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Rewa Circuit House Rape Case: एक और आरोपी पुलिस की गिरफ्त में, रूम आवंटन पर सस्पेंस बरकरार
Rajniwas Rewa Gang Rape Case
Rewa Circuit House Rape Case: रीवा। शहर के बहुचर्चित राजनिवास सर्किट हाउस बलात्कार केस में फरार आरोपियों में एक को पुलिस ने पकड़ लिया है। यह आरोपी बाबा सीताराम दास को सर्किट हाउस से बलात्कार की घटना को अंजाम देने के बाद फरार कराने में मदद करने वालों में शामिल है। मुख्य आरोपी को लेकर संजय त्रिपाठी के जोन्ही स्थित फार्म हाउस तक पहुंचाने का कार्य इसने किया था। आरोपी के पास से एक कार भी जब्त की गई है। दावा किया जा रहा है कि वही कार है जिससे मुख्य आरोपी सर्किट हाउस से फरार हुआ था।
बताया गया है कि पकड़े गए आरोपी का नाम रविशंकर शुक्ला उर्फ पप्पू निवासी देवतालाब है। बलात्कार की घटना के दौरान उक्त आरोपी सर्किट हाउस में ही मौजूद था। इसके बाद मुख्य आरोपी को लेकर जोन्ही के फार्म हाउस पहुंचा था। इस वारदात में पुलिस ने अब तक 7 आरोपियों को नामजद किया था, जिसमें पांच मुख्य अरोपी सीताराम दास सहित सह आरोपी संजय त्रिपाठी, अंशुल मिश्रा, विनोद पांडेय व तौफीक अंसारी को जेल भेजा जा चुका है वहीं मोनू मिश्रा व धीरेन्द्र मिश्रा अभी भी फरार हैं।
अब 8वें आरोपी की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस मामले में गुढ़ से एक से लड़की को भी तौफीक अंसारी के साथ पकड़े जाने का दावा किया गया था। आरोप था कि लड़की और तौफीक ने मुख्य आरोपी सीताराम • दास को चुरहट से सीधी तक बाइक से पहुंचाया था। साथ में मोबाइल, कपड़े और कुछ रुपए दिए थे। पुलिस ने लड़की को पूछताछ के लिए पकड़ने की बात तो स्वीकार की थी लेकिन उसे आरोपी नहीं बनाया गया है। अब पुलिस का तर्क है कि उसका कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इस कार्यप्रणाली को लोगों ने सवालों में घेरा है।
संजय त्रिपाठी की जमानत खारिज
सर्किट हाउस कांड के सह आरोपी संजय त्रिपाठी और उनके भांजे अंशुल मिश्रा की जमानत अर्जी जिला न्यायालय से खारिज कर दी गई है। अब दोनों को हाईकोर्ट जाना होगा। संजय त्रिपाठी का शॉपिंग कांपलेक्स भी प्रशासन ने गिरा दिया है, वहीं अंशुल मिश्रा के मकान पर कार्रवाई में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
सर्किट हाउस में रूम आवंटन का सवाल बरकरार
रीवा राजनिवास सर्किट हाउस रेप केस में सबसे बड़ा सवाल अब तक बना हुआ है। वीवीआईपी सर्किट हाउस का रूम अपराधी को किसके कहने पर दिया गया? इसका निर्णय प्रशासनिक स्तर पर हुआ या फिर किसी राजनीतिक दबाव पर या फिर अधिकारी, कर्मचारियों की लापरवाही है। इसका खुलासा अब तक प्रशासन की ओर से नहीं किया गया है। पुलिस की जांच होने का हवाला दिया जा रहा है। बता दें कि आधा सैकड़ा अपराधों के आरोपी विनोद पाण्डेय के नाम पर कमरा आवंटित था, जहां पर सीताराम दास ने अन्य साथियों के साथ मिलकर लड़की से बलात्कार किया।