दी और कोशिश जारी रखने के लिए हौसला बढ़ाया


कुलदीप की मेहनत और उनका साथ देने वालों की उम्मीदों ने रंग लाना शुरू कर दिया था. स्टेट लेवल तक पहुंचने के बाद कुलदीप का IPL Season 15 में सिलेक्शन हो गया और राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 20 लाख रुपए में हायर कर लिया। यहीं से उनकी निकल पड़ी

रीवा के कुलदीप सेन की कहानी, जो अभी शुरू हुई है

रीवा के कुलदीप सेन ने India Tour Of Bangladesh से अपने इंटरनेशनल क्रिकेट की पहली सीढ़ी चढ़ी. इंडिया मैच हार गई मगर कुलदीप ने लोगों का दिल जीत लिया। पहले मैच में उन्हें 5 ओवर डालने को मिले इन 30 गेंदों में कुलदीप ने 2 विकेट चटकाए और 37 रन दिए. जब कुलदीप विदेशी जमीन में देश के लिए खेल रहे थे तब उनके पिता रामपाल सेन अपनी दुकान 'फाइन हेयर कटिंग सैलून' में ग्राहकों की बाल काट रहे थे. वो अपने बच्चे का पहला मैच भी नहीं देख पाए क्योंकि उनके पास ना तो स्मार्टफोन है और ना दुकान में टीवी। लेकिन उनका आशीर्वाद और रीवा की जनता की उम्मीदें कुलदीप के साथ थीं.


कुलदीप सेन की कहानी इस मुकाम में पहुंच गई है जब उनका इतिहास रचने का समय आ गया है. कुलदीप रीवा से निकलने वाले पहले इंटरनेशनल क्रिकेटर हैं जिनके साथ 30 लाख लोगों की उम्मीदें जुडी हैं. कुलदीप की कहानी तो शुरू हुई है अभी उनका स्टार प्लेयर बनना बाकी है.

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