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रीवा का रॉकी कांड: TI से SI बने शैलेंद्र भार्गव, अन्य पुलिसकर्मियों का भी डिमोशन हुआ; सतना SP ने की थी विभागीय जांच, वेतनवृद्धि भी रोकी
रीवा। 13 फरवरी 2016 को पूर्व पार्षद अतीक अहमद की पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत के मामले में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है। जांच में मारपीट सिद्ध होने के बाद तत्कालीन टीआई शैलेंद्र भार्गव व एसआइ रामपाल दाहिया का डिमोशन किया गया है। टीआइ को एक साल की अवधि के लिए उपनिरीक्षक और पारसनाथ दाहिया को प्रधान आरक्षक बनाया गया है। मामले में अन्य पुलिसकर्मी प्रधान आरक्षक जय सिंह व प्रधान आरक्षक तनय तिवारी का बीस दिन पूर्व ही डिमोशन किया चुका है। दोनों का एक-एक इंक्रीमेंट भी रोक दिया गया है। कार्यवाहक एएसआइ महेन्द्र पाण्डेय दो साल पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनका एक इंक्रीमेंट रोक दिया गया है।
CID ने सप्ताह भर पूर्व खात्मा पेश किया था
मामले की जांच सीआइडी विभाग द्वारा की गई थी। सीआइडी ने सात साल तक पूरे मामले की जांच की। पुलिसकर्मियों पर 302 का अपराध प्रमाणित नहीं पाया। मारपीट का अपराध सिद्ध हुआ था लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शासन ने उसके अभियोजन की मंजूरी नहीं दी थी। फलस्वरूप सीआइडी ने पूरे मामले में खात्मा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है।
ऐसा था घटनाक्रम
- 13 फरवरी 2016 को सिटी कोतवाली थाने में पूर्व पार्षद अतीक अहमद की पुलिस अभिरक्षा में मौत हो गई।
- पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज हुआ।
- मामले की जांच सीआइडी को सौंपी गई।
- सीआइडी ने सात साल बाद मामले में खात्मा न्यायालय में पेश किया।
- विभागीय जांच में पुलिसकर्मियों को मारपीट का दोषी पाया गया।
- पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई की गई।