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RDSS Yojana: रीवा सर्किल में 130 करोड़ की लागत से चल रहे विद्युत संबंधी कार्य, यहां बनकर तैयार हुए सब स्टेशन
मध्यप्रदेश के रीवा सर्किल में करोड़ों की लागत से आरडीएसएस योजना के तहत कई सब स्टेशनों के साथ ही केबिलीकरण व नए ट्रांसफार्मर लगाए जाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। बिजली अधिकारियों की मानें तो पहले सब स्टेशनों का कार्य पूरा किया जाएगा। इस कार्य के पूर्ण होने के बाद उपभोक्ताओं को बिजली के लो वोल्टेज व ट्रिपिंग से निजात मिल सकेगी। रीवा जिले के तराई अंचल में तीन विद्युत सब स्टेशन पूरी तरह बनकर तैयार हो गए हैं।
ट्रांसफार्मर लगाने के साथ ही केबिलीकरण का होगा कार्य
हासिल जानकारी के मुताबिक आरडीएसएस योजना के तहत 130 करोड़ की लागत से चल रहे प्रोजेक्ट कार्यों में ट्रांसफार्मर लगाए जाने का भी काम तेजी से चल रहा है। खास बात यह है कि जिन क्षेत्रों में केबिलीकरण खराब हैं, वहां बदलकर नई लगाई जा रही है तथा कई क्षेत्रों में नई केबिलें भी डालने का काम तेजी से चल रहा है। लो वोल्टेज और ट्रिपिंग की विकराल समस्या से उपभोक्ताओं को निजात दिलाने के प्रयास शुरू हो गए हैं।
बन रहे 6 नए सब स्टेशन
विद्युत मंडल रीवा सर्किल में 6 नए सब स्टेशन बना रहा है। जिससे अन्य सब स्टेशन का लोड कम किया जा सके और उपभोक्ताओं को उनकी जरूरत की बिजली मिल सके। लो वोल्टेज की सबसे ज्यादा समस्या तराई क्षेत्र में बताई जाती है। त्योंथर डिवीजन में तीन उपकेंद्र बनकर तैयार हो चुके हैं। बताया जाता है कि पहले से स्थापित सब स्टेशनों पर भारी लोड है और उनका दम निकल जाता है। इस पर किसानों व्यापारियों एवं अन्य उपभोक्ताओं से बड़ी संख्या में शिकायतें आती हैं। नए सब स्टेशन इस समस्या से छुटकारा दिलाने में एक कारगर उपाय के रूप में देखे जा रहे हैं।
त्योंथर डिवीजन में तीन कार्य पूरे
बताया गया है कि आरडीएसएस योजना के तहत रीवा सर्किल में सब स्टेशन निर्माण 130 करोड़ रुपए लागत व्यय है। इस प्रोजेक्ट के तहत 6 नए विद्युत उपकेंद्र बनाए जा रहे हैं। उपकेंद्रों के बन जाने से 33 केवीए सीधे केवीए में बिजली तब्दील करके सप्लाई दी जाएगी। यह प्रोजेक्ट का काम एके इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक कंपनी कर रही है। जानकारी के मुताबिक रीवा सर्किल के त्योंथर डिवीजन में तीन सब स्टेशन बनकर तैयार हो चुके हैं। हालांकि अभी इनसे विद्युत प्रदाय का कार्य चालू नहीं हो पाया है। नए उपकेंद्रों में पूर्वांचल में चौरा घाट और पश्चिम में इटौरी एवं सूती शामिल है। इस योजना के तहत कार्य पूर्ण होने के बाद लोगों को काफी हद तक बिजली की ट्रिपिंग और लो वोल्टेज जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।