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Maha Shivratri 2022: रीवा के देवतालाब और किले के महामृत्युंजय मंदिर में करें पूजा-अर्चना, शिव की कृपा बरसेगी
Maha Shivratri 1 March 2022: इस वर्ष महा शिवरात्रि मंगलवार 1 मार्च को मनाई जा रही है. महा शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा अर्चना और आराधना करने से मनचाहे फल मिलते हैं. रीवा जिले में ऐसे कई मंदिर हैं जहां भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना कर सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से रीवा जिले का देवतालाब शिव मंदिर और रीवा शहर के फोर्ट में बना महामृत्युंजय का भव्य मंदिर है. आज हम आपको महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजन विधि, मुहूर्त के बारे में बताने जा रहें हैं.
देवतालाब शिव मंदिर
रीवा मुख्यालय से लगभग 48 किमी दूर देवतालाब में बाबा भोलेनाथ का सिद्ध मंदिर स्थापित है. यूं तो यहां रोजाना ही भक्तों का तांता लगा होता है लेकिन महा शिवरात्रि के दौरान दूर दराज के भक्त इस मंदिर पर पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि देवतालाब के शिव मंदिर में पूजा करने से हर काम में सफलता प्राप्त होती है. तो इस महा शिवरात्रि यानि मंगलवार, 1 मार्च को आप देवतालाब के शिव मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए जा सकते हैं.
महामृत्युंजय मंदिर, रीवा
रीवा शहर के किला परिसर (Fort Campus) में भगवान शिव का भव्य महामृत्युंजय मंदिर (Mahamrityunjaya Temple, Rewa) है. यह दुनिया का एकलौता महामृत्युंजय मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण रीवा रियासत के महाराजा द्वारा कराया गया था. महा शिवरात्रि (Mahashivratri) और सावन में यहां लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
रीवा के किले में मौजूद भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप की पूजा अर्चना की जाती है. यहां महामृत्युंजय जाप भी होते हैं. मान्यता है कि यहां शिव आराधना करने से आयु लंबी होती है और आने वाले संकट दूर होते हैं. इस शिवालय का महात्म्य द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समतुल्य माना जाता है.
1001 छिद्रों वाले अदभुत श्वेत शिवलिंग हैं विराजमान
रीवा स्थित महामृत्युंजय मंदिर में विराजमान शिवलिंग की बनावट संसार के बाकी अन्य शिवलिंगों से सर्वथा भिन्न है. आपको 1001 छिद्रों वाला शिवलिंग विश्व के किसी भी अन्य मंदिर में देखने को नहीं मिलेगा. शिवलिंग का रंग आमतौर पर श्वेत रहता है, पर मौसम के साथ इनका रंग कुछ बदल जाता है.
शिव पुराण के अनुसार देवाधिदेव महादेव ने महा संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की थी. महादेव ने इस मंत्र का गुप्त रहस्य केवल माता पार्वती को बताया था. यहां भगवान महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) के जाप से सभी मनोकामना पूरी होती है. इसी वजह से श्रद्धालु भारत के कोने-कोने से महामृत्युंजय भगवान के दर्शन के लिए यहां आते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र हिंदी में (Mahamrityunjaya Mantra in Hindi)
'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||'
महाशिवरात्रि में पूजन विधि
फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें. फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें.
पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन सुबह 12.10 से दोपहर 12.57 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. वहीं इसके बाद दोपहर 02.07 से लेकर 02.53 तक विजय मुहूर्त रहेगा. पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं. शाम के वक्त 05.48 से 06.12 तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है. जो भोलेनाथ की पूजा करने के लिए अच्छा समय माना जाता है.
बन रहा है पंचग्रही योग
महाशिवरात्रि पर इस बार पंचग्रही योग का निर्माण हो रहा है और यह योग मकर राशि में बनेगा. इस राशि में मंगल और शनि साथ बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे. लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनी रहेगी. साथ ही चौथे भाव में राहु वृषभ राशि में रहेंगे, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे.