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Rewa New Collector: मनोज पुष्प होंगे रीवा के नए कलेक्टर, इलैयाराजा टी का जबलपुर हुआ तबादला
Rewa New Collector Manoj Pushp: मध्यप्रदेश सरकार ने बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारीयों का तबादला किया है, जिसमे रीवा जिले के कलेक्टर इलैयाराजा टी का भी ट्रांसफर लिस्ट में नाम है. उनका ट्रांसफर अब जबलपुर डिस्ट्रिक में बतौर डीएम (District Magistrate) कर दिया गया है और रीवा में कलेक्टर की कुर्सी संभालने के लिए मनोज पुष्प का ट्रांसफर अलीराजपुर से किया गया है।
रीवा के कलेक्टर इलैयाराजा टी के स्थानांतरित होने से उनके चाहने वालों को झटका लगा है ज़ाहिर है इलैयाराजा अपनी कार्यप्रणाली के लिए हमेशा सुर्ख़ियों में बने रहते हैं। उन्होंने रीवा में खनिज माफिया, भू माफिया समेत कई अवैध कारोबारों पर कड़ा एक्शन लिया था। उनके कार्यकाल में जिले के अराजक तत्व भी बिल में घुस गए थे। अब इलैयाराजा टी जलबपुर जिले में बतौर कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं देंगे।
कौन हैं रीवा के नए कलेक्टर (Rewa New Collector)
इलैयाराजा टी का ट्रांसफर जबलपुर हुआ है अब रीवा जिले के नए कलेक्टर मनोज पुष्प होंगे जो इससे पहले अलीराजपुर में पोस्टेड थे, जो जल्द ही रीवा की कमान संभालेगें। (यहां क्लिक कर रीवा रियासत का ऑफिसियल Google App अपने मोबाइल में डाउनलोड करें और लेटेस्ट न्यूज़ की अपडेट सबसे तेज पाएं)
कर्तव्य के प्रति गंभीर हैं मनोज पुष्प
बताया जाता है कि IAS मनोज पुष्प एक गंभीर और कर्मठ स्वभाव के अधिकारी हैं, जहां-जहां उन्होंने अपनी सेवाए दी हैं ववहां उन्होंने अपराध और माफिया राज में लगाम लगा दी थी। मनोज पुष्प की कार्यप्रणाली तब सुर्ख़ियों में आई थी पिछले साल मार्च में उन्होंने अपनी अस्वस्थ मां को हॉस्पिटल में वेंटिलेटर में छोड़ कर कोविड प्रभारी मंत्री हरदीप सिंह डंग की बैठक में शामिल होने के लिए गए थे। उन्होंने यह बात किसी को भी नहीं बताई थी।
जब वो बैठक में गंभीर मामलों में मीटिंग ले रहे थे तभी उनकी पत्नी ने उन्हें फोन में मैसेज कर मां के दुःखद निधन की जानकारी दी थी. लेकिन IAS मनोज पुष्प VC ख़त्म होने तक बैठक छोड़कर नहीं गए. अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद मनोज पुष्प ने अपनी मां स्व-स्नेह प्रभा का अंतिम संस्कार किया।
इतना ही नहीं कोरोना के माहौल में दुःख व्यक्त करने आने वाले लोगों को भी घर आने से रोक दिया था और घर के बाहर कोई शोक मानाने ना आए का पोस्टर लगा दिया था क्योंकी अगर कलेक्टर स्वयं शोक में बेथ जाते तो कोरोना के वक़्त उनके जिले की हालत बिगड़ने लगती।