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रीवा महापौर भाजपा प्रत्याशी चयन: पूर्व मंत्री ने कहा- क्या प्रज्ञा त्रिपाठी को जिताने की गारंटी प्रदेश अध्यक्ष लेंगे? और प्रबोध को मिली टिकट
रीवा महापौर भाजपा प्रत्याशी चयन: अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए लॉबिंग करना कोई नई बात नहीं है. रीवा महापौर प्रत्याशी के लिए भाजपा में भी कई नेता अपने समर्थक को टिकट दिलाने के लिए लॉबिंग करते हुए दिखें, लेकिन गेंद तो उसी के पाले में जाती है जो अपने समर्थक उम्मीदवार के जीत की पूरी गारंटी ले वो भी तब जब आप एक अभेद किले में भेद करने का कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते.
ऐसा ही कुछ हुआ था प्रदेश पार्टी कार्यालय में. रीवा से महापौर पद के प्रत्याशी के लिए भाजपा से 4 नामों पर मंथन शुरू हुआ. जिसमें प्रबोध व्यास के अलावा व्यंकटेश पांडेय, प्रज्ञा त्रिपाठी और संजय द्विवेदी शामिल थें. प्रज्ञा त्रिपाठी को विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का समर्थन मिला था, तो संजय द्विवेदी का भी नाम विधानसभा अध्यक्ष के कहने पर आगे किया गया था. इसके अलावा व्यंकटेश पांडेय और प्रबोध व्यास का समर्थन रीवा विधायक एवं पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने किया था.
बताते हैं कि संजय द्विवेदी ने महापौर की उम्मीदवारी लेने से साफ़ इंकार कर दिया. इसके बाद तीन ही नाम थें जिन पर मंथन शुरू हुआ. आखिरी वक्त तक प्रदेश अध्यक्ष प्रज्ञा त्रिपाठी पर अड़े रहें, लेकिन राजेंद्र शुक्ल के पार्टी को एक मैसेज ने चयन समिति को सोचने पर मजबूर कर दिया.
राजेंद्र शुक्ल ने जीत की गारंटी मांगी
सूत्रों के मुताबिक प्रज्ञा का नाम प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने चलाया था, लेकिन राजेंद्र शुक्ला ने पार्टी को संदेश दिया कि यदि वे अपने प्रत्याशी को जिताने की गारंटी लेते हैं, तो उन्हें आपत्ति नहीं है. इसके बाद शुक्ला को उम्मीदवार चयन करने के लिए फ्री हैंड मिला. इससे पहले शुक्ला ने व्यास को जिलााध्यक्ष बनवाने के लिए लॉबिंग की थी, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए थे. व्यास का मुकाबला अब कांग्रेस के अजय मिश्रा बाबा से होगा.
दरअसल, राजेंद्र शुक्ल का खुद का जनाधार है. वे 4 पंचवर्षीय से लगातार विधायक के तौर पर निर्वाचित हो रहें हैं. अपनी सीट के अलावा विंध्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को जीत दिलवाने का जिम्मा उनपर होता है इसका ऐतिहासिक सकारात्मक परिणाम भी 2018 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है. सिर्फ रीवा जिले की बात करें तो आठ की आठों विधानसभा भाजपा के पाले में गई थी. लिहाजा पार्टी को भी यह पता है कि महापौर पद के प्रत्याशी के लिए राजेंद्र शुक्ल की सहमति जरूरी है.
प्रबोध व्यास के नाम पर शुक्ल के अलावा रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने भी सहमति जताई. चयन समिति ने भी व्यास का स्वच्छ बैकग्राउंड देखते हुए प्रज्ञा का नाम किनारे कर दिया और प्रबोध व्यास को रीवा महापौर पद का उम्मीदवार बना दिया. (पढ़ें : कौन हैं प्रबोध व्यास? जिन्हे भाजपा ने बनाया रीवा का मेयर कैंडिडेट, कांग्रेस के अजय मिश्रा से होगा सीधा मुकाबला)