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REWA: रीवा के स्टेचू चौराहे से महाराजा व्यंकट रमण की तलवार चोरी हो गई, घोड़े की नाल को भी तोड़ दिया
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महाराजा व्यंकट रमण की तलवार चोरी: मध्य प्रदेश के रीवा शहर (Rewa) के बीचोबीच घोडा चौरहे में मौजूद महाराजा व्यंकट रमण सिंह जूदेव की प्रतिमा में लगी तलवार चोरी हो गई. महाराजा व्यंकट रमण के घोड़े शहनाज की लगाम को भी चोरी करने का प्रयास किया गया. इस घटना की खबर लगते ही रीवा शहर से लेकर राजघराने में हड़कंप मच गया और दुःख भी हुआ. कि कैसे कुछ बदमाश सरेआम रीवा रियासत के इतिहास से जुडी धरोहरों को बर्बाद कर रहे हैं और यहां का प्रशासन हाथ में हाथ घरे बैठा है.
महाराजा व्यंकट रमण की तलवार चोरी हो गई
मामला एमपी के प्रिंसली स्टेट रीवा का है, रीवा सिटी में एक घोडा चौराहा नाम का स्थान है जिसे स्टैचू चौराहा कहते हैं. यहां रीवा राजघराने के महाराज, महाराजा व्यंकट रमण सिंह जु देव और उनके अजीज घोड़े शहनाज की प्रतिमा दशकों से स्थापित थी. प्रतिमा में महाराजा की जो तलवार थी वो किसी ने तोड़कर चुरा ली और घोड़े की लगाम भी तोड़ डाली। इसी के साथ रीवा राजघराने के इतिहास से जुडी एक और धरोहर खंडित हो गई.
प्रतिमा में असली तलवार नहीं थी, वह उसी धांतु से बनी थी जिससे घोड़े और महाराज की प्रतिमा का निर्माण हुआ था. चोर उस तलवार का क्या करेंगे कोई नहीं जनता। ऐसा लग रहा है कि सिर्फ और सिर्फ प्रतिमा को खंडित करने के मकसद से यह घटिया करतूत को अंजाम दिया गया है.
कब चोरी हुई नहीं मालूम
तलवार किस दिन तोड़ी और चोरी की गई किसी को कुछ नहीं मालूम, वो तो एक सड़क में दूकान लगाने वाले व्यापारी की नज़र प्रतिमा में पड़ गई तो यह मामला सामने आया, वरना कभी किसी को पता ही ना चलता कि महाराजा की तलवार को बदमाशों ने चुरा लिया है.
पुलिस को कुछ नहीं पता
रीवा पुलिस को इस मामले में कुछ नहीं मालूम है, मिडिया रिपोर्ट से पुलिस को इस बारे में पता चला है. लोकल मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रीवा की पुलिस के संज्ञान में यह मामला अबतक नहीं पंहुचा है और ना ही इसके लिए कोई जांच शुरू की गई.
CCTV में कुछ दिखा?
शहर में बड़े-बड़े CCTV लगे हैं, हो सकता है कि स्टेचू चौराहे में भी एक-आध CCTV कैमरा लगे हों और उसकी मदद से चोरों का पता लगाया जा सके. लेकिन यह घटना कब अंजाम दी गई है यह किसी को मालूम ही नहीं है.
रीवा राजघराने को भी कोई मतलब नहीं
इस घटना के बाद अबतक रीवा राजघराने से भी कोई बयान सामने नहीं आया है. जबकि यह राजपरिवार की ही असली विरासत है.
पहले शिलापट्टिका चोरी हुई थी
इस घटना से पहले भी महाराजा व्यंकटरमण की प्रतिमा के नीचे लगी शिलापट्टिका को चोरी कर लिया गया था, लेकिन उसे किसने चुराया और वो शिलापट्टिका कहां गई पुलिस नहीं पता कर पाई.
लंदन से आई थी प्रतिमा
बता दें कि घोडा चौरहा में स्थापित महाराजा व्यंकट रमण और उनके खास घोड़े 'शहनाज' की प्रतिमा को लंदन से मंगवाया गया था. सन 1905 में काबुल के सौदागर का रीवा आना हुआ था, उन सौदागरों से ही महारजा ने शहनाज नामक घोड़े को खरीदा था. महाराजा का घोडा वेल ट्रेंड था. इतिहासकार शहनाज की तुलना महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक से करते थे.
1918 में महाराजा व्यंकट रमण का देहांत हो गया , जिससे शहनाज को गहरा सदमा लगा था. एक सप्ताह तक शहनाज ने अन्न-जल का त्याग कर दिया था. तब महारजा गुलाब सिंह ने उसे पाला-पोसा था. बाद में 1934 में शहनाज की मृत्यु हो गई थी. शहनाज की विदाई गार्ड ऑफ़ ऑनर से हुई और उसकी समाधी एसएफ ग्राउंड में बनवाई गई.
घोडा चौराहा में महारजा और उनकी सवारी की जिस प्रतिमा को खंडित किया गया वह लंदन से मंगवाई गई थी. लेकिन कुछ जाहिल लोगों ने महाराजा की तलवार तोड़ दी, शिलापट्टिका चुरा ली और घोड़े की लगाम तोड़ डाली। अब इसकी भरपाई और प्रतिमा की मरम्मत करना किसी के बस की बात नहीं है.