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रीवा की 'निशा' ने सरकारी नौकरी की तैयारी छोड़ शुरू किया खुद का कारोबार, अब है लाखो का टर्नओवर
Rewa MP News: नियतिः यह एक ऐसा शब्द है जिसके आगे सब निरूत्तर हो जाता है। व्यक्ति करना तो कुछ चाहता है, लेकिन नियति जो चाहती है होता भी वही है। कोई इसे किस्मत कहता है तो कोई भाग्य। शब्द अलग है, लेकिन अर्थ एक। कुछ ऐसी ही कहानी है रीवा की रहने वाली निशा जायसवाल की। भोपाल में बीकॉम की पढ़ाई करने के बाद निशा के मन में बैंकर बनने का ख्याल आया। तैयारी भी की।
लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि निशा को भोपाल से रीवा आना पड़ा। यहां आने के बाद निशात के भविष्य की राह ही बदल गईं अब निशा गोबर से धूप बनाने का काम करती है। इससे जहां उन्हें आत्मिक संतुष्टि मिलती है वहीं आज वह लाखों रूपए की आय प्राप्त कर रही है।
निशा ने बताया क भोपाल में बीकॉम करने के बाद इंदौर में बैंकिंग परीक्षा की तैयारी शुरू की थी। लॉकडाउन लगने के कारण रीवा आना पड़ा। घर आने के बाद ख्याल आया कि क्यों न कुछ अलग काम किया जाय। इसी बीच कुछ नया करने की धुन में ख्याल आया कि गोबर से भी कुछ किया जा सकता है। अचानक से कौंधे इस विचार को अमलीजामा पहनाने के लिए निशा ने अपना प्रयास शुरू कर दिया।
घर पर ही गोबर से धूप बनाने का प्रयास किया, लेकिन शुरूआत मे ंसफलता नहीं मिली। लेकिन हार न मानते हुए निशा ने प्रयास जारी रखा, अध्ययनन और सोसल मीडिया से जानकारी उटाने के बाद निशा ने फिर से प्रयास किया। इस बार निशा को निराशा नहीं मिली और आखिरकार गोबर से धूप बनाने मे निशा को कामयाबी मिल ही गई। निशा की माने तो अभी एक साल में 3 से 4 लाख रूपए तक की आमदनी गोबर का धूप बेचने के बाद हो जाती है।
प्रति माह 3 हजार पैकेट की खपत
बताया गया है कि शुरूआत में ज्यादा पैसे न होने के कारण निशा ने हांथ से ही धूप बनाई, खुद पैकिंग की और उसे सेंपल के लिए दुकानदारों को दिया। इसमें निशा के पिता नवल किशोर, मां उमा सहित बडे़ भाई सुधाकर ने सहयोग किया। अच्छा रिस्पांस मिलने पर निशा ने एक मशीन लगवा ली। गौरतलब है कि निशा के भाई सीए हैं। जिनके सहयोग से निशा ने मशीन खरीद कर काम को आंगे बढ़ाया। निशा ने एक वर्कर और दो सेल्समैन को भी काम में रखा है। इस समय प्रतिमाह 3 हजार धूप की खपत बाजार में हो रही है।
जबलपुर-इंदौर में भी मांग
निशा द्वारा बनाए गए गोबर के धूप की डिमांड रीवा मे तो है ही साथ ही इसकी मांग जबलपुर और इंदौर में भी है। गौरतलब है कि गोबर की धूप को वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट में शामिल किया गया है। रीवा स्टेशन मे इसका स्टॉल भी लगता है।