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रीवा में दो दर्जन मजदूरों को बंधक बनाकर कराया जा रहा था काम, पुलिस व श्रम विभाग की टीम ने कराया मुक्त
मध्यप्रदेश के रीवा जिले में बिहार व छत्तीसगढ़ से चोरहटा उद्योग विहार स्थित एक बोरी फैक्ट्री में काम करने आए दो दर्जन से अधिक श्रमिकों को बंधक बनाकर काम कराए जाने का मामला प्रकाश में आया है। रात में श्रमिकों ने हेल्प लाइन के जरिए प्रशासन को सूचना दी जिसके बाद रात में ही श्रम विभाग व पुलिस टीम ने फैक्ट्री में दबिश देते हुए बंधक बनाए गए सभी दो दर्जन मजदूरों को मुक्त कराया है। सभी मजदूरों से चोरहटा पुलिस बयान दर्ज करा रही है।
क्या है मामला
इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक औद्योगिक क्षेत्र चोरहटा में कई बड़े उद्योग संचालित हो रहे हैं। इन उद्योगों में काम करने के लिए बिहार एवं छत्तीसगढ़ से श्रमिक मंगाए जाते हैं। दलालों से सांठगांठ कर बाहरी राज्यों से श्रमिकों को काम कराने के लिए लाया तो जाता है लेकिन फैक्ट्री संचालक उन्हें न तो समय पर भोजन देते हैं और न ही वेतन। यही नहीं प्रताड़ित भी किए जाने का मामला कई बार सामने आ चुका है। शुक्रवार को चोरहटा थाना क्षेत्र अंतर्गत संचालित होने वाली ओआरएम कंपनी जिसमें सीमेंट की बोरियां बनाई जाती हैं जिसके संचालक दीपक टेकरीवाल पर श्रमिकों ने बंधक बनाने का आरोप लगाया। बताया गया है कि बिहार व छत्तीसगढ़ से 3 व 4 सितम्बर को दो दर्जन श्रमिक गांव के ही रहने वाले एक युवक के माध्यम से बोरी फैक्ट्री में काम करने के लिए आए थे। श्रमिकों का आरोप है कि जिस दिन से वह काम करने पहुंचे, उसी दिन से कंपनी संचालक द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा था।
पैसा नहीं देने का आरोप
श्रमिक राजू कुमार एवं संदीप कुमार ने बताया कि उनके द्वारा कंपनी मालिक से पैसे की मांग की गई तो उसने पैसे नहीं दिए। इतना ही नहीं श्रमिकों के पास आकर सभी मोबाइल छीन लिए गए और उन्हें कंपनी से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था। बल्कि बंधक बना लिया गया था। घर वालों से बात नहीं कर पा रहे थे तथा भोजन. पानी भी नहीं मिल रहा था। पीड़ितों ने बताया कि उनके किसी एक साथी के पास मोबाइल था, उसके मोबाइल से रात में हेल्प लाइन के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायत दर्ज होते ही रात में ही चोरहटा पुलिस एवं श्रम विभाग के अधिकारी ओएसएम कंपनी पहुंचे और गेट खुलवाकर बंधक बनाए गए सभी दो दर्जन श्रमिकों को बाहर निकाला गया है। चोरहटा थाना लाए गए सभी श्रमिकों के बयान चोरहटा पुलिस दर्ज कर रही है। गौरतलब है कि इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। यदि श्रमिक पदाधिकारी नियमित तौर पर जांच करें तो और भी मामलों का खुलासा हो सकता है।