रीवा

Rewa Crime: गौवंशो के प्रति किसानों की क्रूरता देख आपका दिल पसीज जाएगा

Rewa Crime: गौवंशो के प्रति किसानों की क्रूरता देख आपका दिल पसीज जाएगा
x
किसानों ने अपनी फसल बचाने के लिए दुधारू और गाभिन गायों को भी हज़ारो फ़ीट गहरी खाई में धकेल दिया

गाय को हिन्दू धर्म में देवता तुल्य माना जाता है। गाय के नाम पर गौ रक्षक हिंसा करने में उतारू हो जाते हैं लेकिन जब गौवंशों को हज़ारो फ़ीट गहरी खाई में धकेल दिया जाता है तो सबके मुँह में दही जम जाता है। भूंख और प्यास से तड़पते गौवंश दम तोड़ देते हैं, इतनी उचाई से धकेलने के बाद उनके पैर की हड्डियां चकनाचूर हो जाती है उन बेज़ुबानों को तो यह पता ही नहीं होता कि आखिर उन्हें किस जुर्म की सजा मिली है

मध्यप्रदेश के रीवा जिले केअंतर्गत गढ़ थाने में आने वाले लालगांव चौकी का एक मामला सामने आया है जहां के किसानों ने खेतों में विचरण करने वाले गौवंश को पकड़ पकड़ कर रेहवा घाटी के नीचे धकेल दिया। हज़ार फ़ीट से भी ज़्यादा गहरी इस घाटी में गिरने के बाद दर्जनों गौवंशो ने मौके पर ही दम तोड़ दिया तो बाकि जो जीवित रहीं उनके पैर की हड्डियां टूट गईं। चट्टानों में घायल गौवंश भूंख और प्यास से तड़प तड़प कर मर गए। तो कुछ गायों को उनके मालिकों ने रेस्क्यू कर लिया लेकिन अभी भी दर्जनों गौवंश घाटी के नीचे जीवन मरण के बीच अटके हुए हैं।

कहाँ की घटना है


जिले के लालगांव और सरई, रुझेही का मामला है जहाँ बीते 27 सितम्बर को क्षेत्रीय किसानों ने पशु क्रूरता की हदे लाँघ दी. अपने खेतों की फसल बचाने के लिए करीब 150 से अधिक गायों, बैलों और बछड़ों को खाई से निचे धकेल दिया गया। इस मामले में लालगावं चौकी में FIR भी दर्ज करवाई गई। जिसमे आधा दर्जन लोगों को आरोपी बनाया गया। लेकिन उनके खिलाड़ अभी तक कोई करवाई नहीं की गई।

लोगो ने रेस्क्यू किया लेकिन कई मवेशी अभी भी फंसे हैं


28 सितम्बर को क्षेत्रीय लोगों ने इंसानियत दिखाई और रेहवा घाटी में बेरहमी से धकेले गए गोवंशों में से कुछ को बहार निकला। लेकिन कई मवेशी वहां अभी भी फंसे हुए हैं जिनको वहां से निकालना चुनौती भरा काम है। क्षेत्रय लोगों ने लगभग 50 गायों को वापस निकाल लिया और लगभग 50 से अधिक गौवंश ऐसे परिस्थिति में हैं जो चल नहीं सकते इसी लिए उनको वहां से निकलना बहुत मुश्किल है।

पुलिस ने बहुत कमजोर धाराएं लगाई

लालगांव चौकी में FIR क्रमांक 122 /2021 में IPC की धारा 429 एवं परशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 (घ ) के तहत आरोपियों को जमज़्द किया लेकिन। मध्यप्रदेश में पशुक्रूरता करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है साल 2010 में पास गौवंश प्रतिषेध अधिनियम है जिसमे दोषी व्यक्ति के खिलाफ 10 साल की सज़ा और आर्थिक दंड दोनों का प्रावधान है। लेकिन चौकी प्रभारी ने आरोपियों पर रियायत बरती है और उनके खिलाफ पशुओं को मामूली रूप से चोट पहुंचाने और प्रताड़ित करने की धारा लगाईं हैं जबकि यहाँ सीधा सीधा गौहत्या का मामला दर्ज होना चाहिए।

इसका दोषी कौन है किसान, गौवंश या फिर प्रशासन

माना की आवारा पशु किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं उनकी मेहनत बर्बाद करते हैं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं की आप उसको खाई में धकेल दोगे। जबतक दूध दिया तो ठीक जब देना बंद कर दिया तो घर से निकाल दोगे। गाय के लिए खेत में लहलहाती फसल सिर्फ एक चारा है वो नहीं जानती की इस फसल का अधिकार किसी और के पास है इतना ही जानती तो वो जानवर क्यों होती लेकिन किसान तो इंसान है फिर भी जानवरों की तरह हरकत कर रहे हैं। आखिर इस घटना का असल ज़िम्मेदार कौन है। गाय ? या फिर वो किसान जो अपनी फसल बचाना चाहता है या फिर सरकार और प्रशासन ? रीवा में 30 से अधिक गौशालाएं हैं एक विशालकाय अभ्यारण है फिर भी आवारा पशु इधर उधर भटकते क्यों दिखाई पड़ रहे हैं ? इंसानों की लापरवाही भरे रवैये का दुष्प्रभाव बेचारे जानवरों को क्यों सहना पड़ रहा है।


Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

    Next Story