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रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने रचा नया कीर्तिमान: विश्व का सबसे छोटा लीडलेस पेसमेकर लगाकर मरीज की बचाई जान, मुख्यमंत्री सहायता कोष से हुआ उपचार
रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। डॉक्टरों ने यहां एक मरीज के दिल में विश्व का सबसे छोटा और जटिल Leadless Pacemaker लगाकर उसकी जान बचाई। यह डिवाइस इतनी छोटी होती है कि यह एक कैप्सूल के बराबर होती है।
मरीज की थी गंभीर हालत
सतना की रहने वाली 62 वर्षीय जमीला बेगम पिछले 1 साल से दिल की बीमारी से पीड़ित थीं। उन्हें कई बार पेसमेकर इम्प्लांट किया जा चुका था, लेकिन हर बार पेसमेकर पॉकेट से बाहर आ जाता था। इस बार जब वह रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डॉ. एस.के. त्रिपाठी के पास आईं, तो उनकी हालत काफी गंभीर थी। उनके दिल की धड़कन बहुत कम थी और उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।
Leadless Pacemaker से बची जान
डॉ. त्रिपाठी ने जांच के बाद पाया कि मरीज की जान बचाने के लिए Leadless Pacemaker ही एकमात्र उपाय है। यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है जो आमतौर पर बड़े शहरों में ही की जाती है। लेकिन डॉ. त्रिपाठी ने अपनी टीम को इसके लिए प्रशिक्षित किया और 3 घंटे की लंबी ऑपरेशन के बाद मरीज के दिल में सफलतापूर्वक Leadless Pacemaker इम्प्लांट कर दिया।
मुख्यमंत्री सहायता कोष से मिली मदद
Leadless Pacemaker की कीमत करीब 8 लाख रुपये होती है। मरीज की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण डॉ. त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल से मदद मांगी। उपमुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री सहायता कोष से 2 लाख रुपये की अनुदान राशि मंजूर की, जिससे मरीज का इलाज संभव हो पाया।
मध्य प्रदेश में तीसरा Leadless Pacemaker
यह मध्य प्रदेश में तीसरा Leadless Pacemaker इम्प्लांट है और रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में यह पहला मामला है। इससे पहले डॉ. त्रिपाठी ने खुद ही दो Leadless Pacemaker इम्प्लांट किए हैं।
डॉ. त्रिपाठी ने दी यह सलाह
डॉ. त्रिपाठी ने हार्ट फेलियर के मरीजों को सलाह दी है कि वे अपने डॉक्टर से Leadless Pacemaker के बारे में ज़रूर बात करें और इंटरनेट पर मिलने वाली भ्रामक जानकारी से बचें।