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रीवा के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में पदस्थ 150 से अधिक कर्मचारियों में आक्रोश, सामूहिक इस्तीफे की तैयारी, यह है मामला
एमपी के रीवा में सहकारिता बैंक के समस्त कर्मचारियों ने मंगलवार को अपने यूनियन अध्यक्ष को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है। इस निर्णय के बाद सहकारिता महकमे में खलबली मच गई है। वहीं अब मान मनौवल का दौर भी शुरू हो गया है। दस माह पूर्व अपनी मांगों को लेकर 20 दिनों तक हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को किसानों की खरीदी करने व ऋण वसूली के लिए काम पर वापस आने तथा उनकी मांगों का निराकरण किए जाने सहकारिता आयुक्त व मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया लेकिन अब तक उनकी मांगों का कोई निराकरण नहीं हो सका। जिसको लेकर बैंक कर्मचारियों में खासा आक्रोश व्याप्त है।
मांगों का नहीं हुआ निराकरण
गौरतलब है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रीवा में पदस्थ लगभग 150 से अधिक कर्मचारी दस माह पहले अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। दो सूत्रीय मांगों में पांचवें और छठवें वेतनमान दिए जाने सहित महंगाई भत्ता और वार्षिक वेतन की मांग रखी गई थी। हड़ताल पर कर्मचारियों के चले जाने की वजह से न सिर्फ खरीदी प्रभावित हो रही थी बल्कि खाद वितरण एवं वसूली पर भी खासा असर पड़ा था। जिसके बाद हड़ताली बैंक कर्मचारियों से प्रबंधन द्वारा बात की गई और उनकी मांगों का जल्द से जल्द निराकरण करने का आश्वासन दिया गया। दस माह बीत जाने के बाद भी न तो उनकी समस्या का निराकरण हुआ और न ही किसी प्रकार की संघ से सहकारिता प्रबंधन द्वारा चर्चा की गई। नाराज कर्मचारियों ने मंगलवार को मोर्चा खोलते हुए सामूहिक इस्तीफा दे दिया।
आयुक्त सहकारिता को भेजा पत्र
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के कर्मचारी सहकारिता विभाग के अंतर्गत काम करते हैं। जिले में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की मुख्य शाखा के साथ लगभग 15 से अधिक ब्रांच भी संचालित की जाती हैं। इन ब्रांचों के जरिए सरकारी योजना की राशि के अलावा ऋण वितरण एवं खाद वितरण सहित खाद्यान्न की सम्पूर्ण प्रक्रिया होती है। कर्मचारियों के सामूहिक इस्तीफा दे दिए जाने के बाद सभी काम ठप हो जाएंगे। मंगलवार को यूनियन अध्यक्ष संतोष गौतम को कर्मचारियों ने अपना सामूहिक इस्तीफा दिया तो वहीं यूनियन के अध्यक्ष ने आयुक्त सहकारिता को इस आशय का पत्र भेजा है। यदि उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया जाता तो आगे काम प्रभावित होगा।
यह है मांग
बताया गया है कि 31 मार्च 2013 को बैंक कर्मचारियों ने एक निर्णय पारित किया था। जिसमें 1ण्4ण्2011 से छठवें वेतनमान का निर्धारण किया जाकर जुलाई 2012 से आर्थिक लाभ दिया गया है। संयुक्त आयुक्त सहकारिता रीवा संभाग द्वारा 17 मई 2013 को पत्र प्रेषित कर छठवें वेतनमान की अनुशंसा की गई। किंतु कार्यालय से स्वीकृति एवं अस्वीकृति के संबंध में तत्कालीन समय में कोई आदेश जारी नहीं किया गया। जिसके बाद 2015 में पदस्थ महाप्रबंधक डीके सागर द्वारा जनवरी 2015 से मिलने वाली महंगाई भत्ता तथा वर्ष 2016 से मिलने वाली वेतन वृद्धि की स्वीकृति नहीं दी गई। जबकि दिसम्बर 2014 तक छठवें वेतनमान पर 107 प्रतिशत महंगाई भत्ता एवं 2015 में वेतन वृद्धि का लाभ कर्मचारियों को दिया गया। बताया गया है कि 14 मार्च 2019 को न्यायालय से निर्णय पारित किया जाकर नए सिरे से निर्णय लिए जाने हेतु आयुक्त एवं पंजीयक सहकारिता को निर्देश दिए गए। न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था कि कलेक्टर प्रशासक द्वारा 5 जून 2018 के अनुसार निर्णय लिया जाए किंतु कार्यालय से तद्नुसार निर्णय न लिया जाकर बैंक की आर्थिक स्थिति मजबूत करने पर निर्णय लेने का लेख किया गया।
हड़ताल के दौरान मिला था आश्वासन
यूनियन अध्यक्ष का कहना है कि 20 दिनों तक की गई हड़ताल के दौरान इस आशय का आश्वासन दिया गया था कि खाद एवं बीज वितरण के बाद सभी 11 मांगों का निराकरण कर दिया जाएगा लेकिन अब तक कोई निराकरण नहीं किया गया है। ऐसे में अब कर्मचारी एसोसिएशन द्वारा अपनी मांगों को पूरा कराए जाने हेतु आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बनाया गया है। जिसके बाद मंगलवार को सभी कर्मचारियों ने न सिर्फ सामूहिक इस्तीफा सौंपा है बल्कि आगे भी मांग के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
इनका कहना है
इस संबंध में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के महाप्रबंधक ज्ञानेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक यूनियन अध्यक्ष के द्वारा अपनी मांगों को लेकर आयुक्त सहकारिता के नाम एक ज्ञापन पत्र सौंपा गया है। अभी संघ के द्वारा मेरे पास इस्तीफा देने कोई नहीं पहुंचा है। मांगों पर संघ के पदाधिकारियों से चर्चा की जाएगी।