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रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज: मैकेनिकल ब्रांच में घटा विद्यार्थियों का रूझान, इसमें लिया सबसे अधिक ने एडमिशन
Rewa Engineering College News: शासकीय इंजीनियरिंग काॅलेज रीवा के मैकेनिकल ब्रांच से छात्रों का रूझान काफी तेजी के साथ घटा है। स्थिति यह है कि एक समय जहां इस ब्रांच में एडमीशन लेने के लिए विद्यार्थियों के बीच कंपटीशन काफी हाई होता था वहीं अब हालात यह है कि शासकीय काॅलेज होने के बाद भी मैकेनिकल ब्रांच में निर्धारित 75 में से 12 सीटे खाली रह गई।
इस प्रकार इस ब्रांच में 63 सीटे ही भर पाई। गौरतलब है कि इंजीनियरिंग काॅलेज में सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, कम्प्यूटर साइंस और इलेक्ट्रानिक एंड टेली कम्यूनिकेशन ब्रांच संचालित है। इन पांच ब्रांच में से जहां चार ब्रांच में की सभी सीटें भर गई वहीं मैकेनिकल ब्रांच में सीटें भर ही नहीं पाई। महाविद्यालय प्रबंधन की माने तो ऐसा पहली बार हुआ है जब मैकेनिकल ब्रांच में सीटें नहीं भर पाई है।
क्यों नहीं भर पाई सीट
बताया गया है कि मैकेनिकल ब्रांच के विद्यार्थियों के लिए इण्डस्ट्रियल क्षेत्र में नौकरी के काफी अधिक चांसेज होते है। यही कारण है कि पहले अधिकतर विद्यार्थी इस कोर्स को ही करना पसंद करते थे। लेकिन अब नौकरी के और भी अधिक ऑप्शन सामने आ गए हैं। कम्प्यूटर के इस युग में इसे जानने वाले बेहतरीन लोगों की डिमांड भी बढ़ी है। यही कारण है कि अब विद्यार्थियों की पहली पसंद इलेक्ट्रानिक एंड टेली कम्यूनिकेशन ब्रांच हो गया है। कुछ समय पूर्व तक इस ब्रांच में 8 से 10 सीटें खाली रह जाती थी। लेकिन अब इस ब्रांच की किस्मत बदल गई है। अब विद्यार्थियों का यह ब्रांच पहली पसंद बन गया है।
निजी काॅलेजों की स्थिति दयनीय
शासकीय इंजीनियरिंग काॅलेजों की स्थिति तो कुछ हद तक ठीक भी है। निजी इंजीनियरिंग काॅलेजों की स्थिति तो बहुत ही दयनीय है। आंकड़ो की माने तो प्रदेश के अधिकतर महाविद्यालयों में एडमीशन न होने के कारण वह बंद होने की कगार पर पहुंच गए है। प्रतिवर्ष बहुत से काॅलेज बंद भी हो रहे हैं। महाविद्यालयीन सूत्रों की माने तो इंजीनियरिंग में रोजगार के अवसर कम होने और प्रतियोगिता अधिक होने के कारण विद्यार्थियों का रूझान इससे घटा है।