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रीवा। डाक्टरों ने एक बार फिर साबित किया कि उन्हें धरती का भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता है। वह पीड़ित मरीजों को मौत के मुंह में जाने से बचाकर नया जीवन प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने विगत दिवस सामने आया जहां 30 वर्षीय युवक नईगढ़ी निवासी एचडीएफसी बैंक इंदौर में नौकरी करता है। बीते शाम को वह अपने निजी काम के लिए मिर्जापुर जा रहा था जहां हनुमना के पास एक्सीडेंट हो गया और कंधे की खून की नस फट गई।
इसके साथ कंधे और हाथ की नस में खून का संचार कम हो गया। मरीज का अत्यधिक रक्त घटना स्थल में ही बह गया था। साथ ही कंधे और हाथ की हड्डी भी कई टुकड़ों में टूट गई थी। आनन-फानन में इनके परिजन रीवा हॉस्पिटल लेकर आए। जहां डॉक्टर शुभम मिश्रा हड्डी रोग विशेषज्ञ और प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर सौरभ सक्सेना एनेस्थीसिया से डॉ अभय राज की टीम ने इमरजेंसी ऑपरेशन करने का फैसला लिया।
इस सर्जरी में 6 बैग खून और 10 घंटे समय लगा। जिसमें एक ही बार में खून की नस पैरों से निकालकर जिसको वैस्कुलर ग्राफ्ट बोलते हैं 5 सेंटीमीटर की नस पेट से निकालकर ऊपर कंधे में फटी हुई नस में जोड़ा गया। इसके साथ जो कंधे की करंट वाली नस जिसको ब्रेकियल प्लेक्सस बोलते हैं उसको भी सिला गया। साथ ही डॉक्टर शुभम मिश्रा ने कंधे और कलाई का ऑपरेशन किया। इस दौरान टीम वर्क करके मरीज की जान बचाई गई और मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है।
आपको बता दें कि रीवा में अनुभवी चिकित्सकों की कमी नहीं। यहां चिकित्सकों की कार्यकुशलता को बड़े महानगरों में सराहा जाता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब डाक्टरों ने कुशल चिकित्सा के द्वारा लोगों की जान बचाई बल्कि कई बार साबित कर चुके हैं। यही कारण है कि विगत कोरोना महामारी के दौर में दूरदराज महानगर के लोग रीवा उपचार कराने पहुंचते थे और यहां चिकित्सकों ने लाखों की जान बचाने में सफल रहे। यह रीवावासियों के लिये अत्यंत हर्ष का विषय है।