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बकरी पालन से रीवा के कमलेश की चमकी किस्मत, जानें इनकी 'सफलता की कहानी'
बकरी को गरीबों की गाय कहा जाता है पूरे देश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य वर्गों के लखों परिवार पंरपरागत रूप से बकरी पालन करते आ रहे हैं। बकरी पालन कम खर्च में अच्छा लाभ देने वालाव्यवसाय है। रीवा जिले के त्योंथर विकासखण्ड के ग्राम सोनवर्षा निवासी अन्य पिछड़ावर्ग हितग्राही कमलेश कुशवाहा ने बकरीपालन को अपनाकर अपने परिवार के गरीब के संकट को दूर किया। कमलेश कुशवाहा कुछ कर गुजरने की हसरत के साथसरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे थे।
पशुपालन विभाग में उनकी भेंट पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. पीके मिश्रा से हुई कमलेशके मन में स्वरोजगार की इच्छा को देखकर उन्हें बकरी पालन योजना की जानकारी दी। कमलेश को उनकी बात जम गयी।कमलेश ने बकरी पालन योजना के लिए आवेदन दिया। उन्हें 77456 रूपये लागत की बकरी पालन इकाई मंजूर हो गयी। इसमें10 बकरियां तथा एक बकरा शामिल थे। बैंक में कमलेश ने 7745 हितग्राही अंशपूंजी जमा की उनका ऋण प्रकरण मंजूर हो
गया। कमलेश को शासन की ओर से 30982 रूपये का अनुदान मिला। उन्होंने पशुपालन विभाग से बकरी पालन का प्रशिक्षणऔर टीकाकरण की जानकारी लेकर बकरी पालन इकाई स्थापित की।कमलेश 2 साल से सफलतापूर्वक बकरी पालन कर रहे हैं। बकरी पालन से उन्हें साल भर दूध प्राप्त हो रहा है इससेपरिवार को पोष्टिक दूध मिलने के साथ दूध बेंचने से नियमित आय प्राप्त हो रही है। हर बकरी से हर साल दो से तीन बच्चेमिल रहे हैं। इनके बड़े होने पर बकरियों की संख्या में दिनों-दिन वृद्धि हो रही है साथ ही बकरे बेंचकर अतिरिक्त आय प्राप्तहो रही है। बकरी पालन ने आय में भरपूर वृद्धि करके कमलेश के जीवन में खुशियों के रंग भर दिये हैं। हितग्राही का मोबाइल नंबर 9200965290 है।