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सहकारी निरीक्षक को 4 साल की जेल: रीवा लोकायुक्त टीम ने 2500 रुपए की रिश्वत लेते किया था ट्रैप
रीवा. 2500 रुपये की रिश्वत लेने वाले सहकारी निरीक्षक को पीसी एक्ट न्यायालय ने 4 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। ज्ञात हो कि शिकायत ममता श्रीवास्तव सदस्य सचिव पर्यावरण महिला उद्योग सहकारी समिति मर्यादित रीवा द्वारा की गई थी। तत्कालीन सहकारी निरीक्षक एलपी तिवारी ने ऑडिट कराने के एवज में 12000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी और कहा गया था कि 12000 रुपये दो तो सही ऑडिट करूंगा नहीं तो तुम्हारी समिति को समाप्त करने की अनुशंसा कर दूंगा।
2500 रुपए की रिश्वत लेते पकड़ाया
इस संबंध में समिति की अध्यक्ष ममता श्रीवास्तव द्वारा अधिकार पत्र देकर शिकायतकर्ता को अधिकृत किया गया था। ममता श्रीवास्तव द्वारा पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय में शिकायती आवेदन दिया गया, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा शिकायत का सत्यापन कराया गया। शिकायत सही पाये जाने पर 22 फरवरी 2014 को ट्रैप आयोजित किया गया। आरोपी सहकारी निरीक्षक ने अपने निवास स्थान में जैसे ही 2500 रुपये शिकायतकर्ता से लिया लोकायुक्त टीम ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया।
4 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा
इसके बाद लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध किया था। विचारण के दौरान विशेष लोक अभियोजन अधिकारी (लोकायुक्त) आलोक श्रीवास्तव द्वारा शासन की ओर से मामले में प्रस्तुत किये गए साक्ष्यों एवं प्रभावी तर्कों से सहमत होते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायालय लोकायुक्त) डॉ. मुकेश मलिक ने आरोपी सहकारी निरीक्षक को 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 3000 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया है।