- Home
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- रीवा
- /
- क्या रीवा में फिर से...
क्या रीवा में फिर से बाढ़ आने वाली है? जानें कब-कब रीवा में आई बाढ़, देखें भयावह तस्वीरें
REWA Flood Pics : मध्य प्रदेश के रीवा जिला वैसे तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नहीं गिना जाता, क्योंकि यहां उस स्तर की बाढ़ नहीं आती जितनी देश के असम, महाराष्ट्र, केरल, और मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जैसे क्षेत्रों में आती है. इस बारिश के शरुआती महीने में रीवा की जमीन पानी के लिए तरस गई मगर अब जब बारिश का सीजन अपने मध्य में है तो यहां ताबड़तोड़ बारिश शुरू हो गई है. रीवा का इतिहास रहा है यहां बाढ़ तभी आती है जब अन्य प्रभावित इलाकों में बाढ़ का संकट खत्म हो जाता है.
रीवा के इतिहास में अबतक जितनी भी बार बाढ़ आई है वह महीनाअगस्त-सितंबर के बीच का रहा है. रिकॉर्ड में अबतक 4 बार रीवा को भयावह बाढ़ का सामना करना पड़ा है. और चारों बार ऐसा ही संयोग रहा है कि बरसात के दो महीने कम बारिश हुई और अगस्त के अंत में लगातार कई दिनों तक सिर्फ पानी ही पानी नज़र आया. इस साल भी कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है.
रीवा में कब-कब बाढ़ ने तबाही मचाई रीवा में 1997 की बाढ़
Rewa 1997 Flood: रीवा में 1997 की बाढ़- जब भी रीवा जिले में अहिमक बारिश होती है तो लोगों के जहन में सिर्फ 1997 के अगस्त महीने का दृश्य सामने आता है. अगस्त 1997 के 28 अगस्त के दिन आधा रीवा जलमग्न हो चुका था, शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में डूब हो गई थी. लोग बताते हैं कि शहर की सड़कों में इस कदर पानी भर चुका था कि सिरमौर चौराहे में नाव चल रही थीं. हज़ारों-हज़ार घर पूरी तरह डूब गए थे. सैकड़ों मवेशीयों के शव पानी में उतरा रहे थे. गांव के गांव बह गए थे और लोगों की जीवन भर की जमा पूंजी बाढ़ में बह गई थी.
लोग बताते हैं कि रीवा शहर के रीवा किले के पीछे पहली मंजिल तक पानी पहुंच गया था. ऐसा कहा जाता है कि रीवा रियासत का सबसे पुरानी बस्ती 'उपरहटी' पूरे जिले में बाढ़ के मामले में सबसे सुरक्षित स्थान है. 1997 की बाढ़ में नदी के किनारे बसे उपरहटी क्षेत्र के कुछ घरों तक भी पानी पहुंच गया था. कई लोगों की जान भी इस बाढ़ में चली गई थी।
अपने घरों की छतों में कई दिनों तक लोगों ने गुजरा किया था, उधर AG कॉलेज रोड में एक मंजिल तक पानी भर गया था, जिन लोगों के पास एक मंजिल का मकान था वह उन घरों की छतों में कई दिनों तक फंसे हुए थे जिनके डबल स्टोरी घर थेजहां हेलीकाप्टर की मदद से उनतक खाना पहुँचाया गया था.
गोविंदगढ़ तालाब फूटने की अफवाह उडी थी
1997 की बाढ़ में पूरे शहर में यह अफवाह उड़ गई थी के, बाणसागर बांघ और गोविंदगढ़ का तालाब फूटने वाला है. नदियों के किनारे रहने वाले पहले से प्रभावित थे ऊपर से उन्हें पलायन करने को मजबूर होना पड़ा था. हालांकि ना तालाब फूटा और ना ही बाणसागर डैम.
रीवा की साल 2003 वाली बाढ़
Rewa 2003 Flood: साल 2003 में 1997 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूट गया था, तब शहर के तीनों प्रमुख पुल डूब गए थे. उपरहटी से बाकि शहर का संपर्क टूट गया था. बिछिया, निपनियाँ, घोघर, के घर डूब गए थे. तब यहां भी बचाव कार्य शुरू हुआ था. इस घटना में भी कई लोग पानी में बन गए थे. और करोड़ों रुपए की संपत्ति नष्ट हुई थी
रीवा की 2016 वाली बाढ़
Rewa 2016 Flood: साल 2016 में रीवा के इतिहास में आई सबसे बड़ी बाढ़ मानी जाती है. अब जलस्तर 1997 वाली बाढ़ के ऊपर पहुँच गया था. रीवा का ड्रेनेज सिस्टम इतना घटिया था कि शहरों की नालियां चोंक हो गई थीं और रीवा सिटी के कई घर डूब गए थे.
इस बार भी बिहर, बिछिया और यहां तक की शहर को रेलवे स्टेशन से जोड़ने वाला उन्नत सेतु भी जलमंगन हो गया था. 2016 की बाढ़ में ही रीवा के ड्रीम प्रोजेक्ट एको पार्क के लिए बनाया गया 4 करोड़ का झूला पुल पानी में इस कदर बह गया था जैसे लड़की का टुकड़ा।
रीवा में 2017 की बाढ़
2016 से बाढ़ आई और उसके ठीक एक साल बाद फिर से लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा. हालाँकि इस बार नुकसान पिछली तीन बाढ़ जितना नहीं हुआ लेकिन इस बार की बाढ़ ने भी लोगों के जींवन में संकट उत्पन्न कर दिए थे.
क्या इस साल रीवा में बाढ़ आएगी
प्राकृतिक आपदा कब, कहां कैसे पहुंच जाए कोई ठिकाना नहीं होता। लेकिन पिछले बाढ़ के रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो पता चलता है जितनी बार भी बाढ़ आई है वह अगस्त में होने वाली मुसलाघार बारिश से हुई है. अब एक बार फिर से वही संयोग दोहरा रहा है. पूरे बारिश के महीने में यहां की जनता पानी बरसने के लिए तरस गई और अब अगस्त के आखिरी दिनों में ऐसा माहौल बन गया है कि बस अब यह बारिश थमने नहीं वाली है.
रीवा में बाढ़ क्यों आती है?
2016 में आई बाढ़ के बाद बाढ़ रोकने का एक प्रोजेक्ट शुरू हुआ था. सर्वे में पता चला था कि बिहर नदी में पानी लेने की क्षमता सिर्फ 14-1500 क्यूमेक्स पाई गई थी. जल संसाधन विभाग ने रीवा में बाढ़ के प्रभाव को रोकने के लिए एक प्रोजेक्ट की रूप-रेखा तैयार की थी, जिसमे बिहर नदी का चौड़ीकरण और गहरीकरण करके इसे 3500 क्यूमेक्स बना दिया जाना था. 6 साल बीत गए. बिहर नदी को एक इंच भी गहरा नहीं किया गया. इस प्रोजेक्ट को कभी शुरू ही नहीं किया गया.