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रीवा में मासूमों की जान से खिलवाड़: ऑटो में ठूस-ठूसकर भरे जा रहे स्कूली बच्चे, कभी भी हो सकता है गंभीर हादसा, प्रशासन कर रहा नजरअंदाज
Rewa MP News: आटो में स्कूली बच्चों को भेड़, बकरियों की तरह ठूस-ठूसकर स्कूल पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में किसी भी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता। परिवहन विभाग व स्कूल संचालकों की अनदेखी के चलते बच्चों को जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने के लिए स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। छात्रों के अभिभावक जहां बच्चों को आटो की सुविधा मुहैया कराते हैं तो वहीं आटो चालक अपनी मनमानी पर उतारू हैं। उनको बच्चों की सुविधाओं से कोई लेना-देना है। उन्हें तो बस किसी तरह छात्रों को स्कूल तक पहुंचा देना है। रीवा जिले में स्कूली आटो की मनमानी का नमूना फोटोग्राफ देखकर ही लगाया जा सकता है।
जान जोखिम में डाल सफर कर रहे स्कूली बच्चे
स्कूल संचालकों द्वारा बच्चों को घर से लाने व स्कूल से उन्हें घर तक पहुंचाने के लिए बस व आटो की सुविधा मुहैया कराई जाती है। किन्तु वह इस ओर ध्यान नहीं देते कि बच्चे किस तरह सफर करके यहां पहुंचते हैं। बेपरवाह स्कूल संचालकों की बदौलत स्कूल बस व आटो संचालक अपनी मनमानी पर उतर आते हैं। ऐसे में वह मोटी कमाई के चक्कर में बच्चों की जान से खिलवाड़ करने से भी परहेज नहीं करते। आटो में बच्चों को ठूस-ठूसकर बैठाया जाता है। आटो चालकों को इस बात से कोई लेना-देना नहीं कि कहीं बच्चों को परेशानी तो नहीं हो रही। ऐसे में वह स्वयं दुर्घटना को आमंत्रण देते हैं।
परिवहन विभाग बना मूकदर्शक
परिवहन विभाग द्वारा भी स्कूल बस व आटो संचालकों के खिलाफ कभी कभार ही कार्रवाई की जाती है। जिससे स्कूली आटो संचालकों के हौंसले बुलंद हैं। सूत्रों की मानें तो आटो में क्षमता से अधिक बच्चों को लादकर स्कूल पहुंचाने की भनक परिवहन विभाग को भी है किंतु वह मूकदर्शक बना हुआ है। आलम यह है कि परिवहन विभाग की उदासीनता कभी भी गंभीर हादसे को आमंत्रण दे सकती है। परिवहन विभाग को चाहिए वह ऐसे आटो जो बच्चों को घर से स्कूल ले जाने व स्कूल से घर पहुंचाने का काम करते हैं उन पर पैनी नजर रखें। यदि आटो चालक क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाते पाए जाते हैं तो उन पर चालानी कार्रवाई करे तभी उनकी मनमानी पर लगाम लगाई जा सकती है और बच्चों की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सकता है।