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रीवा न्यूज: गोविंदगढ़ पुलिस ने पकड़ा शातिर सटोरिया, क्वाइन बेचकर खिलाता था सट्टा; खाते में मिले 50 लाख
रीवा: कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान खाली बैठे युवक ने ऑनलाइन सट्टे का कारोबार शुरू कर दिया। जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो उसके खाते में जमा रकम देखकर पुलिस के भी होश उड़ गए। पुलिस ने आरोपी की कार बरामद की है और उसके बैंक खाते को सीज कर दिया है। कारोबार से अभी तक उसने कितनी सम्पत्ति अर्जित की है, इस बात का पुलिस पता लगा रही है।
ऑनलाइन सट्टे की सूचना मिलने के बाद रीवा पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह ने गोविंदगढ़ थाना प्रभारी शिवा अग्रवाल को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। पुलिस करीब हफ्ते भर से संदिग्ध सटोरिए को ट्रेस करने में लगी थी। पुलिस को गोविंदगढ़ तालाब के किनारे एक कार के संदिग्ध अवस्था में खड़े होने की सूचना मिली जिसमें कुछ युवक बैठे हुए थे। पुलिस ने मौके पर पहुंच गई जिसे देखकर दो आरोपी फरार हो गए। लेकिन पुलिस ने कार के अंदर बैठे एक युवक को पकड़ लिया गया। उसे अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई तो आनलाइन सट्टे के कारोबार का पर्दाफाश हो गया।
पकड़े गए आरोपी की पहचान अवनीश द्विवेदी पिता नरेन्द्र द्विवेदी निवासी बांसा थाना गोविन्दगढ़ के रूप में हुई। थाने लाकर उसके बैंक एकाउंट की जानकारी ली गई तो खाते में 50 लाख रुपए मिले जिसे पुलिस ने तत्काल सीज करवा दिया। आरोपी के पास से बीस लाख की कार व महंगा मोबाइल बरामद हुआ है। उक्त आरोपी सामान्य किसान के घर का लड़का है और स्टेनो स्पेशलिस्ट है।
खाते की डिटेल से सामने आएगी जानकारी
गोविंदगढ़ थाना पुलिस के मुताबिक़, उक्त आरोपी ने करीब तीन साल पूर्व कारोबार शुरू करने की जानकारी दी है। अभी तक उसने सट्टा कारोबार से कितने रुपए कमाए हैं, इस बात का पता लगाने के लिए उसके खाते की डिटेल बैंक से मंगाई जा रही है। अभी तक उसके खाते में कितने का लेनदेन हुआ है इसका खुलासा बैंक से स्टेटमेंट मिलने के बाद ही हो पाएगा। जो कार आरोपी के पास से मिली है वह भी सट्टा कारोबार से ही खरीदी गई है।
ऐसे खेलवाता था सट्टा
आरोपी साइड में ऑनलाइन क्वाइन बेचता था, जिसके बदले उसको कमीशन मिलता था। इस क्वाइन से लोग सट्टा खेलते थे। लोग हारे या जीते इससे उसके कमीशन में कोई फर्क नहीं पड़ता था। यही कारण है कि सट्टे के कारोबार में उसकी आमदनी हमेशा होती थी और खाते में उसने इतनी बड़ी रकम तीन सालों में ही जमा कर ली। पूरा कारोबार उसका मोबाइल पर ही चलता था और रकम सीधे खाते में ट्रांसफर हो जाती थी।