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REWA: अफ़सोस बस इतना कि इस लड़ाई को परवान चढ़ाने वाले नजर नही आए : कौशलेश द्विवेदी

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:57 AM IST
REWA: अफ़सोस बस इतना कि इस लड़ाई को परवान चढ़ाने वाले नजर नही आए : कौशलेश द्विवेदी
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REWA: अफ़सोस बस इतना कि इस लड़ाई को परवान चढ़ाने वाले नजर नही आए : कौशलेश द्विवेदी REWA: त्योंथर कांग्रेस नेता कौशलेश

REWA: अफ़सोस बस इतना कि इस लड़ाई को परवान चढ़ाने वाले नजर नही आए : कौशलेश द्विवेदी

REWA: त्योंथर कांग्रेस नेता कौशलेश द्विवेदी पूर्व विधानसभा 70, प्रत्याशी ने राम मंदिर शिलान्यास पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि "देश, विदेशी मे असंख्य हिन्दू धर्म को मानने वाले राम भक्तों की तमन्ना थी कि अयोध्या में राम का एक भव्य मंदिर निर्माण हो, इस हेतु अपने अपने तरीके से लोगों ने लड़ाई सड़क से संसद और सेसन से हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी गई, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हर पहलू पर विचार कर मंदिर निर्माण का रास्ता प्रसस्त कर असंख्य लोगों की आस्था का सम्मान किया।

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इस लंबी अवधि की लड़ाई में पक्ष विपक्ष के सैकड़ों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति भी दी, मंदिर निर्माण की लड़ाई को राजनैतिक रूप विश्वहिंदू परिषद और ताजी ताजी बनीं भारतीय जनता पार्टी उस समय दिया जब वीपी सिंह की सरकार से मंडल कमीशन के चलते सरकार से अनबन हुईं, और लालकृष्ण आडवाणी जी ने मंदिर का मुद्दा लें कर सोमनाथ से अयोध्या की रथ यात्रा की शुरुआत की भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में मंदिर निर्माण का संकल्प पारित किया.

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यही से हिंसा प्रवेश कर गयी इस आंदोलन में बाबरी मस्जिद विध्वंस की गई, नरसिम्हा राव और राजीव गांधी जी ने अपने कार्यकाल में मंदिर निर्माण की अनुमति और प्रभुराम की दर्शन पूजा का मार्ग प्रशस्त किया, लेकिन राजनीतिक उन्माद के चलते बात बनने के बजाय विगड़ती गई, फिर भी आज वह शुभ घड़ी करोड़ों रामभक्तों की भावना को साकार करने के लिए आ ही गई बहुत ही सुन्दर मनोरम दिल बाग-बाग कर देने वाला आया इसके लिए सभी को दिल से बधाई एवं शुभकामनाएं दें रहा हूं।
अफसोस बस इतना है की इस लड़ाई को परवान चढ़ाने वाले वें जीवित नेता नजर नहीं आये जिन्होंने मंदिर निर्माण की लड़ाई के साथ भाजपा को फर्श से अर्श पर स्थापित किया, उन्हें क्यो आमंत्रित नहीं किया गया इसका कारण आयोजकगण जाने पर लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी,कल्याण सिंह, उमाभारती जैसी हस्तियों का वहां मौजूद न रहना अनेकों प्रकार के प्रश्न और अप्रसन्नता को जन्म दिया है.
भले ही आज इस पर कोई कुछ न बोल रहा हों, लेकिन उमाभारती जी का सरयू के तट पर विचरण, कार्यक्रम से दूरी सवाल तो खड़े करते हैं, अडवाणी जी भी आने लायक है, मुरली मनोहर जोशी जी भी स्वस्थ हैं,कल्याण सिंह जी भी अभी स्वस्फूर्ति से लवरेज है, बात कोरोनावायरस के खतरें वाली हजम नहीं होती,मेरा इन नेताओं से किसी प्रकार का दूर दूर का रिश्ता नहीं हैं, फिर भी जब लगा कि इस शुभ अवसर पर इन लोगों को आमंत्रित नहीं किया गया, सहानुभूति अनायास जन्म ले ली इस विषय में वैसे मेरा कोई लेना-देना नहीं है.

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कल्पना भव्य राम मंदिर की बर्षो से मन में थी,आज फलीभूत हुआ मन बाग-बाग हो रहा है, मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी ईश्वर आराधना से प्रारंभ हुई हैं स्वाभाविक है कि मेरे आराध्य राम अब टाट से उठ कर भक्तों की मनोकामना को फलीभूत कर एक भव्य मंदिर में ठाठ से पूजा अर्चना संकीर्तन करने के लिए सुलभ होंगे'"
एक बार पुनः मंदिर निर्माण की इस शुभ बेला में आप सभी को हार्दिक बधाई दी है। [रीवा से विपिन तिवारी की रिपोर्ट] [signoff]
Aaryan Dwivedi

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