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रीवा के बाबूपुर में मौजूद है नैकहाई युद्ध की यादें, अब बनेगा स्मारक, भयंकर युद्ध में 200 बहादुरो ने 10000 सेना को किया था परास्त
Rewa MP News: आखिरकार वह मौका अब आ ही गया, जब 227 वर्ष बाद रीवा के उद्योग विहार चोरहटा के बाबूपुर में मौजूद नैकहाई युद्ध के योद्धाओं की यादों को सजोए रखने के लिए उक्त स्थान पर ही स्मारक बनाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। 8 फरवरी को स्मारक बनाने की नीव पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला रखने जा रहे है। इस स्मारक में सभी वीर योद्धाओं की स्मृतियां सजोने के साथ ही युद्धाओं के गांव की मिट्टी यहां डाली जाएगी। यह जानकारी पूर्व जनपद अध्यक्ष लालबहादुर सिंह ने मीडिया को दी है।
पेशवा के सेना को यहां खानी पड़ी थी मुंह की
नैकहाई के युद्ध को लेकर बताया जाता है कि रीवा राज्य में कब्जा करने के लिए पेशवा की सेना चोरहटा के पास नैकहाई जो कि बाबूपुर के पास स्थित है। यहां अपने 10 हजार सैनिकों के साथ डेरा जमाए हुए थी, लेकिन रीवा राज्य के 200 वीर बहादुरों ने अपने शौर्य, पराक्रम एवं बुद्धि से सेना का उलटे मुंह भागने के लिए न सिर्फ मजबूर कर दिए बल्कि पेशवा की सेना के नायक यशवंतराव का सिर काटकर राजदरबार में पेश किया था। जिस वीरभूमि पर रीवा के सैनिकों ने अपने खून बहाकर राज्य की रक्षा की थी, वह अब खंडहर और वीरान होता जा रहा है। जिसे सवारने का काम किया जाएगा।
राजदरवार के मंत्रियों ने संधि की दी थी सलाह
इतिहासकार बताते है कि पेशवा की भारी भरकम सेना को देखकर राज दरवार के मंत्रियों ने राजा को संधि करने की सलाह दिए, वर्ष 1796 में वाजीराव पेशवा के पौत्र अली बहादुर के सेना नायक यशवंतराव ने किला के पास युद्ध के लिए ललकारा था। जिस पर तत्कालीन महाराजा अजीत सिंह के महामंत्रियों ने सलाह दी थी कि आर्थिक और सैन्य ताकत राज्य की अच्छी नहीं है इसलिए संधि कर ली जाए।
युद्ध के लिए आगे आई थी महारानी कुंदर कुंवरि
बताते है कि महामंत्रियों के द्वारा संधि की बात कहें जाने की जानकारी महारानी कुंदन कुंवरि को जब हुई तो उन्होंने तय किया कि यदि कोई नहीं लड़ेगा तो वह युद्ध के लिए स्वयं निकलेंगी। इसके लिए उन्होंने राज्य के सरदारों और सैनिक अधिकारियों को बुलावा भेजा।
उन्होने बुलावे के साथ एक थाल में पान का बीरा और दूसरी थाल में चूड़ी और सिंदूर। इसके साथ यह संदेश भी दिया था कि जो युद्ध के लिए जाना चाहते हैं वह पान स्वीकार करें और जो नहीं जाना चाहते वह चूडिय़ां पहनकर घर पर बैठें। इसके बाद सरदारों में राज्य की रक्षा के लिए जूनून जागा और युद्ध लडऩे की योजना बनाई। कलंदर सिंह कर्चुली और गजरूप सिंह बाघेल के नेतृत्व में दो टुकडिय़ों ने हमले किए और पेशवा सेना के प्रमुख यशवंतराव का सिर काट लिए, तो वही उनकी सेना को भागने के लिए मजबूर कर दिए।
राजपरिवार ने बनाई थी छतरियां
इस युद्ध में रीवा राज्य के कई योद्धा वीर गति को प्राप्त हो गए थें, उनकी यादों को संजाए रखने के लिए रीवा राज सरकार के द्वारा योद्धाओं की छतरियां भी बनवाई गई थी। 33 योद्धाओं की छतरियां बनाई गई हैं। जिसमें 1२ बाघेल, नौ कर्चुली के साथ ही परिहार, गहरवार, ब्राह्मण, चंदेल, दिखित, अधरजिया तिवारी, बरगाही, मुसलमान, बारी एवं अन्य शामिल हैं। बताते है कि कई योद्धाओं की उनके गृहग्राम एवं दूसरे क्षेत्रों में भी छतरियां बनाई गई थी। रीवा राज्य की ओर से विरोधी सेना के नायक यशवंतराव की भी छतरी बनाई गई थी। वह काफी वीर युद्धा था और उसके उसके शौर्य को सम्मान देने के लिए था।