- Home
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- रीवा
- /
- रीवा की ऐतिहासिक...
रीवा की ऐतिहासिक धरोहरें: क्या इनके साथ कुछ क्रिएटिव नहीं हो सकता! भद्दे पेंट से इनकी खूबसूरती ख़त्म हो रही
रीवा जिले की ऐतिहासिक धरोहरें: मध्य प्रदेश का रीवा जिला एक मात्र ऐसा जिला है जहां ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए प्रशासन कोई जरूरी कदम नहीं उठाता है, रीवा राजघराने के वक़्त बनवाए गए प्रवेश द्वार और ऐतिहासिक इमारतों को तवज्जो नहीं दी जाती है, क्योंकि यहां ऐसे कई हैरिटेज की भरमार है. इन हैरिटेज को संरक्षित करने के नाम पर रीवा नगर प्रशासन ने खूबसूरत ऐतिहासिक धरोहरों पर पीला रंग पुतवा कर इन्हे भद्दा बना दिया है. जबकि रीवा सिटी को और आकर्षक व् खूबसूरत बनाने के लिए इनके साथ कुछ क्रिएटिव किया जा सकता था.
दुर्भाग्य से रीवा सिटी में मौजूद ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित करने और इनमे दोबारा से जान फूंकने की किसी को नहीं पड़ी है. बल्कि क्षेत्रीय प्रशासन तो इस चीज़ का इंतज़ार करता है कि कब यह राज घराने के वक़्त के विशाल द्वार ढह जाएं और सड़क को चौड़ा किया जा सके, जबकि इन ऐतिहासिक विरासतों को संरक्षित करना चाहिए और इन्हे और भी खूबसूरत बनाना चाहिए।
पीली कोठी के द्वार को भद्दे रंग से पोत डाला
यह फोटो रीवा सिटी के बीचो-बीच शिल्पी प्लाजा मार्केट के सामने पीली कोठी की तरफ जाने का रास्ता है. इस मार्ग में ऐतिहासिक और विशालाय प्रवेश द्वार है, जो जर्जर होने की कगार पर है. ये जजर्र इस लिए नहीं है क्योंकि यह दशकों पुराना है बल्कि इसकी हालत इस लिए खस्ता है क्योंकि इसका रखरखाव कभी किया ही नहीं गया. हाल ही में नगर निगम रीवा द्वारा इस ऐतिहासिक प्रवेश द्वार को संरक्षित करने के नाम पर पीला रंग पोत दिया है. इसी के साथ इसकी खूबसूरती छीन ली गई है. जबकि कुछ क्रिएटिव दिमाग लगाकर इसे खूबसूरत रूप दिया जा सकता था. प्रवेश द्वार का प्लास्टर गिर चुका है लेकिन किसी ने इसकी मरम्मत में ध्यान नहीं दिया, सिर्फ चूने में पीला रंग डालकर पोत दिया है.
घंटा घर को भी खूबसूरत बनाया जा सकता है
रीवा सिटी में मौजूद साई बाबा मंदिर के ठीक बगल में घंटा घर है. कभी इसका इस्तमाल समय बताने के लिए किया जाता था, यहां आज भी घडी लगी है, लेकिन वो समय नहीं बताती क्योंकि उसमे दोबारा कभी बैटरी नहीं डाली गई, और वह चलती भी तो लोग समय नहीं देख पते क्योंकि घडी काफी छोटी है. और घंटा घर की चोटी में है. खैर इस घंटाघर को भी अच्छे रंग से पेंट कर खूबसूरत रूप दिया जा सकता है. अभी यहां सस्ती किस्म का गुलाबी और नीला रंग पोता गया है. घंटा घर के पीछे एक फव्वरा भी है जो कई सालों से ख़राब पड़ा है.
राजघाट की छतरिया जमींदोज हो रही हैं
रीवा सिटी में उपरहटी वार्ड 36 में ऐतिहासिक राज घाट है. जो रीवा फोर्ट के ठीक पीछे है, राज घाट में दर्जनों ऐतिहासिक छतरिया हैं जिन्हे अंग्रेजी में Cenotaph कहा जाता है. इन छतरियों का निर्माण राजाओं की सेना में शहीद हुए सैनकों की याद में किया गया था. लेकिन आज इनका हश्र कुछ ऐसा हुआ है कि लोगों ने इन छतरियों पर अपना कब्ज़ा कर लिया है, घर बनाकर बिस्तर बिछा लिया है. सैनकों की याद में बनाए गए स्मारक जमींदोज हो रहे हैं, लेकिन उन्हें संरक्षित करने वाला कोई नहीं है. वैसे रिवर फ्रंट प्रोजक्ट के तहत घाटों का सौन्दर्यीकरण हो रहा है, क्या पता लगे हाथ इन लावारिस Cenotaph का भी जीर्णोद्धार हो जाए.
यही सब कहीं और होता तो टूरिस्ट फोटो खींचते
अगर ऐसे ही ऐतिहासिक इमारते किसी और शहर में होतीं तो टूरिस्ट प्लेस या फिर कम से कम सेल्फी पॉइंट तो बन ही चुके होते, लेकिन रीवा की बदनसीबी है कि इतना सब होने के बाद भी ऐतिहासिक विरासतों का ध्यान नहीं रखा जाता है, जो गिर रहा है गिरने दो, जो टूट चुका है उसका मालवा उठाकर फेंक दो नहीं तो वहीं पड़े रहने दो वाला सीन है.
क्या क्रिएटिव हो सकता है?
- ऐतिहासिक इमारतों की पहले तो मरम्मत होनी चाहीये, वो भी कायदे से, ऐसा नहीं कि सीमेंट पोत कर फुरसत हो गए
- इतिहास इमारतों के पास जिन लोगों ने कब्जा कर रखा है उस अतिक्रमण हो हटाना चाहिए
- पीला, गुलाबी जैसे चूना पोतने की जगह खूबसूरत पेंट किया जाना चाहिए, जिससे लगे की हां भाई ये तो सेल्फी लेने लाइक चीज़ है. मतलब कुछ कलात्मक पेंट हो तो अच्छा रहे
- जिस तरह रीवा सिटी में फ्लाईओवर्स में बढ़िया डिज़ाइन वाले चित्र बनाए गए हैं वैसा ही कुछ कर दिया जाए तो मजा आ जाए
हमारा मकसद ज्ञान देना नहीं है सिर्फ रीवा जिले के ऐतिहासिक इमारतों को गिरने और बदसूरत होने से बचाना है, क्योंकि यह रीवा के इतिहास को दर्शाते हैं. इतिहास को खोने नहीं देना है, यही रीवा की पहचान है इसे भद्दा नहीं होने देना है.
रीवा सिटी को सुन्दर बनाने के लिए और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किए जाने के लिए जनता RewaRiyasat.com की मुहीम का हिस्सा बनिए