रीवा

रीवा के सरकारी डॉक्टर की दादागिरी; जब प्राइवेट अस्पताल का कहा था तो सुपर स्पेशलिटी में क्यों भर्ती कराया? यहां नहीं करूंगा इलाज

Aaryan Puneet Dwivedi | रीवा रियासत
16 Sept 2021 10:00 AM IST
Updated: 2021-09-16 04:31:11
Rewa Super Specialty Hospital
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प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए दवाब बना रहें थे न्यूरो सर्जन डॉ. दिनेश पटेल, सुपर स्पेशलिटी में भर्ती किया तो देखा तक नहीं, डिस्चार्ज करवा दिया.

रीवा। देश की सेवा कर रहे एक जवान के पिता को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital Rewa) में इलाज ही नहीं मिला। ब्रेन स्ट्रोक के कारण परिजनों ने अस्पताल में भर्ती तो कराया लेकिन न्यूरो सर्जन ने उनका इलाज ही नहीं किया। उन्हें देखे बिना ही डिस्चार्ज कर दिया। यह सब निजी अस्पताल में भर्ती न होने के कारण किया गया। डॉक्टर मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती करना चाह रहे थे और वह सुपर स्पेशलिटी लेकर मरीज को पहुंच गए। अब ऐसे में अस्पताल का निजी अस्पतालों से सांठगांठ का अंदाजा लगाया जा सकता है।

रीवा के अलावा विंध्य के लोगों को बेहतर उपचार मिले, इसके लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना की गई। यहां हार्ट से लेकर न्यूरो तक के आपरेशन हो रहे हैं। मरीजों को बेहतर उपचार मिल रहा है। वहीं सरकार की मंशा पर कुछ डॉक्टर पानी फेर रहे हैं। यहां आने वाले मरीजों को निजी अस्पताल में भर्ती होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

इलाज के लिए सीधी से आया था मरीज

ऐसा ही एक मामला सीधी के एक एयरफोर्स के जवान आकाश सिंह चौहान के पिता का भी सामने आया। सीधी जिला के रहने वाले 60 वर्षीय पिता देवेन्द्र सिंह को 9 सितंबर को ब्रेन स्ट्रोक आया वह इलाज के लिए सीधी से रीवा पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद वह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल गए, लेकिन भर्ती नहीं किया गया। उन्हें न्यूरो सर्जन डॉ दिनेश पटेल के पास कंसल्टेंशन के लिए भेजा गया।

प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने का दवाब बनाया

परिजन मरीज को लेकर दिनेश पटेल के क्लीनिक में गए तो वहां ढेरों जांच कराई गई। मरीज के साथ उनके परिजन थे। जांच के बाद डॉ दिनेश पटेल ने देवेन्द्र सिंह को सिरमौर चौराहा स्थित चिरायु अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा। उनके बेटे आकाश चौहान ने बताया कि उन्होंने डॉक्टर को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर करने के लिए कहा लेकिन वह नहीं माने। उन्होंने करीब 3 से 4 हजार रुपए की दवा भी दे दी। इसके बाद मरीज को चिरायु अस्पताल भेज दिया। हालांकि मरीज के परिजन चिरायु अस्पताल न ले जाकर सीधे उसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल लेकर चले गए। यहां भी मरीज को भर्ती नहीं कर रहे थे।

मिन्नतें की, सिरफारिश कराया तब भर्ती किया

डॉ देवेश ने तो मरीज को एडमिट करने से इंकार कर दिया। इसके बाद परिजनों ने मिन्नतें की और सिफारिश लगाई। डॉ देवेश ने किसी तरह मरीज को भर्ती किया। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के तीसरी मंजिल में देवेन्द्र सिंह को भर्ती किया गया। हालांकि उन्हें भर्ती करने के बाद इलाज नहीं मिला। दूसरे दिन जब डॉ दिनेश पटेल राउंड पर आए तो मरीज को देखा तक नहीं।

जहां बोला था वहां भर्ती नहीं हुए, नहीं होगा इलाज : डॉ दिनेश पटेल

डॉ दिनेश पटेल ने कहा कि जहां बोला था वहां भर्ती नहीं हुए, इसलिए यहां इलाज नहीं होगा। यहां तक तो ठीक रहा, लेकिन बिना इलाज और जांच के 13 सितंबर को डिस्चार्ज भी कर दिया गया। मरीज के बेटे आकाश ने बताया कि इसके बाद मरीज को लेकर सीधे वह नागपुर भागे। वहां 15 सितंबर को इलाज के बाद वापस लौट रहे हैं।

कलेक्टर से करेंगे शिकायत

परिजन नागपुर से लौट रहे हैं। फोन पर कलेक्टर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं हो पाई। परिजनों का कहना है कि डॉ दिनेश पटेल और डॉ देवेश की शिकायत कलेक्टर साहब से की जाएगी। इतना ही नहीं, निजी नर्सिंग होम में दोगुनी दर पर जांच की गई। दोगुना फीस डॉ दिनेश पटेल के क्लीनिक में वसूला गया। इसके अलावा बेमतलब की दवाइयां वसूली गई। इसमें से काफी दवाइयां बेकाम की हैं। बिना बुखार के ही पैरासिटॉमॉल सहित एंटीबायोटिक दे दी गई हैं। इन्हें लौटाने गए तो मेडिकल स्टोर में लौटाया तक नहीं गया।

कुछ दिन पहले भाग गया था विक्षिप्त मरीज

कुछ दिन पहले चिरायु अस्पताल की दूसरी मंजिल से एक विक्षिप्त मरीज कूद गया था। वह भी डॉ दिनेश पटेल का ही मरीज था। इस मरीज को संजय गांधी अस्पताल के मनोरोग विभाग में भर्ती करने की जरूरत थी, लेकिन चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉ दिनेश पटेल न्यूलॉजिस्ट नहीं हैं फिर भी वह न्यूरॉलॉजिस्ट के मरीजों को भी ट्रीट कर रहे। हैं। उन्हें लूटने का काम कर रहे हैं।

आए दिन यही हालत, अस्पताल का नाम ख़राब कर रहें चंद डॉक्टर

इस तरह के हालात यहां आए दिन देखने को मिलते हैं। सुपर स्पेशलिटी में आने वाले मरीजों को निजी अस्पताल भेजा जाता है। डॉ दिनेश पटेल न्यूरो सर्जन हैं, जिनके कारण मरीजों को सस्ता इलाज नहीं मिल पा रहा है। वह खुद तो मरीजों से कमाते ही है और दूसरे निजी अस्पतालों को भी फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इनके कारण आए दिन सुपर स्पेशलिटी का नाम खराब हो रहा है ।

निजी अस्पतालों से है साठगांठ

सुपर स्पेशलिटी के अधिकांश डॉक्टरों ने निजी अस्पतालों से सांठगांठ कर ली है। यहां पदस्थ कई डॉक्टरों के खुद के अस्पताल और क्लीनिक संचालित हैं। कई प्राइवेट अस्पताल में हिस्सेदार भी हैं। ऐसे में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मरीजों को निजी अस्पताल भेजा जाता है। गरीब मरीजों तक को नहीं छोड़ते।

पूर्व मंत्री और कलेक्टर की मंशा पर पानी फेर रहें

प्रशासन और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला (Rajendra Shukla) की मंशा पर पानी फेरा जा रहा है। जबकि पूर्व मंत्री एवं रीवा कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. (Dr. Ilayaraja T.) अस्पताल को सर्व सुविधायुक्त बनाने और मरीजों को अच्छा इलाज मिल सके इसके लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। बावजूद इसके कुछ चिकित्सकों की कारस्तानी से न सिर्फ अस्पताल बल्कि दूर दराज से इलाज के लिए आ रहें मरीजों के सामने पूरे रीवा को शर्मिंदा होना पड़ता है।

इनका कहना है...

ऐसा नहीं है। मरीज यदि गंभीर है तो उन्हें सुपर स्पेशलिटी में भर्ती करना चाहिए। - डॉ मनोज इंदुलकर, डीन, श्यामशाह मेडिकल कॉलेज, रीवा

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