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विंध्य की पर्वतमाला में तैयार हुई एमपी की सबसे लम्बी सुरंग, वन्य जीवों का होगा सरंक्षण
विंध्य क्षेत्र की पर्वतमाला पर बनाई गई सुरंग अपने आप में कई तरह के उपलब्धियों को संजोये हुए है। यह सुरंग खुद एक बड़ी उपलब्धि है तो इसके एक छोर में एशिया का सबसे बड़ा सोलर उर्जा प्लांट है, जबकि दूसरे छोर पर बाणसागर की दो बड़ी नहरें बह रही है और नहरों के पानी से यूपी-बिहार के खेत लहरा रहे है।
एमपी की है सबसे लम्बी सुरंग
1004 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुई मोहनिया घाटी की सुरंग मध्यप्रदेश की पहली सबसे बड़ी सुरंग है। झांसी-रांची नेशनल हाईवे मार्ग पर बनकर तैयार हुई सुरंग में वाहनों का आवागमन चालू हो गया है और इसे अभी 10 दिन के लिए परीक्षण में लिया गया है। संभावना है कि एक दिसंबर को देश के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़कारी इसे लोकार्पित कर सकते है। इसकों लेकर तैयारी भी की जा रही है।
सुरक्षा के बनाए गए है मापदंड
सुरंग में सुरक्षा को लेकर पूरा ध्यान दिया गया है तो वही पर्यटन के हिसाब से भी इसे तैयार किया गया है। सुरंग 6 लेन की बनाई गई है। जिसमें से 3 जाने और 3 आने के मार्ग है तो वही साढ़े तीन किलोमीटर इस लम्बी सुरंग के अंदर वाहनों को मोड़ने के लिए क्रांसिग भी दी गई है। जिससे वाहनो को इंधर-से-उधर घूमाने में दिक्कत न हो, तो वही सुरंग में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के साथ ही पंखे और फायर सिस्टम कंट्रोल भी लगाए गए है। वही टनल के अंदर जल भराव न हो और बारिश का पानी भी निकल सकें इसके लिए नाली का निर्माण किया गया है और इस पानी को बाहर शुद्ध करके छोड़ जाएगा।
पर्यावरण एवं वन जीवों को होगा सरंक्षण
विंध्य की यह पर्वतमाला वान्य जीवों के लिए उपयोगी क्षेत्र रहा है। वही सुरंग बन जाने से जहां पहाड़ में वाहनो से होने वाले प्रदूषर्ण से अब राहत होगी वही वन जीवों के विचरण के लिए यह घाटी अब पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगी। जहां वन जीव घाटी में दहाड़ मार सकेगे।
उर्जा धानी को होगा लाभ
विंध्य क्षेत्र के सिंगरौली को उर्जा धानी के नाम से भी जाना जाता है। इस सुरंग के बन जाने से उसे लाभ मिलेगा, क्योकि हाईवे मार्ग सिंगरौली को जोड़ता है। तो वही घाटी के कठिन मार्ग में सिंगरौली के लिए ले जाने वाले यंत्रों को समस्या आती थी। सुरंग बन जाने के बाद अब आसानी से यंत्रो को ले जाया जा सकेगा।