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एमपी के रीवा में संजय गांधी अस्पताल में अव्यवस्था की स्थिति, कबाड़ हो रहे स्ट्रेचर, मरीजों को हो रही परेशानी
MP Rewa News: विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़े चिकित्सालयों में शुमार संजय गांधी अस्पताल (Sanjay Gandhi Hospital) की व्यवस्था पटरी से उतरती जा रही है। यहां व्याप्त अव्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां मरीजों के लिए मंगाए जाने वाले स्ट्रेचर और व्हीलचेयर कबाड़ बनते जा रहे हैं। प्रबंधन है कि वह इस समस्या के निराकरण की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं कर रहा है।
गौरतलब है कि श्यामसाह मेडिकल कॉलेज (Shyamsah Medical College) से संबद्ध संजय गांधी अस्पताल में रीवा जिले के अलावा सीधी, सतना, सिंगरौली, उमरिया और पन्ना जिले से मरीज रेफर होकर आते हैं। अस्पताल पहुंचते ही मरीजों को स्ट्रेचर की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। यहां आने के बाद मरीजों को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर तभी दिया जाता है जब वह अपना आधार कार्ड जमा करते हैं। पहचान जमा कराने के बाद ही स्ट्रेचर या व्हील चेयर दिया जाता है, जब तक पहचान पत्र जमा नहीं किया जाता तब तक मरीजों को स्ट्रेचर या व्हील चेयर नहीं दिया जाता। वार्डों में भर्ती मरीजों को तो इसके लिए और अधिक भटकना पड़ता है।
आसानी से नहीं मिलती सुविधा
वार्डों में भर्ती मरीजों के लिए अस्पताल में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि उन्हें आसानी से स्ट्रेचर या व्हील चेयर मिल जाए। अस्पताल में हमेशा ही इसकी कमी बनी रहती है। जबकि वास्तविकता है कि बड़ी संख्या में स्ट्रेचर या व्हील चेयर या अन्य मरीजों के लिए उपयोग में आने वाला सामान कबाड़ की तरह अस्पताल में पड़े हुए हैं। यही स्थिति फर्नीचर की भी है, कुर्सी-टेबल आदि मरम्मत न होने से अनुपयोगी होते जा रहे हैं।
दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को ज्यादा परेशानी
सड़क दुर्घटना के कारण घायल मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। घायल व्यक्ति चलने फिरने में असमर्थ होता है। ऐसी स्थिति में अगर मरीजों को स्ट्रेचर या व्हील चेयर न मिले तो उनकी स्थिति क्या होती होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि अस्पताल में कभी भी मरीजों को समय पर स्ट्रेचर या व्हील चेयर नहीं मिलती।
स्टोर रूम में रखे स्ट्रेचर हो रहें कबाड़
बताया गया है कि अस्पताज में मरीजों की सुविधा के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा स्ट्रेचर या व्हील चेयर सहित अन्य प्रकार की सामग्री दान में दी जाती है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इन्हें स्टोर रूम में सुरक्षित रख दिया जाता है। स्टोर रूम में रखे-रखे यह सामग्री कबाड़ में तब्दील हो जाती है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इनकी मरम्मत का कार्य नहीं कराया जाता, जिसके कारण यह किसी काम के नहीं रहते। यदि समय रहते अस्पताल प्रबंधन द्वारा इनकी मरम्मत का कार्य करा दिया जाय तो इनकी स्थिति बेहतर हो सकती है।
Ankit Pandey | रीवा रियासत
Web Stories, Content Creator, Publisher