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रीवा में आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रदर्शन पर भड़के डिप्टी सीएम: कहा - "पहले हाथ जोड़कर नौकरी मांगते हैं, फिर दादागिरी करते हैं... सबको निकालो!"
रीवा में चल रहे आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रदर्शन ने नया मोड़ ले लिया है। शनिवार को रीवा के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के आवास पर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा लग गया, जहां कर्मचारियों ने अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध जताया।
इस दौरान डिप्टी सीएम ने कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी व्यक्त की और कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि "नए कर्मचारियों की भर्ती करेंगे, दादागिरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।" उन्होंने मौके पर ही थाना प्रभारी को गिरफ्तारी के निर्देश दे दिए। साथ ही आउटसोर्स और सफाई कर्मचारियों को जमकर फटकार भी लगाई।
डिप्टी सीएम बोले- सबको निकालो, नए आदमियों की भर्ती करेंगे
डिप्टी सीएम ने कहा, "ये लोग हाथ जोड़कर नौकरी मांगते हैं, फिर दादागिरी करते हैं। इन सब को निकलवाना है। नए आदमियों को भर्ती करना है, जिन्होंने टोटियां तोड़ी है, उन्हें बंद करो। सब को बंद कर दो। हम नगर निगम से सफाई कर्मचारी बुलाकर सफाई करवा लेंगे। जिन्होंने टोटी तोड़ी है और गंदगी फैलाई है, उसे किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। कोई यहां पर फालतू बात नहीं करेगा। अपनी मोबाइल रिकार्डिंग बंद करो।"
दरअसल, प्रदर्शन के दौरान आउटसोर्स कर्मचारियों पर अस्पताल में तोड़-फोड़ और गंदगी करने के आरोप हैं। जिसे लेकर डिप्टी सीएम ने उन पर गुस्सा जताया।
5 दिनों से चल रहा था प्रदर्शन
रीवा में संजय गांधी अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और गांधी मेमोरियल में आउटसोर्स कर्मचारी पिछले 5 दिनों से अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। शनिवार को उन्होंने डिप्टी सीएम के आवास का घेराव किया।
तोड़फोड़ और गंदगी का आरोप
प्रदर्शनकारियों पर तोड़फोड़ और गंदगी फैलाने का आरोप है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हड़ताली कर्मचारियों ने अस्पताल में तोड़ फोड़ की है और गंदगी फैलाई। इसकी सूचना पुलिस को दी गई थी।
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डीन सुनील ने कहा, "हमें काम चाहिए। संबन्धित कंपनी किस तरह से करवाती है, इससे मतलब नहीं है। यदि इस दौरान कोई अव्यवस्था फैलाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
कर्मचारियों की मांगे
आउटसोर्स कर्मचारी अपनी बकाया राशि के भुगतान, ग्रैच्युटी एक्ट का लाभ, और नौकरी में सुरक्षा जैसी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें बार-बार आश्वासन दिया जाता है, लेकिन उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता।