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रीवा के SGMH-GMH में बजट का अभाव, अटके पड़े है कई अधूरे कार्य
संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय और गांधी मेमोरियल अस्पताल संकट के दौर से गुजर रहा है। बजट के अभाव में कई नई योजनाएं संचालित नहीं हो पा रही है तो मरीजों के मिलने वाली सुविधाओं पर भी असर पड़ा हुआ है। विंध्य के सबसे बड़े इस अस्पताल की हालत कुछ ठीक नहीं चल रही है। बजट के अभाव में अस्पताल आने वाले रोगियों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। अगर सरकार इस ओर बहुत जल्दी ध्यान नहीं दिया तो दिनोंदिन समस्याएं बढ़ती ही जाएंगी।
कई आवश्यक सुविधाओं का है अभाव
संजय गांधी चिकित्सालय और गांधी मेमोरियल अस्पताल जो श्याम शाह मेडिकल कॉलेज से संबंध होकर संचालित हो रहे हैं। लेकिन बजट के अभाव में इस अस्पताल की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। ले देकर जो सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं उनको भी देखने वाला कोई नहीं है। अधिकारी अपने कार्यालय से ही कोरम पूरा कर रहे हैं।
ट्रामा सेंटर की है जरूरत
पिछले कई वर्षों से रीवा मुख्यालय मे ट्रामा सेंटर की मांग की जा रही है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। केवल कागजी घोड़े दौड़ाई जा रहे हैं। नेता अपने से ही अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। उन्हीं की देखा सिखी में एसजीएमएच और जीएमएच में पदस्थ चिकित्सक और अधिकारी भी ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। जो है जितना है उसी में ले देख कर काम चला रहे हैं।
रीवा जिला मुख्यालय से होकर कई कई बड़ी नेशनल हाईवे सड़के गुजरती हैं। फोरलेन सड़क बनी हुई है। आए दिन या यूं कहा जाए कि हर दिन कोई ना कोई हादसा होता ही रहता है। ऐसे में ट्रामा सेंटर की महती आवश्यकता है। लेकिन इस ओर ना तो जिले के मंत्री मनिस्टर ध्यान दे रहे हैं और ना ही अन्य जनप्रतिनिधि।
इमरजेंसी मेडिसन की व्यवस्था
संजय गांधी अस्पताल में जितनी आवश्यकता ट्रामा सेंटर की है उतनी ही आवश्यकता इमरजेंसी मेडिसिन व्यवस्था शुरू करने की। लेकिन यह दोनों ही व्यवस्थाएं नहीं हो पा रही हैं। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि बजट चल रहा है। बजट के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे गए लेकिन होने वाली अनदेखी की वजह से कोई काम नहीं हो पा रहा है।
ज्ञात हो कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया एमसीआई ने अपने निरीक्षण के दौरान प्रदेश में संचालित सभी मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग खोलने की रूपरेखा निर्धारित कर दी है। मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग का होना आवश्यक है। यह मेडिसिन विभाग आकस्मिक चिकित्सा विभाग का हाईटेक रूप है। जहां पर सबसे पहले रोगी पहुंचता है और उसे समुचित इलाज की व्यवस्था मिलनी चाहिए। लेकिन एमसीआई के इस निर्देश का पालन बजट के अभाव में नहीं हो पा रहा है।