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बद्रीनाथ से रीवा का समाप्त हुआ अस्तित्व, 4 करोड़ 52 लाख में बेच दी गई रीवा की सम्पत्ति
Rewa Badrinath Dham News: देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल बद्रीनाथ धाम से रीवा का अस्तित्व अब सामाप्त हो गया है। बद्रीनाथ में स्थित रीवा की सम्पत्ति को 4 करोड़ 52 लाख में बेचे जाने की जानकारी रीवा के सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं अधिवक्ता बीके माला ने मीडिया को दी है। उन्होंने बताया कि बद्रीनाथ धाम में रीवा के लक्ष्मणबाग संस्थान के नाम से जो सम्पत्ति थी, उसकी कीमत 4 करोड़ 52 लाख रूपये रीवा प्रशासन ने ले ली है। जो सम्पत्ति बिक्री हुई है। उसका चेक मिला है जो कि रीवा प्रशासन के पास जमा किया है।
इसकी हुई बिक्री
बीके माला ने बताया कि लक्ष्मणबाग संस्थान के नाम से देश भर में रीवा के राजपरिवार के द्वारा सम्पत्ति की खरीदी की गई थी। उसी के तहत ब्रदीनाथ धाम में जमीन की खरीदी करके वहां 30 दुकानें, धर्मशाला एवं गौशाला का निर्माण करवाया गया था। जो कि अब बिक्री हो गया है।
जमीन के बदले जमीन
बीके माला ने कहा कि ब्रदीनाथ जैसे प्रमुख तीर्थ स्थल से रीवा का नाम सामाप्त करने के बजाए उक्त जमीन के बदले प्रशासन को जमीन लेनी चाहिए थी। जिससे रीवा राज का नाम होने के साथ ही यहां के लोगो को बद्रीनाथ धाम जाने पर इसकी सुविधा भी मिल पाती, लेकिन लक्ष्मणबाग प्रबंधन एवं यंहा के प्रशासन ने उक्त जमीन की कीमत लेकर वहां से रीवा राज का नाम की सामाप्त कर दिया।
बताया जा रहा है कि ब्रदीनाथ धाम में निर्माण कार्य के चलते जो भी स्थान उसमें आ रहे है उसे हटाया जा रहा है। बीके माला ने कहा कि निर्माण कार्य होना चाहिए, लेकिन उक्त जमीन के बदले रूपये के बजाए दूसरी जमीन ली जानी चाहिए थी।
रीवा के राजा ने खरीदी थी सम्पत्ति
बीके माला ने बताया कि बद्रीनाथ धाम में रीवा के राजा ने लक्ष्मणबाग संस्थान के नाम से जमीन की खरीदी की थी। वहां पर दुकान और धर्मशाला एवं गौशाला का निर्माण करवाया था। जिससे लक्ष्मणबाग को इंकम होने के साथ ही रीवा के लोग जब कभी बद्रीनाथ धाम जाए तो उन्हे रूकने के लिए एक सुगम स्थान मिल सकें और यहां के लोग पेरशान न हो, लेकिन अब बद्रीनाथ धाम की सम्पत्ति बिक्री हो जाने से वहां रीवा राज्य का कोई भी स्थान नहीं रह गया है। ज्ञात हो कि देश भर के धार्मिक स्थलों में रीवा राजपरिवार ने लक्ष्मणबाग संस्थान के नाम से सम्पत्ति की खरीदी करके साधू संतो के साथ रीवा के लोगो को सुविधा बनाई थी, लेकिन अब उक्त सम्पत्तियों को खुर्द-बुर्द किया जा रहा है।