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आधुनिक खेती अपनाकर रीवा के सर्वेश बने लखपती तो वहीं धान की नर्सरी से सुरेन्द्र बने मालामाल
आधुनिक खेती अपना कर मध्य प्रदेश के युवा किसान मालामाल हो रहे हैं। रीवा के कपसा स्थित अमरा ग्राम के सर्वेश का जीवन उन्नत खेती से बदल गया। सर्वेश ने बताया कि उनके पास 6 एकड़ जमीन है पारम्परिक रूप से खेती करने के कारण हर वर्ष कम फसल उत्पादन होने से मायूस होना पड़ता था एक साल भी मन माफिक फसल का उत्पादन नहीं हुआ। इससे सबसे बड़ी कमी यह आयी कि खेती से आय काफी कम हो गई। जिससे अचानक जीवन स्तर में बदलाव आया और अभावों के बीच जीवन यापन करना पड़ रहा था।
सर्वेश ने बताया कि इसी बीच कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक ने वैज्ञानिक विधि से खेती करने तथा खेती में यंत्रीकरण का उपयोग करने की सलाह दी। उनकी सलाह मानकर मैने प्रमाणित बीज खरीदें, खेती में जैविक खाद का उपयोग किया और बीच-बीच में फसल में लगे कीड़ों का उपचार किया। इससे पहली बार 114 क्विंटल धान, 102 क्विंटल गेंहू, 3.5 Ïक्वटल काला चना, 5 क्विंटल अलसी, 2 क्विंटल सरसों का उत्पादन हुआ। सर्वेश ने बताया कि खेती के साथ डेयरी उद्योग प्रारंभ किया डेयरी में 5 हजार Ïक्वटल दूध का उत्पादन होता है।
प्रतिदिन 25 हजार रूपये की आय तो दुग्ध उत्पादन से ही हो जाती थी। खेती से कुल 3.17 लाख रूपये की आय हुई। अब मैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ने भेजता हूं। परिवार की स्थिति में सुधार हुआ है। मेरे लिये खेती लाभ का धंधा साबित हुई है। उन्होंने कहा कि मेरी तरह सभी किसानों को वैज्ञानिक ढंग से खेती करना चाहिये।
धान की नर्सरी से सुरेन्द्र बने मालामाल
खेती में नवाचार अपनाकर सुरेन्द्र कुमार के जीवन में नई खुशियां आ गई हैं। सिरमौर के ग्राम गोधा के सुरेन्द्र कुमार 2 एकड़ भूमि के स्वामी होते हुये भी अभावों में जीवन बसर कर रहे थे।
इसका कारण था कि कड़ी मेहनत मशक्कत करने के बाद भी खेती से सुरेन्द्र के जीवन में कोई अशातीत परिवर्तन नहीं आया था। उनकी जमीन में धान 41 क्विंटल, गेंहू 18 क्विंटल तथा चना केवल 4 क्विंटल ही होता था। इन फसलों से उन्हें 50 हजार रूपये की आय ही हो पाती थी। इतनी कम आय प्राप्त होने से सुरेन्द्र ने अभाव की जिंदगी में जीना सीख लिया था।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से सलाह लेने पर उन्होंने खेती में नवाचार करने की सलाह दी और धान की नर्सरी लगाने कि विधि समझाई। 80 एकड़ में धान की नर्सरी लगाने पर 2.40 लाख Ïक्वटल धान का उत्पादन हुआ। धान के उत्पादन से 29.80 लाख रूपये की आय हुई।
उपरोक्त आय से सुरेन्द्र के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन आया उनका जीवन बदल गया। वे अपने बच्चों को अच्छे स्कूल भेजते है। सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि खेती से हुई आय से जीवन खुशहाल बन गया। अब किसी प्रकार की कोई कमी नही है। नवाचार करने से खेती करने के लिये नई राह आसान बन गई। उन्होंने कहा कि खेती में नवाचार करना बहुत फायदे मंद साबित हुआ है।