रीवा

रीवा: लक्ष्मण बाग संस्थान के पूर्व महंत स्वामी हरिवंशाचार्य जी महाराज का महाप्रयाण, पंचतत्व में हुए विलीन

Harivanshacharya Ji Maharaj Rewa
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Harivanshacharya Ji Maharaj Rewa

Harivanshacharya Ji Maharaj Rewa: देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में लक्ष्मण बाग संस्थान की संपत्ति और मंदिर स्थापित है। देशभर में लक्ष्मण बाग संस्थान का नाम विख्यात है।

Harivanshacharya Ji Maharaj Death: देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में लक्ष्मण बाग संस्थान की संपत्ति और मंदिर स्थापित है। देशभर में लक्ष्मण बाग संस्थान का नाम विख्यात है। इसी लक्ष्मण बाग संस्थान के महंत रहे श्री श्री 1008 श्री स्वामी हरिवंश आचार्य जी महाराज का 14 जून 2023 रात्रि के 12:09 महाप्रयाण हो गया। हरिवंश आचार्य जी महाराज का विंध्य और बिंद के लोगों से बहुत लगाव था। वह मूल रूप इलाहाबाद के जौनपुर जिले के रहने वाले हैं। लेकिन जब से उन्होंने जब से सन्यास ग्रहण किया विंध्य के होकर रह गए।

पुत्र ने दी मुखाग्नि

स्वामी जी का इलाज नागपुर में चल रहा था उन्हें 14 जून को रात्रि 10 बजे लक्ष्मण बाग रीवा लाया गया। दूसरे दिन 15 जून को दोपहर 12:40 पर उनके पुत्र अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज द्वारा मुखाग्नि दी गई। इस अवसर पर स्थानीय रीवा विधायक पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल समय विंध्य के कोने-कोने से स्वामी जी के शिष्य उपस्थित रहे। स्वामी जी के चाहने वाले लोग नम आंखों के साथ उन्हें विदाई दी।

नागपुर में चल रहा था इलाज (Harivanshacharya Ji Maharaj Ki Maut Kaise Hui)

हरिवंशाचार्य जी महाराज (Harivanshacharya Ji Maharaj Rewa) का 98 वर्ष की उम्र में दुखद निधन हो गया। विगत कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे। उम्र अधिक होने की वजह से स्वामी जी गिर गए थे जिससे उनके कूल्हे की हड्डी में फैक्चर आ गया था। रीवा में प्राथमिक इलाज के बाद उनके पुत्र अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज तथा उनके शिष्यों द्वारा नागपुर के बोकार्ड अस्पताल में कराया जा रहा था। जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। स्वामी जी के पार्थिव शरीर को सुबह नागपुर से रीवा लाया गया।

विधि-विधान से शुरू हुआ अंत्येष्टि कार्यक्रम

स्वामी जी का पार्थिव शरीर रात करीबन 8 बजे रीवा चोरहटा से स्वर्ग रथ पर लक्ष्मण बाग संस्थान लाया गया। उनके स्वर्ग रथ के पीछे हजारों की तादाद में स्वामी जी के शिष्य उनके चाहने वाले चलते रहे। रात से ही स्वामी जी का अंतिम दर्शन तथा पुष्पांजलि अर्पित करने उनके शिष्यो की भीड़ जमा रही।

इसी तरह दूसरे दिन 15 जून को सुबह से लगातार स्वामी जी के शिष्यों तथा भक्तों का ताता लगा रहा। वाराणसी से आए पंडितों ने स्वामी जी की अंतिम यात्रा विधि विधान से संपन्न कराई। स्वामी जी के पुत्र अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज द्वारा मुखाग्नि दी गई। जैसे ही स्वामी जी को मुखाग्नि दी गई वहां मौजूद उनके शिष्य और भक्त हाथ जोड़े खड़े रहे। रह रह कर लोगों द्वारा स्वामी जी की जय होने का जयकारा लगाते रहे।

स्वामी जी के 50 वर्ष बीते लक्ष्मणबाग में (Harivanshacharya Ji Maharaj Kaun The)

हरिवंश आचार्य जी महाराज (Harivansh acharya Ji Maharaj) की प्रारंभिक और ग्रेजुएशन तथा पीजी की पढ़ाई इलाहाबाद में हुई थी। स्वामी जी ग्रेजुएशन के बाद एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने एलएलएल भी किया। पढ़ाई के उपरांत उन्होंने जज की परीक्षा उत्तीर्ण की। लेकिन बाद में उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। स्वामी जी कानून के जानकार थे। साथ ही हिंदी संस्कृत और अंग्रेजी के प्रखंड विद्वानों में से एक थे।

स्वामी जी का मन नौकरी और पढ़ाई से हटकर अध्यात्म की ओर चला गया। स्वामी जी लक्ष्मण बाग संस्थान के राजगुरु रहे बद्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज के सानिध्य में आ गए और उन्होंने अपना पूरा जीवन लक्ष्मण बाग संस्थान के नाम कर दिया। उनका पूरा समय ठाकुर जी की सेवा में बिकने लगा। यहां तक की उनका अंतिम संस्कार भी लक्ष्मण बाग संस्थान में ही किया गया।

बताते चलें कि रीवा महाराज द्वारा स्थापित करवाये गये लक्ष्मणबाग संस्थान में स्वामी हरिवंश आचार्य जी महाराज को महंत की गद्दी 1970 के आसपास दी गई। इसके पूर्व स्वामी जी त्रिदंडी मठ गोविंदगढ़ में रहे। ऐसा कहा जाता है कि त्रिदंडी मठ में रहने वाले महंत ही लक्ष्मणबाग की गद्दी संभाल सकते हैं।

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