रीवा

REWA : जहां से सब टूट जाते हैं यमुना प्रसाद शास्त्री ने वहीं से प्रारंभ किया, 24वीं पुण्यतिथि मनाई गई

News Desk
21 Jun 2021 11:31 PM IST
REWA : जहां से सब टूट जाते हैं यमुना प्रसाद शास्त्री ने वहीं से प्रारंभ किया, 24वीं पुण्यतिथि मनाई गई
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रीवा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यमुना प्रसाद शास्त्री की 24वीं पुण्यतिथि 20 जून को मनाई गई। कार्यक्रम का आयोजन नेत्रहीन विद्यालय एवं शास्त्री जी की समाधि स्थली पर किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व विधायक राजेंद्र मिश्र ने कहा कि यमुना प्रसाद शास्त्री संघर्ष की मिशाल हैं। उन्होंने कहा कि जहां से सब टूट जाते हैं अर्थात नेत्रहीन होने के बाद शास्त्री जी ने वहीं से प्रारंभ किया और रीवा राजघराने के राजा-रानी दोनों को प्रजातंत्र के जनमत का विश्वास अर्जित कर लोगों को यह दिखा दिया कि दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे बाकी का कोई महत्व नहीं है।

रीवा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यमुना प्रसाद शास्त्री की 24वीं पुण्यतिथि 20 जून को मनाई गई। कार्यक्रम का आयोजन नेत्रहीन विद्यालय एवं शास्त्री जी की समाधि स्थली पर किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व विधायक राजेंद्र मिश्र ने कहा कि यमुना प्रसाद शास्त्री संघर्ष की मिशाल हैं। उन्होंने कहा कि जहां से सब टूट जाते हैं अर्थात नेत्रहीन होने के बाद शास्त्री जी ने वहीं से प्रारंभ किया और रीवा राजघराने के राजा-रानी दोनों को प्रजातंत्र के जनमत का विश्वास अर्जित कर लोगों को यह दिखा दिया कि दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे बाकी का कोई महत्व नहीं है।

उन्होंनेआगे कहा कि शास्त्री जी गए जिले संभाग से अनशन जेल भरो आंदोलन को साथ ले गए। श्री मिश्र ने कहा अभाव में भी हौसला कैसे बना कर रखना है यह शास्त्री जी से सीखना चाहिए। आज लोगों का संघर्ष सिर्फ अपने-अपने घरों तक सीमित रह गया है। श्री मिश्र ने शास्त्री जी के संघर्षो को याद करते हुए संस्मरण सुनाये। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी के अनुयाइयों की लंबी लााइन है। उनकी राजनीतिक सादगी को लोग आज भी याद करते हैं।

उन्होंने कहा कि यदि लोग शास्त्री जी के संघर्षो का थोड़ा भी अनुसरण करें उनका जीवन सफल हो जायेगा। इस अवसर पर उनके अनुयायियों में बृहस्पति सिंह, लाल बहादुर सिंह, पूर्व जनपद अध्यक्ष रायपुर कर्चुलियान, प्राचार्य सिरमौर श्री गौतम, देवेंद्र शास्त्री, गरिमा पांडे प्राचार्य सिमरिया, राजेंद्र पाण्डेय, भैयालाल आदि ने भी अपने विचार रखे एवं शास्त्री जी को याद किया।

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