रीवा

Rewa: अधूरी पड़ी नहर को खोदने के लिए आगे आए ग्रामीण! सरकारी घोषणा तक सिमित रह गई परियोजनाएं

Rewa: अधूरी पड़ी नहर को खोदने के लिए आगे आए ग्रामीण! सरकारी घोषणा तक सिमित रह गई परियोजनाएं
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Rewa:मामला रीवा जिले के गंगेव जनपद और सिरमौर तहसील के सिसवा लालगांव टेहरा ग्राम क्षेत्र का है.

REWA: ग्रामीण क्षेत्रों में आमजन और किसानों के लिए शुरू की गईं नहर परियोजनाएं सिर्फ सरकारी घोषणाएं बनकर रह गई हैं. गर्मी का मौसम शुरू हुए महीना बीत गया है, भूजल स्तर कम होने लगा है. नहरों-तालाबों में पानी की कमी होने लगी है. ऐसे में किसानों के पास अधूरी पड़ी सुखी हुई नहरों को निहारने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है. 24 अप्रैल को पीएम मोदी रीवा आने वाले हैं, यहां से पीएम 7 हजार करोड़ से अधिक की सिंचाई और जल जीवन मिशन परियोजनाओं का शिलान्यास करने वाले हैं. लेकिन रीवा जिले में जब पुरानी परियोजनाएं ही नहीं पूरी हो पाईं तो नई वाली कबतक पूरी होंगी इसका भगवान मालिक है.

नहर खोदने के लिए आगे आए ग्रामीण

जल जीवन जागरण यात्रा के तहत तीसरी बार रीवा जिले के गंगेव जनपद और सिरमौर तहसील के सिसवा लालगांव टेहरा ग्राम क्षेत्र में दशकों से अधूरी पड़ी नहर की खुदाई न हो पाने और पानी न मिलने के कारण ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया और देखते ही देखते गैंती-फावड़ा-तगाड़ी लेकर स्वयं ही नहर में उतर पड़े। यह मामला था अधूरी पड़ी रीवा की नहरों का जहां ठेकेदार और कमीशनखोर अधिकारियों की मदद से दशकों पूर्व राशि का बंदरबांट कर लिया गया और अब गांव वाले पानी के लिए परेशान हैं। गांव वालों का कहना है कि यदि नहर आ जाती तो भूमि का जल स्तर भी बढ़ता जिससे उन्हें आसानी से पीने का पानी उपलब्ध होता और सिंचाई की भी व्यवस्था हो पाती लेकिन उनकी जमीन को बर्बाद कर खोदकर छोड़ दिया गया इसमें आए दिन दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं और नहर में पानी दूर का सपना रह गया है।

अब जब 24 अप्रैल 2023 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 हजार करोड़ से अधिक सिंचाई और जल जीवन मिशन की परियोजनाओं की घोषणा कर शिलान्यास करने के लिए आ रहे हैं ऐसे में गांव वालों ने एक बार पुनः मोर्चा खोल लिया है और विभिन्न माध्यमों से अपनी बात सरकार के पास तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं और उसी श्रृंखला में तीसरी बार प्रदर्शन करते हुए हाथ में गैंती और फावड़ा उठाया और महिलाओं सहित नहर में कूद पड़े।

सभी योजनाएं इसी प्रकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जाएंगी

इस बीच सोशल एक्टिविस्ट शिवानंद ने कहा कि सरकार घोषणाओं पर घोषणाएं कर रही हैं लेकिन कहीं भी इनकी घोषणाएं क्रियान्वित नहीं होती दिख रही। अब इस नहर वाले मामले को ही ले लिया जाए तो एक दशक पूर्व नहरों को अधूरा खोदकर ठेकेदार के द्वारा छोड़ दिया गया और वरिष्ठ पदों पर बैठे हुए कमीशनखोर आला अधिकारी बंदरबांट करवा दिए।

अब दिक्कत यहां हो रही है कि जब तक इस भ्रष्टाचार की जांच नहीं होती और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती तो आने वाली सभी योजनाएं इसी प्रकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जाएंगी क्योंकि जब सही तरीके से मॉनिटरिंग ही नहीं की जाएगी और जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग नहीं रोका जाएगा तब तक चाहे जितना भी घोषणाएं कर दी जाए जितना भी बजट आवंटित कर दिया जाए वह सब बजट कमीशनखोर अधिकारियों ठेकेदारों और नेताओं की जेब भरने में ही चला जाएगा उनका कहना था कि आज सबसे बड़ी दिक्कत भ्रष्टाचार है जिस पर लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है।


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