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रीवा में सरपंच पति की मौत का मामला: परिजनों ने हादसे को हत्या साबित करने के लिए क्या सीन क्रिएट किया था, लेकिन पोल खुल गई
रीवा. सरपंच पति की हत्या नहीं हुई थी, बल्कि वे हादसे का शिकार होकर आग से जले थे. पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. हादसे को हत्या का स्पॉट बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन वे इस पर कामयाब नहीं हो पाए. दरअसल, जनेह थाने के पपौरा गांव निवासी जितेन्द्र सिंह 28 जुलाई की रात अपने फार्म हाउस में सो रहे थे. वहां संदिग्ध परिस्थितियों में आग से जलने की वजह से उनकी मौत हो गई थी. घर वालों ने चार लोगों द्वारा उनको जिंदा जलाकर हत्या करने की शिकायत दर्ज कराई थी.
इस पर पुलिस मामला दर्ज कर संदेहियों से लगातार पूछताछ कर रही थी. पुलिस जांच में इस पूरे मामले की सत्यता सामने आ गई. सरपंच पति की हत्या नहीं हुई थी बल्कि हादसे का शिकार होकर वे आग से झुलस गए थे और बाद में घटना को हत्या का रूप देने का प्रयास किया गया है.
मोबाइल की रिकॉर्डिंग ने खोल दी पोल
इस घटना की जांच कर रही पुलिस ने जब पोल्ट्री फार्म के पार्टनर दीपक सिंह के मोबाइल को चेक किया तो उसके मोबाइल में ऑटो काल रिकॉर्डिंग मिली. इस रिकार्डिंग में घटना के बाद चारों संदेहियों को फंसाने की चर्चा की गई. फरियादी ने किसी को भी वहां से भागते नहीं देखा था बल्कि यह सब घटना के प्लान तैयार किया गया.
पुलिस ने चारों संदेहियों की काल डिटेल निकलवाई तो उसमें पदमाकर सिंह की लोकेशन घटना की रात पहले चाकघाट फिर नैनी में मिली, जबकि दूसरे संदेही अनिल सिंह की लोकेशन घटना की रात व पहले से ही नैनी में मिली. दीपक के मोबाइल में एक पपौरा हाऊस के नाम से ग्रुप मिला है जिसमें उसने 6:14 मिनट पर फोटो डाली थी और करंट लगने से मौत की जानकारी दी थी.
ऐसी है पूरी कहानी
घटना दिनांक को कमरे के अंदर बिजली तारों में शार्ट-सर्किट की वजह से आग लग गई थी. आग लगने की वजह बिजली तारों के जलने से जहरीला धुआं उनके शरीर के अंदर चला गया और वे बेहोश हो गए. बाद में उनके शरीर का आंशिक भाग भी जल गया और दम घुटने से उनकी मौत हो गई. घटना के बाद से इस हत्या का रूप देने का प्रयास किया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि उनके शरीर में केरोसिन के कण नहीं मिले हैं बल्कि तार जलने के जहरीले धुएं का कण मिले हैं. इस घटना के बाद जिन लोगों द्वारा हत्या की साजिश रची गई है उनके खिलाफ अब पुलिस कार्रवाई की तैयारी कर रही है.
ऐसे खुला राज
बनावटी घटनास्थल की सत्यता वैज्ञानिक परीक्षण से सामने आ गई. बाहर खड़े वाहनों में केरोसिन डाला गया था और समीप ही खाली जैरीकेन पड़ी थी, जिसका ढक्कन काफी टाइट से बंद था. जिस स्थान से आरोपियों के भागने की जानकारी दी जा रही थी उस खिड़की से निकल पाना संभव ही नहीं था. इसके अतिरिक्त खेत में पैरों के निशान नहीं मिले जबकि जिस स्थान पर जैरीकेन फेंका गया और वहां पर चप्पल के निशान मिले है.