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रीवा। पडऱा स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में सात दिवसीय श्रीरामजनकी दरबार प्रतिष्ठा महोत्सव एवं रामार्चा पूजन एवं संगीतमय प्रवचन कथा का आयोजन किया गया। विधि विधान से श्रीसीताराम, श्री लक्ष्मण, श्री हनुमान जी महाराज की भव्य मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कामदगिरी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य जी महाराज चित्रकूट धाम एवं श्री रामहर्षण मैथिल सख्य पीठाधीश्वर स्वामी श्रीश्री बल्लभाचार्य महाराज की मौजूदगी में रामर्चा पूजन यज्ञ के साथ संपन्न कराई गई। अंतिम दिवस पूर्णाहुति के साथ भण्डारे में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
अखिल भारतीय बाम्हण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. संजय त्रिपाठी की माता विद्या त्रिपाठी द्वारा राम जानकी मंदिर में अति सुंदर भगवान श्रीरामजानकी, श्री लक्ष्मण एवं श्री हनुमान जी महाराज की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। इस दौरान श्रीरामजानकी दरबार प्रतिष्ठा महोत्सव एवं रामार्चा पूजन एवं संगीतमय प्रवचन का भव्य आयोजन किया गया। शनिवार को कामदगिरी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य जी महाराज चित्रकूट धाम एवं श्री रामहर्षण मैथिल सख्य पीठाधीश्वर स्वामी श्रीश्री बल्लभाचार्य महाराज द्वारा प्रवचन किया गया और आये हुए भक्तों श्रद्धालुओं को आर्शीवचन दिया। सात दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिदिन प्रवचन का वाचन अमित कृष्ण शास्त्री महाराज चित्रकूट धाम द्वारा भक्ति की गंगा बहाई गई। चित्रकूट धाम के मदन गोपाल दास महाराज भी सात दिवसीय कार्यक्रम में पहुंचकर आर्शीवाद प्रदान किया।
इनकी रही मौजूदगी
समापन अवसर पर रामजानकी मंदिर दर्शन करने पूर्व मंत्री रीवा विधायक राजेनद्र शुक्ल, पूर्व मंत्री महाराजा पुष्पराज सिंह, कांग्रेस नेत्री कविता पाण्डेय, पूर्व महापौर कमलजीत सिंह डंग, वरिष्ठ संविदाकार विजय मिश्रा, पूर्व महापौर वीरेन्द्र गुप्ता, हरिहर त्रिपाठी, श्रीकांत त्रिपाठी, लूसू पाण्डेय, मनीष श्रीवास्तव, प्रभात दीक्षित, प्रमोद दीक्षित, गुड्डा जैन सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे।
भगवान के प्रति समर्पण का भाव ही आध्यात्म: जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य
कामदगिरी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य चित्रकूट महाराज ने कहा कि कोरोना काल में यह श्रीराम दरबार प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव भगवान की कृपा से संपन्न हुआ है। इस कोरोना काल में प्राण प्रतिष्ठा कर महामारी से मुक्ति के लिये प्रार्थना और कामना ईश्वर से की गई है। इस मौके पर जगदगुरु रामस्वरूपाचार्य ने कहा कि भगवान के प्रति समर्पण का भाव ही आध्यात्म है। वहीं अयोध्या से आये स्वामी श्रीश्री बल्लभाचार्य महाराज ने रामकथा से सभी को भावविभोर कर दिया। सीताराम नाम जप के साथ उन्होंने भगवान की अपार महिमा का बखान किया। श्रोतागण भक्ति की गंगा में डुबकी लगाते रहे।