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रीवा में 25 मरीजों की चली गई आंखों की रोशनी, जानिए किस लापरवाही के कारण हुआ ऐसा?

Rewa SGMH
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फाइल फोटो 

रीवा जिले में तकरीबन 25 ऐसे मरीज सामने आए हैं जिनकी आंखो की रोशनी उन्हीं की लापरवाही से चली गई है।

Rewa MP News: आंख मनुष्य के जीवन का एक ऐसा पार्ट है। इसका महत्व हमारे जीवन में क्या होता है इसके बारे में वही बता सकता है जिसके आंख की रोशनी चली गई हो। रीवा जिले में तकरीबन 25 ऐसे मरीज सामने आए हैं जिनकी आंखो की रोशनी उन्हीं की लापरवाही से चली गई है। पिछले एक साल में संजय गांधी अस्पताल रीवा के नेत्र रोग विभाग आने वाले 25 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई है। चिकित्सालय के सूत्रों की माने तो संबंधित मरीजों की आंख की रोशनी आना अब मुश्किल है। जिन मरीजों की आंख की रोशनी चली गई है उनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक बताई गई है।

क्यों हुआ ऐसा

जिन 25 मरीजों के आंख की रोशनी चली गई है वे सभी मोतियाबिंद की बीमारी से पीड़ित थे। समय पर मोतियाबिंद का आपरेशन न कराने के कारण संबंधित मरीजों को अपनी आंख की रोशनी से हांथ धोना पड़ा। विशेषज्ञ चिकित्सकों की माने तो मोतियाबिंद का आपरेशन न कराने के कारण मरीजों को काला मोतिया हो गया। काला मोतिया होने के बाद भी मरीजों ने अस्पताल आने में देरी कर दी। जब स्थिति ज्यादा विकट हो गई तो मरीज अस्पताल पहुंचे। जहां चिकित्सकों ने परीक्षण करने के बाद मरीजों को जहां समय पर अस्पताल न आने पर फटकार लगाई वहीं आंख की रोशनी वापस आने की संभावना को भी सिरे से नकार दिया। विशेषज्ञों की माने तो काला मोतिया होने के बाद अगर आपरेशन में देरी की जाय तो आंख की रोशनी जाने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। एक साल के अंतराल में जिन मरीजों के आंख की रोशनी गई है वे सभी वही मरीज हैं जिन्होने समय पर काला मोतिया का आपरेशन नहीं कराया।

लापरवाही का कारण

बताया गया है कि अधिकतर मरीज ठंड के मौसम में ही मोतियाबिंद का आपरेशन कराना चाहते हैं। मरीजों का मानना होता है कि ठंडी के अलावा अन्य मौसम में अगर मोतियाबिंद का आपरेशन कराया जाय तो आंख में दिक्कत हो सकती है। हालांकि चिकित्सक ऐसा नहीं मानते। चिकित्सको की माने तो मोतियाबिंद का आपरेशन बहुत ही सरल होता है। आपरेशन के कुछ दिन तक मरीज को केयर करनी होती है। लेकिन वर्षों से चली आ रही भ्रांति के कारण मरीज ठंड के मौसम को ही आपरेशन के लिए सही मानते हैं। ऐसा करते हुए कई साल निकल जाते हैं। मरीज समय पर आपरेशन नहीं कराते। उल्लेखनीय है कि मोतियाबिंद से पीड़ित मरीज को ज्यादा परेशानी भी नहीं होती। जिसके कारण वह लापरवाही करता है। दिक्कत तो तब होती है जब मोतियाबिंद समय के साथ काला मोतिया में बदल जाता है।

मरीज भी कर देते हैं मना

बताते हैं कि कई बार काला मोतियाबिंद से परेशान मरीज खुद ही आपरेशन कराने से मना कर देते हैं। मरीजों का मानना होता है कि अगर आपरेशन कराया तो आंख की रोशनी चली जाएगी। आपरेशन न कराने के कारण समय के साथ मरीजों को अपनी आंख की रोशनी से हांथ धोना पड़ता है।

इनका कहना है

एसजीएमएच के नेत्र रोग विभाग की विभागध्यक्ष डॉ. शशि जैन ने बताया कि समय पर अगर मोतियाबिंद का आपरेशन न कराया जाय तो मरीजों को काला मोतिया हो जाता है। जिससे आंखो की रोशनी जाने का खतरा बना रहता है। अगर काला मोतिया का आपरेशन मरीज नहीं कराते तो निश्चित रूप से उनकी आंखो की रोशनी चली जाती है। एसजीएमएच में पिछले एक साल में ऐसे 25 मामले सामने आए हैं जिसमे काला मोतिया से पीड़ित मरीजों को अपनी आंख की रोशनी गंवानी पड़ी है। मरीजों को चाहिए की वह समय पर अपनी मोतियाबिंद का आपरेशन करा ले। अगर काला मोतिया हुआ तो रोशनी जाने का खतरा बना ही रहेगा।

Suyash Dubey | रीवा रियासत

Suyash Dubey | रीवा रियासत

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