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Rewa: सोहागी पहाड़ सड़क की ये तस्वीरें देखने के बाद परिवहन मंत्री गडकरी भी अपना माथा पकड़ लें
सोहागी पहाड़ की सड़क: मध्य प्रदेश के रीवा जिला अंतर्गत सोहागी पहाड़ दो चीज़ों के लिए बदनाम हो गया है. पहला यहां हर महीने शवों का मिलना और दूसरा राहगीरों को शवों में बदल देना। लोग लेह लदाख के रास्ते को दुनिया का सबसे खतरनाक रास्ता मानते हैं, लगता है ऐसा दावा करने वाले कभी NH-30 मनगवां टू चाकघाट वाया सोहागी रोड गए ही नहीं। साफ शब्दों में कहें तो सोहाड़ी पहाड़ का रास्ता इतना घटिया है कि यहां जाने से पहले आपको 100 बार सोचना चाहिए।
सड़क ऐसी की नितिन गडकरी भी अपना माथा पकड़ लें
सोहागी से होते हुए जाने वाली मनगवां-चाकघाट की सड़क इतनी घटिया तरीके से बनाई गई है कि अगर इसे केंद्रीय परिवहन मंत्री देख लें तो अपना सिर पकड़ लें. जब 21 अक्टूबर की रात हैदराबाद से गोरखपुर के लिए जाने वाली बस इस मार्ग में हादसे का शिकार हुई थी और दिवाली मानाने के लिए घर लौट रहे 15 लोगों की मौत हुई थी तब उन्होंने भी दुःख व्यक्त किया था. मगर सड़क की गुणवत्ता को लेकर जांच करने जैसा कोई आदेश नहीं दिया था.
सरकार ने तो बस मूफवजा देकर दुखी होने वाला ट्वीट करके अपनी तरफ से पल्ला झाड़ लिया लेकिन ये हादसा हुआ क्यों इसके बारे में एक शब्द नहीं कहा. जब पिछले महीने साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मौत हुई तो कार के पीछे भी सीट बेल्ट लगाने वाला नियम बना दिया गया मगर जब सोहागी में 15 लोग बेमौत मारे गए तो नियम-कायदे धरे के धरे रह गए.
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सामाजिक कार्यकता और RTI एक्टिविट्स 24 अक्टूबर वाले दिन घटना वाली जगह सोहागी रोड पर गए थे. जहां से उन्होंने ने हमे इस मार्ग की कुछ तस्वीरें और सड़क की हालत के बारे में बताया।
उन्होंने कहा - रीवा मध्य प्रदेश से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 30 जो मनगवां से चाकघाट वाया सोहागी पहाड़ से होकर गुजरती है उसे बेहद घटिया गुणवत्ता में गया है. जिसे इंजीनियरों और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पास कर दिया गया. जिसमें सड़क की डिजाइन, उतार-चढ़ाव, इंक्लिनेशन, ज्योमेट्री मानकों और सबसे प्रमुख सही मानक डिजाइन का अभाव है. जिसके कारण डेथ स्पॉट बन चुके सोहागी पहाड़ में आए दिन भीषण सड़क हादसे होते रहते हैं।
मौके पर पहुंचे शिवानंद द्विवेदी ने घटनास्थल से एक किलोमीटर आगे और पीछे रोड का जायजा लिया और देखा गया कि रोड में खेत जैसी नालियां बन गई हैं जिसके फोटो और वीडियो भी सबूत के तौर पर इकट्ठा किए गए और रोड दब गई है जिसकी वजह से यदि कोई वाहन विशेषतौर पर बाइक सवार उस नाली में घुस जाता है तो तेज रफ्तार में अपनी बाइक अथवा दो पहिए वाहन को नाली से बाहर तब तक नहीं निकाल पाएगा। ऐसे में स्वाभाविक है आगे और पीछे से आने वाले चार पहिया वाहन दो पहिया वाहन को आसानी से ठोकर मार देते हैं।
इसी प्रकार चार पहिया वाहन भी इन नालियों के बीच में फंस जाते हैं तो स्पीड में आसानी से इधर-उधर नहीं मुड़ पाते और अपना कंट्रोल खोते हुए या की घाटियों से टकरा जाते हैं. अब चूंकि सड़क डिजाइन और ज्योमेट्री में NHAI मानक मापदंडों का पालन नहीं किया गया है इसलिए घाटी की सड़क पर कितना उतार-चढ़ाव और मोड़ पर कितनी जगह छोड़ी जानी थी यह न तो निर्माण कंपनी और न ही इंजीनियरों ने उस मानक का पालन किया। अमूमन देखा गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के द्वारा नेशनल हाईवे सड़कों को बनाने के लिए एक निश्चित डिजाइन ज्योमेट्री मानक उतार चढ़ाव और संकेतकों का नियम बनाया गया है। लेकिन अक्सर निर्माण कंपनी मनमानी करते हुए सड़क निर्माण में व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार कर सरकारी इंजीनियरों और मुलाजिमों के साथ मिलकर मनमाने सड़क निर्माण कर देते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि सड़कें उखड़ जाती हैं दब जाती है टूट जाती हैं और आए दिन भीषण सड़क हादसे होते रहते हैं।
RTO पर एक्शन क्यों नहीं लिया गया
ऐसी जानकारी सामने आई थी कि रीवा आने से पहले एमपी के किसी अन्य जिले के RTO अधिकारीयों ने उस बस में ओवरलोडिंग पाई थी मगर 13 हज़ार की रिश्वत लेने के बाद छोड़ दिया था. इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। पूरा मामला जानने के लिए यहां क्लिक करें