रीवा

Rewa Famous Places to Visit: रीवा की इन खूबसूरत जगहों पर जाने से पहले एक बार जरूर जाने पूरी Details

Rewa Famous Places to Visit
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Rewa Famous Places to Visit

Rewa Famous Places to Visit: विंध्य क्षेत्र की वादियां हमेशा से ही लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है.

रीवा (Rewa Famous Places to Visit): विंध्य क्षेत्र की वादियां हमेशा से ही लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। विंध्य के रीवा जिले में ऐसे प्राकृतिक स्थान हैं जो कि बरबस ही पर्यटकों को अपनी तरफ खींचते रहते हैं। समय के साथ शासन-प्रशासन द्वारा भी विंध्य की वादियों के महत्व को समझा गया। इन प्राकृतिक स्थानां में आने वाले पर्यटकों के लिए कई जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई। अगर यह कहा जाय कि विंध्य की वादियां हिल स्टेशन को भी मात देती हैं तो अतिशयोक्ति न होगा। जिले के ऐसे ही 10 टूरिस्ट स्थानां के बारे मे हम आपको बताने जा रहे हैं जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए। अगर आप एक बार यहां गए तो दोबारा जरूर जाएंगे

मुकुंदपुर टाइगर सफारी

विंध्य के क्षेत्र के प्रमुख आकर्षण केन्द्र में से एक है मुकुंदपुर टाइगर सफारी। यहां हमेशा ही पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन छुट्टी के दिनों मे तो यहां भीड़ हद से ज्यादा ही हो जाती है। मुकुंदपुर टाइगर सफारी में वैसे तो बहुत से जानवर हैं। लेकिन यहां मुख्य आकर्षण का केन्द्र है व्हाइट टाइगर। बिना व्हाइट टाइगर के दीदार के यहां की यात्रा अधूरी ही मानी जाती है। गौरतलब है कि मुकुंदपुर में व्हाइट टाइगर सफारी टाइगर के अलावा बंगाल टाइगर, हिरण, भालू, बारहसिंघा सहित अन्य जीव देखे जा सकते हैं। गौरतलब है कि बुधवार को व्हाइट टाइगर सफारी बंद रहता है। इसलिए इस दिन यहां न जाएं।

रानीतालाब

शहर के दक्षिणी भाग मेंं स्थित रानीतालाब भक्तों की आस्था का केन्द्र है। रानीतालाब में माता काली की भव्य और आकर्षक मूर्ति तो आकर्षण का केन्द्र है ही साथ ही मंदिर के चारों तरफ पार्क भी अद्भुत है। यह स्थान परिवार के साथ घूमने के लिए बेहतर है। शाम के समय यहां वोटिंग की सुविधा भी मौजूद है। गौरतलब है कि वर्षों पूर्व लवाना जाति के लोगों ने तालाब खोदा था। तब की महारानी कुंदन रक्षा बंधन के दिन यहां पूजा करने गई। जहां उन्होने लवाना जाति के लोगों को रक्षा सूत्र बांध दिया। तब लवाना जाति के लोगों ने महारानी को भेंट स्वरूप तालाब दे दिया। तब से यह तालाब रानी तालाब के नाम से जाना जाता है।

रीवा का किला

बघेल साम्राज्य के किले का इतिहास 4 सौ वर्ष पुराना है। बताते हैं कि महाराजा व्याघ्रदेव से लेकर महाराजा पुष्पराज सिंह तक 35 पीढ़ियों का शासन यहां रह चुका है। बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए यह किला आकर्षित करता है। किला को देखते ही राजा-महाराजाओं की भव्यता का अंदाजा लग जाता है। किला के दो तरफ नदियां है। जो किले को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती है। यहां एक रेस्तरां और संग्रहालय है।

गोविंदगढ़ तालाब

गोविंदगढ़ का तालाब रीवा जिले के प्रसिद्ध तालाबों में से एक है। इसे गोविंदगढ़ पैलेस के किनारे बनाया गया है। तालाब के चारों तरफ से घिरे होने के कारण गोविंदगढ़ पैलेस का नजारा बहुत ही सुंदर और प्राकृतिक दिखता है। यह पैलेस रीवा से 18 किमी दूरी पर है। जो कि 13 हजार वर्ग किमी में फैला हुआ है। यह तालाब पर्यटकां और पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है।

क्योटी फॉल

रीवा जिले का क्योटी जल प्रपात भारत का 24 वां सबसे ऊंचा झरना है। यह शहर से 24 व सिरमौर से 10 किमी की दूरी पर है। यह झरना महाना नदी पर बना है। इसकी ऊंचाई 130 मीटर है। यहां यूपी और बिहार के लोग सबसे अधिक आते हैं। रीवा से सड़क के रास्ते यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

पुर्वा फॉल

सेमरिया से 15 व रीवा से 25 किमी की दूरी पर स्थित है पुर्वा फॉल। टमस नदी को समेंटे यह झरना पर्यटकां को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। यहां साल भर हजारां पर्यटक पिकनिक और जन्मदिन की पार्टी मनाने आते है। इस झरने से जुड़ा हुआ बसामन मामा धार्मिक स्थल भी लोगों को अपनी तरफ लुभाने के लिए काफी है।

चचाई जल प्रपात

चचाई जल प्रपात प्रदेश के सबसे बडे़ झरनों में से एक है। यह बीहर नदी में 130 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। रीवा से 45 और सिरमौर से इस जल प्रपात की दूरी 8 किमी है। इस झरने की खूबसूरती बारिस के मौसम में और अधिक बढ़ जाती है। इस झरने पर बनाया गया डैम भी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

बहुती जल प्रपात

रीवा से 85 किमी दूर मऊगंज तहसील में बहुती जल प्रपात स्थित है। सेलर नदी को अपनी बाहों में समेटे इस झरने की ऊंचाई 198 मीटर है। इस प्रपात की गहराई 465 फुट है। माना जाता है कि ओड्डा नदी सीतापुर से निकलकर 40 किमी दूरी के बाद मऊगंज से 15 किमी दूर बहुत ग्राम के निकट बहुती जल प्रपात का निर्माण करती है।

देउर कोठार

देउर कोठार पुरातात्विक महत्व का स्थान है। यह अपने बौद्ध स्तूप के कारण प्रसिद्ध है। जो 1982 में प्रकाश में आया था। ये स्तूप अशोक के शासनकाल में निर्मित है। यहां लगभग 2 हजार वर्ष पुराने बौद्ध स्तूप और लगभग 5 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र गुफाएं मौजूद है। देउर कोठार, रीवा इलाहाबाद मार्ग के सोहागी में स्थित है। यहां मौर्यकालीन मिट्टी ईंट के बने 3 बडे स्तूप और लगभग 46 पत्थरों के छोटे स्तूप बने हैं। अशोक युग के दौरान विंध्य क्षेत्र में धर्म का प्रचार प्रसार हुआ और भगवान बौद्ध के अवशेषों को वितरित कर स्तूपों का निर्माण किया गया।

घिनौची धाम

घिनौची धाम को पियावन के नाम से भी जाना जाता है। यह अतुलनीय प्राकृतिक और पर्यटल स्थल रीवा जिले से 42 किमी दूर सिरमौर की बरदहा घाटी में है। प्रकृति की अनुपम छटा को समेटे यह धाम धरती से 2 सौ फीट नीचे और लगभग 8 सौ फीट चौड़ी प्रकृति की सुरम्य वादियों से घिरा हुआ है। इस झरने की एक खासियत यह है कि प्राकृतिक झरने का श्वेत जल भगवान भोलेनाथ का 12 महीने निरंतर जलाभिषेक करता है

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