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Rewa: हेरिटेज होटल में तब्दील होगा गोविंदगढ़ का किला, 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे
Rewa Govindgarh Fort: सन 1855 में रीवा रियासत के महाराजा विश्वनाथ सिंह जूदेव द्वारा बनवाए गए गोविंदगढ़ किले को उसका अस्तित्व दोबारा हासिल होगा। लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च कर उदयपुर की वाइल्ड लाइफ हेरिटेज कंपनी ने Govindgarh Fort को रेनोवेट करने का काम कर रही है. सरकार की उपेक्षा का शिकार हो चुके गोविंदगढ़ किला जहां कभी राजा-अहाराजा निवास करते थे. वह खंडहर में तब्दील हो गया था. मगर PPP मोड के तहत इस वीरान किले के जीर्णोद्धार का काम शुरू हो गया है.
गोविंदगढ़ किले का इतिहास
History Of Govindgarh Fort Rewa: 170 साल पुराने गोविंदगढ़ किला में ही दुनिया का पहला सफ़ेद बाघ मोहन (White Tiger Mohan) रहा करता था. महाराजा विश्वनाथ सिंह जूदेव द्वारा इस किले की नीव रखी गई थी. जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी रघुराज सिंह जूदेव ने किले को विकसित करने का काम किया था. और उनके बाद महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव ने किले के विस्तार को आगे बढ़ाया।
1985 से किले का अस्तित्व खत्म होने लगा था
बात साल 1985 की है. जब राज्य सरकार ने गोविंदगढ़ किले को अपने अधीन कर लिया था. और तभी से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया. सरकार ने इस किले को नष्ट कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां पुलिस की कार्यशाला बना दी गई. समय के साथ मेंटेनेंस न होने से किला जर्जर होने लगा. बाद में किले को पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया मगर उनसे भी यहां की देखभाल नहीं हो पाई. इसके बाद यह किला पर्यटन विभाग को दिया गया लेकिन वो भी कहां इसे एक हेरिटेज टूरिस्ट प्लेस में बदल पाए. सरकारी विभागों ने गोविंदगढ़ किले को लावारिस हालत में छोड़ दिया और यह खूबसूरत अधोसंरचना का नमूना खंडहर में बदल गया.
लेक पेलेस उदयपुर से इंस्पायर्ड है गोविंदगढ़ फोर्ट
कहा जाता है कि महाराजा विश्वनाथ जूदेव के वारिस महाराजा रघुराज सिंह के विवाह से पहले उदयपुर के महाराजा ने एक शर्त रखी थी. उन्होंने बाजी लगाई थी कि जैसा लेक पैलेस उदयपुर में है वैसा ही आपकी रियासत में बने तो फिर हम अपनी पुत्री का विवाह महाराजा रघुराज सिंह जूदेव से करेंगे।
महाराजा विश्वनाथ सिंह ने यह शर्त मानी और विशाल तालाब खुदवाया, और तालाब के सामने भव्य किले का निर्माण करवाया। तालब के किनारे एक कठ बंगले का निर्माण किया जो लेक पैलेस से इंस्पायर्ड था. सन 1881 में गोविंदगढ़ किले का निर्माण शुरू हुआ. 1985 तक किले और तालाब का काम पूरा हो गया. तालाब को 'विश्वनाथ सरोवर' का नाम दिया गया जिसे आज गोविंदगढ़ तालाब (Govindgarh Lake) के नाम से जानते हैं. लेकिन किले के बनने के कुछ समय बाद विश्वनाथ सिंह का देहांत हो गया.
बाद में उनके पुत्र रघुराज सिंह ने किले का विस्तार किया। उदयपुर के महाराजा की शर्त पूरी हो गई थी. जिसके पश्चात रघुराज सिंह का विवाद उदयपुर की राजकुमारी 'रानी सौभाग्यवती' से हुआ.
अब गोविंदगढ़ किला हेरिटेज होटल बन रहा
शासन ने सबसे पहले 2010 में मेसर्स मेकपाई रिसोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को गोविन्दगढ़ किले का रेनोवेशन करने का जिम्मा दिया था. सरकार ने इसके लिए तीन साल का वक़्त दिया था. मगर अनुबंध को 5 साल बीत गए थे और इस कंपनी ने जीर्णोद्धार के नाम पर किले की एक ईंट तक नहीं हटाई थी. अनुबंध के तहत जमा की गई 5 करोड़ की अमानत राशि में 1.7 करोड़ काट लिए. लेकिन गोविंदगढ़ लेक पैलेस के जीर्णोद्धार का पहला प्रयास असफल हो गया.
जिसके बाद यह काम उदयपुर की वाइल्ड लाइफ हेरिटेज कंपनी को दिया गया. जो इस पैलेस के रेनोवेशन में 100 करोड़ रुपए खर्च कर इसे पुराना स्वरुप वापस लौटाएगी। अगले 3 से 4 साल में इस किले को हेरिटेज होटल बनाने का काम पूरा हो जाएगा।