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घर के बाहर कोरोना और अंदर मच्छरों का आतंक, आमजन का जीना हुआ मुश्किल, दवाइयों का छिड़काव करना भूले जिम्मेदार : REWA NEWS

News Desk
21 March 2021 10:58 PM IST
घर के बाहर कोरोना और अंदर मच्छरों का आतंक, आमजन का जीना हुआ मुश्किल, दवाइयों का छिड़काव करना भूले जिम्मेदार : REWA NEWS
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रीवा। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कुछ दिनों पूर्व सीधी दौरे पर आये थे जहां रेस्ट हाउस में रुकने के बाद रात में मच्छरों के आतंक से वह सो नहीं पाये थे। इसका परिणाम रहा कि रेस्ट हाउस की व्यवस्था देखने वाले कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया था। अब मच्छरों के आतंक में बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। लेकिन आम आदमी प्रतिदिन ऐसे माहौल में अपना जीवन व्यतीत करता है, तो समझ जाना चाहिए कि उसे कितनी समस्या होती होगी। लेकिन शासन-प्रशासन को आम आदमी चिंता ही कहां है। 

रीवा। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कुछ दिनों पूर्व सीधी दौरे पर आये थे जहां रेस्ट हाउस में रुकने के बाद रात में मच्छरों के आतंक से वह सो नहीं पाये थे। इसका परिणाम रहा कि रेस्ट हाउस की व्यवस्था देखने वाले कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया था। अब मच्छरों के आतंक में बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। लेकिन आम आदमी प्रतिदिन ऐसे माहौल में अपना जीवन व्यतीत करता है, तो समझ जाना चाहिए कि उसे कितनी समस्या होती होगी। लेकिन शासन-प्रशासन को आम आदमी की चिंता ही कहां है।

मौसम में बदलाव के चलते वर्तमान में शहर से लेकर गांव तक मच्छरों का आतंक फैला हुआ है। शाम 4-5 बजे से घर के बाहर और भीतर मच्छरों का आतंक शुरू हो जाता है जो सारी रात चलता है। शुकून की नींद लेना वर्तमान में मुश्किल हो गया है। तो दूसरी ओर मलेरिया, टायफाइड जैसी मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ा हुआ है। लोग कोरोना से इतना नहीं डरे हुए हैं जितना कि मच्छरों के आतंक से परेशान हैं और बीमारी का खतरा बढ़ा हुआ है। वहीं सर्दी, बुखार के साथ ही मलेरिया से पीड़ित हो रहे हैं।

शासन-प्रशासन आमजन के मुंह में मास्क लगाने की चिंता में डूबा है लेकिन उसे मलेरिया और टायफाइड जैसी घातक बीमारियों की तरफ ध्यान बिल्कुल नहीं है। आलआउट और मारटीन भी बेअसर हो गये। प्रशासन न कभी दवा का छिड़काव करता और न ही मच्छरों को खत्म करने वाला धुआं छोड़ा जा रहा। नालियों में दवाइयों का छिड़काव करना ही भूल गये। बजट में मिलने वाले करोड़ांे रुपये सीधे गटक लिये जा रहे हैं।

कोरोना से बचने मास्क लगाएं, मच्छरों से कौन बचाए

शहर में गंदगी का आलम है। स्वास्थ्य एवं मलेरिया विभाग कागजी कालम भरकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। एक तरफ कोरोना से बचने के लिए मास्क लगाने पर जोर दिया जा रहा है लेकिन मच्छरों से कैसे बचा जाय यह कोई नहीं बता रहा। लोग मलेरिया से पीड़ित हो रहे हैं परंतु इस दिशा में कोई ध्यान नहीं है। कोरोना से कम मच्छर जनित बीमारियों से लोग ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं। पहले मच्छरों को मारने के लिए फागिंग मशीन से शहर में धुआं किया जाता था, समय-समय पर दवाइयों का छिड़काव किया जाता था। जिससे मच्छर नहीं पनप पाते थे। लेकिन अब सब कागजों पर चल रहा है सिर्फ मुंह में मास्क लगाइए और हाथ-पैर बांधकर पड़े रहिए।

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