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रीवा TRS कॉलेज के प्रोफ़ेसर की पहल: बघेलखंड के आजादी के परवानों को सजों रहे प्रोफेसर, नई पीढ़ी को मिलेगा ज्ञान
रीवा (Rewa Trs College): देश को आजादी ऐसे नही मिली बल्कि इसके लिए लोगों ने अपना सब कुछ न्यौछवर कर दिए। ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में बघेलखंड के लोग भी शामिल है। जिन्होने आजादी के लिए हर मोर्च पर आगे बढ़ते रहे और अपना सब कुछ गंवा कर देश की आजादी का हिस्सा बने।
ऐसे वीर सैनिकों की गाथा को आम जन के बीच में लाने एव नई पीढ़ी को इससे रूबरू कराने के लिए रीवा ठाकुर रणमत सिंह कॉलेज के प्रोफेसर एवं समाज शास्त्री डॉक्टर अखिलेष शुक्ला का भागीरथी प्रयास है। उन्होने परिश्रम करके स्वतंत्रता संग्राम सैनिकों की जानकारी को एकत्रित करने के साथ ही पुस्तकों में संग्रहित करने का प्रयास किए है।
5 वर्षो तक किए भ्रमण
इस सबंध में डॉक्टर अखिलेश शुक्ला बताते है कि बघेलखंड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए कई लेखकों के प्रयास के बाद भी जानकरी पूरी तरह से सामने नही आ पाई। जो कुछ भी लिखा गया वह कंम है। उन्होने बताया कि ऐसे वीरों के शौर्य को सामने लाने के लिए उनके मन में ललक जगी और उन्होने वर्ष 1990 से 1995 तक बघेलखंड के गावों में भ्रमण करके जानकरी एकत्रित किए है। उनका कहना है कि अब सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। ऐसे में वीरों के इतिहास को आम जन के बीच में लाना जरूरी है।
समाजशास्त्री ने अब तक लिखी है 35 पुस्तकें
शुरू से मेधावी रहे प्रोफेसर अखिलेष शुक्ला ने अब 35 पुस्तकें लिखी है और उनका प्रकाशन हो चुका है। उनके 250 से ज्यादा शोध प्रकाशित हो चुके है। उन्हे 1990 में रामकुमार सिंह मेमोरियल गोल्ड मैडल और फिर 1997-98 में सरदार बल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस अकादमी भारत सरकार गोल्डन जुबली रिसर्च फेलोशिप की स्वीकृत दी गई थी। भारत सरकार के द्वारा 7 बार पंडित गोविंद बल्लभ पंत अवार्ड से उन्हे नवाजा गया है। यह आवार्ड उर्त्कष्ट लेखन के लिए दिया गया है। वर्ष 2006 में भारत सरकार ने भरतेन्दु हरिशचन्द्र अवार्ड से भी सम्मानित किया था।