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रीवा जिले की स्कूल का हालः छात्रों को पढ़ाने लगा रखे थे किराए के शिक्षक, ऐसे खुली पोल
मध्यप्रदेश के रीवा जिले की कुछ स्कूलों का हाल बेहाल है। एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में किराए के शिक्षक रखे गए थे। इसकी पोल तक खुली जब जिला शिक्षा अधिकारी विद्यालयों का निरीक्षण करने पहुंचे। निरीक्षण के दौरान इस तरह का मामला प्रकाश में आने के बाद खुद डीईओ भी भौचक्के रह गए।
मिलता था 15सौ रुपए महीना
रीवा जिले की शासकीय प्राथमिक शाला खम्हरिया अंतर्गत अगडाल विद्यालय का औचक शनिवार को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया। इस दौरान विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका सरिता देवी मिश्रा बिना सूचना के ही अनुपस्थित मिलीं। वहीं विद्यालय में पढ़ाने के लिए किराए से शिक्षक रखे पाए गए। निरीक्षण में दोनों शिक्षकों से जब जानकारी चाही गई तो उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को बताया कि हर महीने उन्हें शिक्षक द्वारा वेतन दिया जाता है। पढ़ा रहे दोनों शिक्षक अजय सिंह बघेल पिता राजेन्द्र सिंह निवासी खमरिया ने डीईओ को बताया कि वह लगभग एक वर्ष से विद्यालय में पढ़ा रहे हैं जिसके एवज में उन्हें 1500 रुपए शिक्षिका सरिता देवी द्वारा हर महीने भुगतान किया जाता है। इतना ही नहीं जांच के दौरान स्कूल में पढ़ रहे बच्चों ने भी यही बताया कि शिक्षिका कभी कभार ही विद्यालय आती हैं।
मध्यान्ह भोजन भी नहीं मिलने की शिकायत
वहीं संस्था के समीप में निवासरत अभिभावक बृजेन्द्र कोल, मनोज कोल, जेठूलाल कोल, सुजीत कोल, मोहन लाल कोल आदि ने डीईओ को बताया कि मैडम कभी कभार विद्यालय आती हैं। अजय सिंह ही बच्चों को विगत वर्षों से पढ़ा रहे हैं। बच्चे एवं अभिभावकों बताया कि संस्था में मध्यान्ह भोजन नहीं बनता तथा कभी कभार सप्ताह में एक-दो दिन घर से बनकर आता है। इतना ही नहीं प्रतिदिन बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं दिया जाता है। विद्यालय में शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है।
यहां भी गायब मिले शिक्षक
जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी शनिवार की दोपहर 12.30 बजे शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय भोलगढ़ संकुल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मार्तण्ड क्रमांक-3 का निरीक्षण किया गया। जिसमें पदस्थ 7 शिक्षक में प्रभारी प्रधानाध्यापक अतुल खरेमा शिक्षक हस्ताक्षर कर संस्था से अनुपस्थित रहे। सरिता लक्षकार माध्यमिक शिक्षक हस्ताक्षर कर संस्था में ही मोबाइल से वार्तालाप में व्यस्त थीं। शिक्षकों द्वारा दैनिन्दनी नहीं बनाई गई है तथा बच्चों की अभ्यास पुस्तिका की जांच नियमित नहीं की जाती है। साथ ही विद्यालय कक्षा में शिक्षकों की फोटो चस्पा नहीं की गई है। मध्यान्ह भोजन छात्र उपस्थिति के कम मात्रा में बना हुआ पाया गया।